मंत्री जी! ढाई लाख पहले लेते हैं फिर मरीज को भर्ती करते हैं मेरठ के ये निजी अस्पताल
सांसद और विधायकों ने बुधवार को जनपद के प्रभारी मंत्री श्रीकांत शर्मा के साथ बैठक के दौरान जहां तमाम सुझाव दिए वहीं अफसरों और निजी अस्पतालों की शिकायतें भी कीं। जन प्रतिनिधियों की शिकायत थी कि निजी अस्पताल कोरोना मरीजों को भर्ती करने में मनमानी कर रहे हैं।
मेरठ, जेएनएन। सांसद और विधायकों ने बुधवार को जनपद के प्रभारी मंत्री श्रीकांत शर्मा के साथ बैठक के दौरान जहां तमाम सुझाव दिए, वहीं अफसरों और निजी अस्पतालों की शिकायतें भी कीं। जन प्रतिनिधियों की शिकायत थी कि निजी अस्पताल कोरोना मरीजों को भर्ती करने में मनमानी कर रहे हैं। सिफारिश के बाद भी पहले ढाई लाख रुपये जमा कराते हैं, उसके बाद ही इलाज शुरू करते हैं। जन प्रतिनिधियों ने कहा कि सुभारती अस्पताल सबसे ज्यादा क्षमता वाला अस्पताल है लेकिन वह पैसे वालों और बाहरी मरीजों को ही भर्ती करता है। शिकायत के बावजूद अफसर इन निजी अस्पतालों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। पुलिस और प्रशासन कोरोना कफ्यरू का सख्ती से पालन नहीं करवा पा रहा। बाजारों में भीड़ उमड़ रही है और कोविड गाइडलाइन का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है। प्रभारी मंत्री ने सभी जनप्रतिनिधियों के सुझावों को हाथों हाथ लिया और शिकायतों पर सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया।
इन लोगों ने उठाए सवाल
भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी, सांसद राजेंद्र अग्रवाल, राज्यसभा सदस्य कांता कर्दम, दक्षिण विधायक सोमेंद्र तोमर, दिनेश खटीक विधायक हस्तिनापुर, जितेंद्र सतवई विधायक सिवालखास, सत्यवीर त्यागी विधायक किठौर, अश्वनी त्यागी एमएलसी, डा. सरोजिनी अग्रवाल एमएलसी, भाजपा जिलाध्यक्ष अनुज राठी और भाजपा महानगर अध्यक्ष मुकेश सिंघल।
तीसरी लहर से मुकाबले की नींव रख गए प्रभारी मंत्री
- आगामी एक साल में हमें शहर और ग्रामीण क्षेत्र में क्या नए संसाधन जुटाने हैं, उनका प्रस्ताव तैयार करें।
- भर्ती की आस में वाहन में घूमते-घूमते ही मरीज की मौत की घटना अब न हो।
- 40 फीसद आक्सीजन सिलेंडर ऐसे लोगों के घरों में हैं जिन्हें जरूरत नहीं है। एक-एक सिलेंडर की मानिटरिंग की जाए।
- सुभारती और दूसरे अस्पतालों की लिखित शिकायत पीड़ित से कराएं। डीएम इन शिकायतों की जांच कराकर सख्त कार्रवाई करें।
- गांवों में सैनिटाइजेशन अच्छा नहीं है। डीपीआरओ को नोटिस दें।
- शहर में किए जा रहे सैनिटाइजेशन व अन्य अच्छे कार्यो का प्रचार प्रसार किया जाए।
- प्रत्येक कोविड निजी अस्पताल में हेल्पडेस्क बनाएं, जहां तीमारदारों को मरीजों की सेहत की जानकारी दी जाए।
- सीएमओ प्रयास करें कि अधिकांश निजी अस्पताल अपना आक्सीजन प्लांट लगाएं।
- रैपिड रेस्पांस टीम की संस्तुति के बाद मरीज को भर्ती करने में विलंब न किया जाए।
- पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी कोरोना कफ्यरू का सख्ती से पालन कराएं।
- डीएम प्रत्येक सप्ताह जन प्रतिनिधियों के साथ बैठक करें।
प्रभारी मंत्री को बताईं ये समस्याएं..
- मेडिकल से मरीज गायब हो जाते हैं, वहां भर्ती भाजपा मंडल अध्यक्ष मंगलसेन ने अंदर का हाल बताया तो उसे रात में पीटा गया। दो दिन बाद उनकी मौत हो गई। कुल तीन मामले हैं। इनकी जांच जरूरी है।
- कोरोना कफ्यरू का पालन नहीं हो रहा है। कुछ बाजार ऐसे हैं जहां रोजाना भीड़ उमड़ रही है।
- तीसरी लहर में बच्चों पर खतरे को देखते हुए अभी से व्यवस्थाएं सुनिश्चित कराई जाएं। डफरिन में बच्चों के लिए बेड आरक्षित किए जाएं।
- आयुर्वेदिक चिकित्सा से कोरोना का इलाज करने को अस्पताल तैयार हैं। सरकार की अनुमति का इंतजार है।
-हरियाणा की भांति गांव-गांव में वार्डवार प्लान बनाकर मोबाइल वैन से वैक्सीनेशन कराया जाए।
- अस्पतालों को आक्सीजन बीएचईएल हरिद्वार से सीधे लाने को कहा जाए। होम आइसोलेशन वाला कोई मरीज आक्सीजन के लिए नहीं भटकेगा, न कालाबाजारी होगी।
- भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने कहा कि सुभारती अस्पताल लेवल-3 का सबसे ज्यादा क्षमतावान अस्पताल है लेकिन वह डीएम, एसएसपी, सीएमओ समेत किसी की नहीं सुनता। मनमानी करता है। धनवान और बाहरी मरीजों को ही भर्ती करता है। उससे लेवल तीन की अनुमति वापस ली जाए।
- मेडिकल कालेज में पूर्व चिकित्सकों तथा स्टाफ की मदद से सुविधाएं बढ़ाई जाएं। मेरठ में ही रह रहे ऐसे लोगों के नाम और मोबाइल नंबर की सूची भी उन्होंने उपलब्ध कराई।
-मेडिकल कालेज 1200 बेड वाला अस्पताल है लेकिन स्टाफ की कमी के चलते यहां केवल 200 बेड का ही इस्तेमाल कोविड के इलाज के लिए हो पा रहा है। रिटायर स्टाफ की मदद से इन सारे बेड का प्रयोग किया जाए।
-जनपद में आक्सीजन का सिलेंडर बैंक बनाया जाए ताकि हाथों-हाथ भरा सिलेंडर दिया जा सके। लोगों से अतिरिक्त सिलेंडर जमा कराने की अपील की जाए।
- रेमडेसिविर की ऐसी व्यवस्था की जाए कि तीमारदार को उसके लिए भटकना न पड़े। कालाबाजारी को भी रोका जा सके।
- एक ऐसी व्यवस्था की जाए जहां से गंभीर रोगियों को बेड, आक्सीजन और अन्य जीवनरक्षक दवाईयों का आवंटन किया जा सके।
- टेस्टिंग संख्या बढ़ाई जाए ताकि कोरोना संक्रमितों का जल्द से जल्द पता लगाया जा सके।
- गांवों में मरीजों को उनके नजदीक ही इलाज उपलब्ध कराया जाए।
- गंगानगर के आइआइएमटी अस्पताल में हमने पांच मरीज भेजे। सभी से पहले ढ़ाई लाख रुपये जमा कराए गए, फिर उन्हें भर्ती किया गया। वो भी आक्सीजन स्तर 90 वाले, गंभीर मरीजों को भर्ती करने से ही इंकार कर दिया गया। डीएम से शिकायत की गई लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।
- हस्तिनापुर में जैन धर्मशाला में सैकडों कमरे हैं। वहां 100 बेड से ज्यादा का कोविड अस्पताल आसानी से बनाया जा सकता है। सीएचसी मवाना, हस्तिनापुर और परीक्षितगढ़ में 25-25 आक्सीजन बेड की सुविधा दी जा सकती है। पूरे क्षत्र में 200 बेड की सुविधा हो सकती है। इससे वहां के मरीजों को मेरठ लाने की जरूरत नहीं होगी।
- मवाना सीएचसी में स्वीकृत आक्सीजन जेनरेशन प्लांट की स्थापना जल्द कराई जाए।
- निजी अस्पतालों की मनमानी पर अंकुश लगाया जाए।
-कोरोना की जांच रिपोर्ट में पांच दिन लगते हैं। इसे 24 घंटे में उपलब्ध कराया जाए।
- टेलीमेडिसिन से चिकित्सक उपलब्ध कराए जाएं ताकि वे शुरूआती लक्षण में ही इलाज शुरू कर सकें।