मेडिकल इमरजेंसी का गेट खुला तो मिली राहत
मेडिकल कालेज में भटकते-भटकते कई जिदंगी खत्म होने के बाद आखिरकार गुरुवार को इमरजेंसी के मुख्य द्वार को खेल दिया गया।
मेरठ,जेएनएन। मेडिकल कालेज में भटकते-भटकते कई जिदंगी खत्म होने के बाद आखिरकार गुरुवार को इमरजेंसी के मुख्य द्वार को खोल दिया गया। अब तक मरीजों की परेशानी को छिपाने की कोशिश कर रहे मेडिकल प्रशासन की लापरवाही से बुधवार को ही एक महिला को अपनी जान गंवानी पड़ी।
गुरुवार सुबह इमरजेंसी का मुख्य द्वार खोल देने से मरीजों को लेकर पहुंच रहे स्वजन को काफी राहत मिली। जो भी लोग इमरजेंसी में पहुंचे, उन्हें बिना देर किए भीतर ले जाने की व्यवस्था की गई। इस व्यवस्था का असर भी दिखा। शहर या बाहर से जो भी लोग मरीज लेकर पहुंचे, उन्हें इमरजेंसी में भर्ती कराया गया। स्वजन में इस बात से ही सुकून दिखा कि कम से कम मरीज को भर्ती कर प्राथमिक उपचार की शुरुआत की जा रही है।
अब तो मरीज भी कम आ रहे
मेडिकल कालेज में पिछले कुछ दिनों से नए मरीज आने की संख्या कुछ कम हुई है। जांच शिविर में भी अब लंबी कतार नहीं दिख रही है। न ही इमरजेंसी के बाहर हाहाकार मचा है। ऐसे में जो भी मरीज पहुंच रहे हैं, उन्हें बेहतर उपचार और उनकी सेहत की निरंतर जानकारी मिलती रहे, यही स्वजन की अपेक्षाभर है।
बुधवार को हुस्नआरा की मृत्यु के बाद गुरुवार को डा. हर्षवर्धन ने इमरजेंसी का मुख्य गेट खुलवाकर मरीजों व स्वजन को राहत देने की कोशिश की। परेशानियों को छिपाने को बंद हुआ दरवाजा
इलाज के लिए पहुंचने वाले मरीजों को लेकर स्वजन सबसे पहले मेडिकल इमरजेंसी में ही पहुंचते हैं। वर्तमान में कोविड से अधिक इमरजेंसी और क्या होगी? इमरजेंसी के मुख्य गेट पर मरीजों की परेशानियां दिखती रहती थी, जिसे छिपाने के लिए ही मरीजों की एंट्री पिछले दरवाजे से कराई जाने लगी। कई दिन तक कायम इस व्यवस्था के दौरान मेडिकल कालेज में इमरजेंसी और कोविड के चक्कर में कुछ मरीज गुजर गए तो कुछ की हालत और भी खराब हो गई।