बाजार खुले तो बेडशीट उद्योग को मिले संजीवनी

सरधना में तैयार बैडशीट उत्तर से लेकर दक्षिण तक और पूर्वोत्तर से लेकर पश्चिम तक देशभर के घरों होटलों में शोभा बढ़ा रही थी। हालांकि लॉकडाउन में बेडशीट उद्योग को खासा नुकसान हुआ है। नगर में करीब 25 फैक्ट्री में बेडशीट बनाने और कटाई-सिलाई से लेकर अन्य कामों तक करीब तीन हजार परिवार जुड़े हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 01 Jun 2020 09:00 AM (IST) Updated:Mon, 01 Jun 2020 09:00 AM (IST)
बाजार खुले तो बेडशीट उद्योग को मिले संजीवनी
बाजार खुले तो बेडशीट उद्योग को मिले संजीवनी

मेरठ, जेएनएन। सरधना में तैयार बैडशीट उत्तर से लेकर दक्षिण तक और पूर्वोत्तर से लेकर पश्चिम तक देशभर के घरों, होटलों में शोभा बढ़ा रही थी। हालांकि लॉकडाउन में बेडशीट उद्योग को खासा नुकसान हुआ है। नगर में करीब 25 फैक्ट्री में बेडशीट बनाने और कटाई-सिलाई से लेकर अन्य कामों तक करीब तीन हजार परिवार जुड़े हैं। बेडशीट की मांग न होने के कारण इन परिवारों के करीब 22 से 25 हजार सदस्यों के सामने आíथक संकट पैदा हो गया है।

बेडशीट के लिए कपड़ा दक्षिण इरोड से कपड़ा खरीदकर अहमदाबाद में ब्लीचिग, डाइंग, प्रिटिग होकर कैलेंडरिग की जाती है। इसके बाद वहां से थान आते है। इसके बाद नगर पहुंचने पर इनकी फिनिशिग और पैकिग कर मांग के मुताबिक हरियाणा के पानीपत, दिल्ली, पंजाब, पिलखवा, मेरठ, गोरखपुर, मुम्बई, चेन्नई, मंगलूरू, अमरावती महाराष्ट्र, हैदराबाद, चेन्नई, सिकंदराबाद, वारंगल, केरल, उड़ीसा, जम्मू-कश्मीर के अलावा देश के सभी राज्यों में माल भेजा जाता था। मगर लॉडाउन ने उद्योग से जुडे़ लोगों और कारोबारियों को नुकसान हुआ है। लॉकडाउन के दौरान करीब 16 करोड़ रुपये का कारोबार प्रभावित हुआ है। बाजार खुलने के बाद ही उद्योग को संजीवनी मिल सकती है।

नगर में 25 फैक्ट्री ऐसी हैं जो बाहर से बेडशीट के कपड़े को ब्लीचिग, डाइंग, प्रिंटिग और कैलेंडरिग कराकर मंगाते हैं। यहां आने के बाद बेडशीट को अलग-अलग साइज के अनुसार काट कर महिलाओं को तौल कर माल देते है। महिलाएं घरों में इनकी सिलाई कर गोट लगाती हैं और अन्य काम कर वापस लाती हैं। इसके बाद फैक्ट्री में प्रेस फिनिशिग के बाद पैकिग कर माल भेजा जाता है। मगर लॉकडाउन में फैक्ट्री बंद होने के कारण उद्योग से जुडे़ करीब 3 हजार परिवार बेरोजगार हैं। बाजार खुले तो बेडशीट की बाजार में मांग हो और फिर से बेडशीट उद्योग को संजीवनी मिले।

फैक्ट्री संचालक पंकज जैन ने बताया कि बेडशीट उद्योग के अलावा पैकिग उद्योग भी इसी से जुड़ा है। इस तरह से करीब सवा तीन हजार परिवार प्रभावित हुए हैं। उनके सामने रोजी-रोटी का संकट है। कोरोना संक्रमण समाप्त हो और बाजार में मांग हो, तभी उद्योग को शुरू किया जा सकता है।

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