डॉ संजीव बालियान: छोटे गांव में जन्‍मे, हिसार में की पीएचडी, केंद्र में बने मंत्री, दंगों के बाद राजनीति ने लिया यू-टर्न

23 जून को केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ संजीव बालियान के जन्मदिन पर विशेष मुजफ्फरनगर के गांव कुटबी निवासी संजीव बालियान ने जब राजनीति में कदम रखा तब उन्होंने शायद ही सोचा हो कि वह एक दिन केंद्र में मंत्री बनेंगे। दूसरे लोकसभा चुनाव में चौ. अजीत सिंह को हराया।

By Taruna TayalEdited By: Publish:Tue, 22 Jun 2021 10:38 PM (IST) Updated:Wed, 23 Jun 2021 08:05 AM (IST)
डॉ संजीव बालियान: छोटे गांव में जन्‍मे, हिसार में की पीएचडी, केंद्र में बने मंत्री, दंगों के बाद राजनीति ने लिया यू-टर्न
वेस्ट यूपी में विकास का खाका खींच रहे संजीव बालियान।

मुजफ्फरनगर, जेएनएन। केंद्रीय पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य राज्यमंत्री डॉ संजीव बालियान राजनीतिक किस्मत के धनी हैं। या यूं कहें कि वे भाजपा के उन नेताओं में से हैं जो सियासी पारी शुरू करने से पहले कभी कभार ही संघ की पाठशाला में गए हो। मुजफ्फरनगर के गांव कुटबी निवासी संजीव बालियान ने जब राजनीति में कदम रखा तब उन्होंने शायद ही सोचा हो कि वह एक दिन केंद्र में मंत्री बनेंगे। वर्ष 2013 में सांप्रदायिक दंगों के बाद भाजपा ने उन्हें लोकसभा चुनाव में टिकट दिया। पहले ही चुनाव में उन्होंने वर्ष 2014 में निवर्तमान बसपा सांसद कादिर राणा को चार लाख से अधिक वोटों से शिकस्त दी।

निरंतर बने रहे जनता के बीच

आगे चलकर उन्हें इसका इनाम भी मिला। केंद्र में मिनिस्टर बनाए गए। हालांकि ढाई साल बाद उनसे मंत्री पद वापस ले लिया गया, लेकिन वह निरंतर जनता के बीच बने रहे और 2019 में बेहद कड़े मुकाबले में रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वर्गीय चौ. अजीत सिंह को करीब साढ़े छह हजार मतों से हराया। मोदी सरकार ने केंद्रीय मंत्रिमंडल में उन्हें दूसरी बार तवज्जो दी। गंभीर विषय पर बेबाकी से अपनी बात रखने के लिए जाने जाने वाले डॉ बालियान ने वेस्ट यूपी के लिए अनेक कार्य योजना तैयार की। उन पर अमल भी हो रहा है। मेरठ-करनाल राजमार्ग का चौड़ीकरण उन्हीं के प्रस्ताव पर संभव हो पाया है। वहीं पानीपत-खटीमा राष्ट्रीय राजमार्ग को केंद्र सरकार से स्वीकृति कराई। इसके साथ ही जिले में रेलवे लाइन का दोहरीकरण कराने में उनकी अहम भूमिका रही। जनहित से जुड़े मुद्दों को समय-समय पर लोकसभा में उठाते रहे। उन्होंने लोकसभा में जनसंख्या नियंत्रण बिल पेश किया। इसके साथ ही वेस्ट यूपी में हाई कोर्ट बेंच को लेकर निरंतर मांग कर रहे हैं।

पारिवारिक पृष्ठभूमि

डॉ संजीव बालियान की धर्मपत्नी डॉ सुनीता बालियान हैं। कभी दोनों ने हिसार के विश्वविद्यालय से एक साथ पीएचडी की थी। डॉ बालियान की दो बेटियां हैं। इनके पिता का नाम चौधरी सुरेंद्र सिंह हैं। इनके भाई डॉ विवेक बालियान प्रोफेसर हैं।

सियासी अखाड़े में विरोधियों को किया चित

डॉ बालियान ने सियासी अखाड़े में न केवल रालोद प्रमुख चौधरी अजित सिंह को शिकस्त किया बल्कि विधानसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवारों को को जिताने में अहम भूमिका निभाई। इसके साथ ही जिला पंचायत अध्यक्ष आंचल उन्हीं की वजह से 5 साल का कार्यकाल पूरा कर पाई। आंचल को अध्यक्ष बनाने में अहम भूमिका रही। इस बार भी वह भाजपा प्रत्याशी डॉ वीरपाल निर्वाल को जिताने के लिए भरसक प्रयास कर रहे हैं।

विकास कार्यों को तवज्जो

संजीव बालियान ने अपने लोकसभा क्षेत्र में अनेक विकास कार्य किए, जिसमें संधावली ओवरब्रिज को पूर्ण करा कर यात्रियों को बड़ी राहत दी। इस ओवर ब्रिज के अपूर्ण होने से दो साल में 50 से अधिक लोगों की जान चली गई थी। वह केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को हादसे के सपोर्ट पर ले कर गए व हादसे की मूल वजह बताई। इसके बाद ओवरब्रिज निर्माण में बाधक बने धार्मिक स्थल (मस्जिद) को हटाया गया। इसके बाद पूर्व ब्रिज को पूरा किया गया। इसके साथ ही बुढाना से बागपत रोड का चौड़ीकरण कराया। मुजफ्फरनगर से शुकतीर्थ मार्ग का सौंदर्यीकरण व विस्तारीकरण का प्रस्ताव पास कराया।

23 को जन्मदिन, मिल रही बधाई

डॉ संजीव बालियान का 23 जून को जन्मदिन है। कल वह 49 साल के हो जाएंगे। इंटरनेट मीडिया समेत उन्हें जन्मदिन की शुभकामना देने वालों का तांता लगा है, हालांकि प्रतिवर्ष वह जन्मदिन बेहद सादगी से परिवार के साथ मनाते हैं।

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