गुरु ग्रंथ साहिब में है संत रविदास की वाणी

सूरजकुंड स्थित गुरुद्वारा श्रीचंद जी में संत रविदास जयंती के उपलक्ष्य में शबद गायन का आयोजन हुआ।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 01 Mar 2021 11:45 PM (IST) Updated:Mon, 01 Mar 2021 11:45 PM (IST)
गुरु ग्रंथ साहिब में है संत रविदास की वाणी
गुरु ग्रंथ साहिब में है संत रविदास की वाणी

मेरठ, जेएनएन। सूरजकुंड स्थित गुरुद्वारा श्रीचंद जी में संत रविदास जयंती के उपलक्ष्य में शबद गायन का आयोजन हुआ। इस अवसर पर गुरुद्वारे से जुड़े सेवादारों को सम्मानित किया गया। सम्मानित होने वालों में 90 वर्षीय प्रीतम कौर भी शामिल रहीं। वे पिछले 70 सालों से गुरुद्वारे में नियमित रूप से सेवा और सिमरन करने आती हैं। ज्ञानी चरनजीत सिंह ने सुखमनी साहिब का पाठ किया।

प्रसिद्ध रागी जत्थे जसमीत सिंह मीत ने बहुत जनम बिछड़े थे साधो, तोहि मोहि मोहि तोहि अंतर कैसा आदि शबदों का गायन किया। जसवीर सिंह ने कहा कि गुरु ग्रंथ साहिब में छह गुरुओं के साथ 15 भगतों की वाणियां भी दर्ज हैं। संत रविदास द्वारा रचित कई छंद गुरु ग्रंथ साहिब में हैं। इनका पाठ प्रतिदिन सिख समाज के लोग करते हैं। भगत रविदास की वाणी से हम अपने जीवन को सफल बना सकते हैं। नरेंद्र कौर, चरण सिंह भाटिया, उदय सिंह, गुरमीत सिंह, कंचन आदि को सरोपा भेंट कर सम्मानित किया गया। उपस्थित संगत ने एक दूसरे को संत रविदास जयंती की बधाई दी। वीर खालसा दल के मनजीत सिंह कोछड़, तजेंद्र सिंह, हरजीत सिंह मौजूद रहे। दुख का मूल कारण पाप है : संत भारत भूषण : सुख दुख के मूल कारण पुण्य और पाप है। पाप और पुण्य दोनों का संबंध कषाय से होता है। यदि कषाय न हो तो फिर पुण्य और पाप का बंध कभी होगा ही नही। उक्त प्रवचन भारत भूषण महाराज ने हस्तिनापुर स्थित कैलाश पर्वत पर चल रहे भक्तामर पाठ के दौरान कहे।

महाराज श्री ने कहा कि विशाल हृदय वाले व्यक्ति को सुख चैन की रत्ती भर भी फिक्र नही होती। बल्कि वह सदैव समर्पण की भावना से ओतप्रोत रहता है। विधान एवं पाठ के चौदहवें दिन सर्वप्रथम मंगलाष्टक सकलीकरण के पश्चात मंत्रोच्चारण पूर्वक भगवान आदिनाथ के अभिषेक के साथ शांतिधारा की मांगलिक क्रियाएं की गई। स्वर्ण कलश से अभिषेक कमल जैन एवं शांतिधारा करने का सौभाग्य पारस जैन को प्राप्त हुआ। मंगल दीप प्रज्वलन करने का सौभाग्य प्रियंक जैन को प्राप्त हुआ। पाठ में 101 परिवारों भाग लेकर पुण्य का अर्जन किया। सांयकाल में भगवान आदिनाथ की मंगल आरती की गई। तत्पश्चात पंच परमेष्ठी आरती का आयोजन किया गया। रात्रि में मंदिर प्रागंण में गुरुकुल के छात्रों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए। कार्यक्रम में अध्यक्ष विनोद जैन, महामंत्री मुकेश जैन, कोषाध्यक्ष राजेंद्र जैन, महाप्रबंधक मुकेश जैन, मनोज जैन, राजीव जैन, प्रेम जैन, विपिन शर्मा सहित गुरुकुल के बच्चों का सहयोग रहा।

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