कोरोना से बचाव : ब्लड थिनर और स्टेरायड बचा रहे जान, पढ़िए क्‍या कहते हैं मेरठ के डाक्‍टर

कोरोना मरीजों की मौत की सबसे बड़ी वजह इंफ्लामेशन और हार्ट अटैक है जिसके लिए सही समय पर स्टेरायड और रक्त पतला करने की दवाएं देना जरूरी है। कोरोना संक्रमण के दौरान मरीज तमाम दवाएं ल रहे हैं। वायरस सातवें दिन शरीर में कमजोर पड़ जाता है।

By Prem Dutt BhattEdited By: Publish:Sun, 02 May 2021 09:00 PM (IST) Updated:Sun, 02 May 2021 09:00 PM (IST)
कोरोना से बचाव : ब्लड थिनर और स्टेरायड बचा रहे जान, पढ़िए क्‍या कहते हैं मेरठ के डाक्‍टर
ब्‍लड थिनर और स्‍टेरायड कोरोना में कारगर साबित हो रहे हैं।

मेरठ, जेएनएन। Rescue from Corona कोरोना वायरस बेशक रहस्यमयी है और दर्जनों दवाएं व थेरैपी फेल हो चुकी हैं, लेकिन सस्ती और प्रचलित स्टेरायड रामबाण साबित हुई हैं। कोरोना मरीजों की मौत की सबसे बड़ी वजह इंफ्लामेशन और हार्ट अटैक है, जिसके लिए सही समय पर स्टेरायड और रक्त पतला करने की दवाएं देना जरूरी है। कोरोना संक्रमण के दौरान मरीज तमाम दवाएं ल रहे हैं। गांवों में लोग बड़ी संख्या में संक्रमित हैं,जो मेडिकल स्टोर से या झोलाछाप से इलाज करा रहे हैं। तबीयत बिगडऩे पर अस्पताल पहुंचते हैं, तब तक वायरस फेफड़े और हार्ट को भारी नुकसान पहुंचा चुका होता है।

पांचवें दिन सावधानी जरूरी

मेडिकल कालेज के कोविड वार्ड में मरीजों का इलाज कर रहे डाक्टरों के मुताबिक लक्षण उभरने से सातवें और नौवें दिन के बीच स्टेरायड बेहद कारगर साबित हो रही है। खांसी एवं बुखार की स्थिति में इन्हेल्ड स्टेरायड लेने से तबीयत में तेजी से सुधार होता है। कई बार मरीजों की सीआरपी, फेरटिन, डी-डाइमर एवं आइएल-6 की जांच कर शरीर के अंदर सूजन का आकलन किया जाता है। अगर ये इन्फ्लामेटरी मार्कर बढ़े मिलें तो स्टेरायड देना बेहद जरूरी होता है। पांचवें दिन के बाद भी बुखार बना रहे तो सावधान रहना चाहिए।

इनका कहना है

लक्षण उभरने वाले दिन को पहला दिन मानकर चलें। सातवें से नौवें दिन स्टेरायड देने से इन्फ्लामेशन नियंत्रित किया जाता है, जिससे मरीजों की जान बच रही है। शुगर के मरीजों को भी स्टेरायड देने में कोई हर्ज नहीं, बस उन्हें शुगर बढ़ाने वाली चीजें नहीं खानी चाहिए। रेमडेसिविर व प्लाज्मा थेरैपी बेअसर साबित हुई, लेकिन स्टेरायड जिंदगी बचा रही है।

- डा. तनुराज सिरोही, फिजीशियन

सीआपी समेत इंफ्लामेटरी मार्कर ज्यादा हों व आक्सीजन कम होने से सांस उखडऩे लगे तो स्टेरायड काफी कारगर है। वायरस सातवें दिन शरीर में कमजोर पड़ जाता है, लेकिन इसके साइड इफेक्ट से स्थिति गंभीर होती है। दिल की नसों में थक्का बनने से हार्ट अटैक का खतरा रहता है। ऐसे में सटीक समय पर ब्लड थिनर भी देना बेहद जरूरी है।

- डा. वीरोत्तम तोमर, श्वांस एवं छाती रोग विशेषज्ञ

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