मेरठ में गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्‍या पर हुआ नाटक का मंचन, लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों को ललकारा मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी

मेरठ में गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर संस्कृत नाटक स्वतंत्रताया क्रांति का मंचन हुआ। कलाकारों ने नाटक का मंचन करते हुए लोगों में देशभक्ति भरी। नाटक के दौरान अंग्रेजों को ललकारते हुए रानी लक्ष्मीबाई ने कहा कि मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी किसी भी कीमत पर नहीं दूंगी।

By Himanshu DwivediEdited By: Publish:Mon, 25 Jan 2021 09:56 PM (IST) Updated:Mon, 25 Jan 2021 09:56 PM (IST)
मेरठ में गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्‍या पर हुआ नाटक का मंचन, लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों को ललकारा मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी
मेरठ के सीसीएसयू में नाटक का मंचन हुआ।

मेरठ, जेएनएन। भारतीय सैनिकों ने गाय और सुअर की चर्बी से बने कारतूस का इस्तेमाल करने से मना कर दिया। मंगलपांडे ने सार्जेंट को गोली मार दी। अंग्रेजों ने उन्हें फांसी पर चढ़ा दिया। मेरठ की लाइट कैवेलियरी के 85 सैनिकों का कोर्ट मार्शल कर दिया गया। फिर क्या क्रांति की ज्वाला भड़क उठी। दूसरी ओर अंग्रेजों को ललकारते हुए रानी लक्ष्मीबाई ने कहा कि मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी, किसी भी कीमत पर नहीं दूंगी। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर संस्कृत नाटक स्वतंत्रताया क्रांति का मंचन हुआ। उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान लखनऊ और मुक्ताकाश नाट्य संस्थान की ओर से आयोजित नाटक चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के नेताजी सुभाष चंद्र बोस प्रेक्षागृह में हुआ।

नाटक की शुरुआत अकबर काल में किंग जेम्स से हुई। ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में व्यापार करने आती है। धीरे-धीरे पूरे देश की सत्ता पर काबिज होती है। अंग्रेज किसानों और भारतीय सिपाहियों का शोषण करने लगते हैं। महारानी लक्ष्मीबाई के दत्तक पुत्र को झांसी का वारिस मानने से मना कर देते हैं। फिर क्या रानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजों को ललकाराते उनके खिलाफ खड़ी होती हैं।

और गोरो को मौत के घाट उतारा

10 मई 1857 में मेरठ क्रांति के दृश्य को भी दिखाया गया । कालीपल्टन से क्रांति की ज्वाला भड़कती है। सैनिकों ने जेल पर हमला कर अंग्रेजों को मौत के घाट उतार दिया। मेरठ से दिल्ली चलों के नारे गूंजने लगे। नाटक का निर्देशन सुरेंद्र दत्त कौशिक और सहायक निर्देशन आकाशदीप कौशिक का रहा। नाटक में भरत कुमार चौहान, अरुण प्रताप, सनी यादव, भार्गव, सत्यव्रत तोमर, मोहित, विनीत, रूद्र प्रताप सिंह, अंकुर यादव, विनय आर्य, दिलीप कुमार, देवव्रत, देवेंद्र शास्त्री, अनम, शाजिया, ईशा, अभिषेक, भारत, शिवानी, कीर्तिका, तान्या, माही शर्मा, रितिका गोस्वामी, देव बंसवाल, काव्या, श्रीकांत, कुलदीप अभय प्रताप, विनय रतन गौतम आदि अलग- अलग किरदार को जीवंत किया।

एक महीने की कार्यशाला से निखरे प्रतिभागी

नाटक में गुरुकुल महाविद्यालय ततारपुर और मेरठ के छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया। संवाद संस्कृत में रहे। उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के अध्यक्ष डा. वाचस्पति मिश्र ने बताया कि छात्र-छात्राओं को एक महीने तक संस्कृत भाषा और थिएटर और भारतीय रंगमंच का प्रशिक्षण दिया गया। देववाणी संस्कृत को जनजन तक पहुंचाने के लिए ऐसे कार्यक्रम किए जा रहे हैं। सांसद राजेंद्र अग्रवाल, मुख्य संयोजक कमल दत्त शर्मा, मुख्य समन्वयक आचार्य कुशलदेव रहे। संस्कृत भाषा प्रशिक्षण डा. इशेंद्र कुमार पाराशर का सहयोग रहा।  

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