संस्कारशाला::: रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून

जल ही जीवन है। जल के बिना जीवन की कल्पना केवल स्वप्न है लेकिन आज के समय में जनसंख्या व सबमर्सिबल पंप की संख्या बढ़ने में के कारण जल संकट और गहराता जा रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 12 Nov 2019 03:00 AM (IST) Updated:Tue, 12 Nov 2019 06:24 AM (IST)
संस्कारशाला::: रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून
संस्कारशाला::: रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून

मेरठ,जेएनएन। जल ही जीवन है। जल के बिना जीवन की कल्पना केवल स्वप्न है, लेकिन आज के समय में जनसंख्या व सबमर्सिबल पंप की संख्या बढ़ने में के कारण जल संकट और गहराता जा रहा है। इससे पानी का अंधाधुंध दोहन तो हो ही रहा है, साथ ही व्यर्थ बहाया भी जा रहा है। हालात यह हैं कि पानी दूध की तरह बंद बोतलों में बिक रहा है। यदि हम समय रहते जागरूक न हुए तो आने वाली पीढि़यां बूंद-बूंद को तरसेंगी। इससे इतर, समाज में कुछ जागरूक लोग जल संरक्षण की दिशा में काम भी कर रहे हैं। जल संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वाले जल पुरुष राजेंद्र सिंह का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है।

जल पुरुष राजेंद्र सिंह

जल पुरुष राजेंद्र सिंह का जन्म छह अगस्त 1959 को बागपत जिले के डोला ग्राम में हुआ था। उन्होंने आयुर्विज्ञान में स्नातक की डिग्री हासिल की। जिस जल संकट को लेकर सरकार आज गंभीर हुई है, उस संकट को राजेंद्र सिंह बहुत पहले ही भांप गए थे। जल की समस्या को लेकर उन्होंने बहुत पहले ही प्रयास शुरू कर दिए थे। उन्होंने अपने विवाह के महज डेढ़ साल बाद ही सारी संपत्ति महज 23 हजार रुपये में बेच दी थी। आठ हजार रुपये बैंक में जमा करके बाकी बचे रुपयों से जल संरक्षण का कार्य शुरू कर दिया।

जुड़ने लगे कदम, बढ़ता गया कारवां

राजेंद्र शुरू में तो अकेले ही इस कार्य में लगे थे। कुछ समय बाद उनके चार दोस्त भी जुड़ गए। तब उन्होंने 'तरुण भारत संघ' की स्थापना की और एक हजार गांवों तक पानी पहुंचाने का कार्य किया। राजस्थान के हजारों गांव पानी के बिना उजड़ गए। तब जल पुरुष राजेंद्र सिंह के अथक प्रयासों से उनका पुर्नवास हो सका। उस समय इन्होंने सात नदियों को भी पुनर्जीवित किया। जोहड़ों का निर्माण करने के लिए प्राचीन भारतीय तकनीक का आधुनिक तरीका अपनाया। उनकी टीम ने 25 साल में 10 हजार से अधिक जोहड़ बनाए।

जल पुरुष से प्रेरणा

जल पुरुष राजेंद्र सिंह से प्रेरणा लेकर सरस्वती शिशु मंदिर इंटर कॉलेज शास्त्रीनगर में भी जल संरक्षण की व्यवस्था की गई है। वर्तमान में विद्यालय परिसर में चार वाटर हारवेस्टिंग सिस्टम हैं। बच्चों को भी समय-समय पर जल संरक्षण के तौर-तरीके बताए जाते हैं।

भाषण एवं पोस्टर प्रतियोगिताएं

छात्रों को जल संरक्षण के प्रति जागरूक करने के लिए विद्यालय में समय-समय पर भाषण व पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। छात्र-छात्राएं इन प्रतियोगिताओं में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं और भाषण के अलावा सुंदर चित्र भी बनाते हैं।

एक अपील..

विद्यालय में प्रतिदिन वंदना सत्र में बच्चों को जल बचाने के प्रति जागरूक किया जाता है। बच्चे भी जल संरक्षण के प्रति जागरूक हैं, वो कहीं भी व्यर्थ बहता पानी देखते हैं तो जरूरी कदम उठाते हैं।

यह देते हैं संदेश

- हमें जल बचाने के प्रति जागरूक होना चाहिए।

- बारिश के जल के संचयन की व्यवस्था होनी चाहिए।

- जल स्तर को उठाने के लिए पौधरोपण को बढ़ावा देना चाहिए।

- हम सभी को यह प्रण लेना चाहिए कि हम अपने जन्म दिवस पर एक पौधा जरूर लगाएं। - कृष्ण कुमार शर्मा, प्रिंसिपल, बीबीएसएसएम इंटर कॉलेज, शास्त्रीनगर

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