वही जोश, वही तैयारी.. इस बार गढ़मुक्तेश्वर में स्नान की बारी

कार्तिक पूर्णिमा पर कोरोना की दो साल की पाबंदी के बाद एक बार फिर गंगा मेले को लेकर लोगों में खासा उत्साह नजर आ रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 16 Nov 2021 09:02 AM (IST) Updated:Tue, 16 Nov 2021 09:02 AM (IST)
वही जोश, वही तैयारी.. इस बार गढ़मुक्तेश्वर में स्नान की बारी
वही जोश, वही तैयारी.. इस बार गढ़मुक्तेश्वर में स्नान की बारी

मेरठ, जेएनएन। कार्तिक पूर्णिमा पर कोरोना की दो साल की पाबंदी के बाद एक बार फिर गंगा मेले को लेकर लोगों में खासा उत्साह नजर आ रहा है। हालांकि मेरठ क्षेत्र में इस बार भी मेला नहीं लग रहा, जिसके चलते अब यहां के श्रद्धालुगण गढ़मुक्तेश्वर स्थित गंगा मेले में जाने की तैयारी कर रहे हैं। कुछ श्रद्धालु भैंसा-बुग्गी और ट्रैक्टर-ट्राली पर सवार होकर गढ़ के लिए निकल भी चुके हैं। इसके अलावा दबथुवा, बहादुरपुर और गढ़ी सहित आसपास के गांव के श्रद्धालु मेले में जाने के लिए उत्साह के साथ तैयारी कर रहे हैं।

लोक गीतों का कम हुआ प्रचलन

बहादुरपुर निवासी मास्टर विक्रम सिंह ने बताया कि पहले मेले में जाते समय महिलाएं लोक गीत गाती थी। लेकिन, अब आधुनिक युग में डीजे का प्रचलन अधिक हो गया है। लोग ट्रैक्टर-ट्राली पर डीजे लगाकर धाíमक भजनों पर थिरकते हुए जाते हैं। गढ़ी निवासी कृष्णवीर चौधरी जटपुरा निवासी चौधरी हदन सिंह ने बताया कि भले ही अब डीजे पर धाíमक भजन चल रहे हो। लेकिन, आज भी घर से निकलते ही मेले में जाते समय महिलाएं लोकगीत गाती हैं। उसके बाद ही डीजे बजते हैं।

कार्तिक मेले में हर वर्ग का सनातनी करता है संस्कार पूरे

खरखौदा : खरखौदा क्षेत्र के गांवों से श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए गढ़मुक्तेश्वर मेले में भारी संख्या में पहुंच रहे है। गंगा किनारे तंबू लगाकर बसेरा कर लिया है। लोग बैलगाड़ी और भैंसा बुग्गी एवं ट्रैक्टर-ट्राली में सवार होकर पहुंच रहे है। मां गंगा के जयकारों ने गढ़ रोड के माहौल को उल्लास से भर दिया है। क्षेत्र के कैली, नालपुर, पांची, खासपुर, कौल समेत अन्य गांवों से श्रद्धालु रवाना होने की तैयारी कर रहे हैं।

दस वर्षो से किया रहा गंगा स्नान

सीएचसी प्रभारी डा. आरके सिरोहा का कहना है कि वे दस वर्षो से गढगंगा मेले में स्नान ध्यान और अनुष्ठान के लिए जाते है। एक सप्ताह तक तंबू लगाकर परिवार के साथ वहीं रहते हैं। गंगा घाट पर लोगों की चिकित्सकीय सेवा भी कर रहे है। उन्होंने बताया कि यह मेला आस्था का केंद्र है। शहरी हो या ग्रामीण सनातन धर्म के हर वर्ग का आदमी इस दौरान गंगा घाट पर आकर संस्कार पूरे करता है। कोरोना के कारण नहीं जाने से काफी आहत हैं।

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