लाल रंग के एलएचबी कोच को हरी झंडी का इंतजार

नीले रंग के पारंपरिक रेलवे कोच अब गुजरे जमाने की बात हो जाएंगे। प्रयागराज जाने के लिए अब यात्री जर्मन तकनीकि वाले एलएचबी यानी लिक हाफमैन बुश कोच में सफर का आनंद ले सकेंगे।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 29 Oct 2020 07:15 AM (IST) Updated:Thu, 29 Oct 2020 07:15 AM (IST)
लाल रंग के एलएचबी कोच को हरी झंडी का इंतजार
लाल रंग के एलएचबी कोच को हरी झंडी का इंतजार

मेरठ, जेएनएन। नीले रंग के पारंपरिक रेलवे कोच अब गुजरे जमाने की बात हो जाएंगे। प्रयागराज जाने के लिए अब यात्री जर्मन तकनीकि वाले एलएचबी यानी लिक हाफमैन बुश कोच में सफर का आनंद ले सकेंगे। मेरठ आने के लिए ये कोच प्रयागराज स्टेशन के यार्ड में तैयार खड़े हैं। कोरोना काल में सात माह से बंद चल रही संगम एक्सप्रेस में भी ये कोच लगेंगे। इन कोच की खासियत यह है कि ये पारंपरिक कोच आइसीएफ यानी इंटीग्रल कोच फैक्ट्री की तुलना में कहीं ज्यादा सुरक्षित होते हैं और इनमें सफर ज्यादा आरामदायक होता है। भीषण हादसे में भी यात्रियों की सुरक्षा की संभावना अधिक होती है। संगम एक्सप्रेस का संचालन उत्तर मध्य रेलवे के प्रयागराज डिवीजन द्वारा किया जाता है। उत्तर मध्य रेलवे के अधिकारियों ने उत्तर रेलवे के दिल्ली डिवीजन को संगम एक्सप्रेस चलाने के लिए अनुमति देने की मांग की है। साथ ही कहा है कि 22 एलएचबी कोच तैयार हैं, जिन्हें पुराने कोच से रिप्लेस किया जाना है। इसकी फिजीबिलिटी चेक करने के निर्देश दिए हैं। सिटी रेलवे स्टेशन के अधीक्षक आरपी सिंह ने बताया कि एलएचबी कोच के साथ संगम ट्रेन संचालन की बात की गई है, पर इसकी अभी कोई तिथि निश्चित नहीं है।

एंटी क्लाइंबिग फीचर से

लैस होते हैं एलएचबी

आइसीएफ कोचों की तुलना में एलएचबी कोच हल्के होते हैं, पर इनमें भार वहन और तेज गति से चलने की क्षमता अधिक होता है। जर्मन कंपनियों से तकनीकि हस्तांतरण के बाद ये कोच कपूरथला रेल कोच फैक्ट्री में तैयार हो रहे हैं। ये कोच 200 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से ट्रैक पर दौड़ सकते हैं। इनकी बाहरी बाड़ी माइल्ड स्टील की और अंदर का इंटीरियर एल्युमिनियम का होता है। इसमें एंटीटेलिस्कोपिक तकनीकि से दो कोचों को जोड़ा जाता है, जिससे हादसा होने पर यह एक दूसरे पर चढ़ते नहीं। इसमें डिस्क ब्रेक का प्रयोग होता है। बताते चलें कि आइसीएफ कोच एक दूसरे के उपर चढ़ जाते हैं, जिससे यात्रियों के मौत की आशंका बढ़ जाती है। एलएचबी वातानुकुलित कोच की कूलिग भी दमदार होती है। ट्रेन चलने पर इनमें शोर भी कम होता है। ये कोच तुलनात्मक रूप से लंबे होते हैं जिससे एक कोच में यात्रियों की संख्या भी बढ़ जाती है। सामान रखने की रैक भी बड़ी होती है इसके साथ चौड़ी खिड़कियों पर आराम से बाहर का नजारा लिया जा सकता है। हाइड्रोलिक और साइड सस्पेंशन से सौ किलोमीटर की रफ्तार से चलने पर भी यात्रियों को झटका नहीं महसूस होगा।

एलएचबी कोच एक नजर में

-स्लीपर और एसी कोच में आठ सीटें बढ़ जाएंगी।

-200 किलोमीटर प्रति घंटा होगी।

-लंबाई 23.54 मीटर व भार 39.5 टन।

-चौड़ाई 3.24 मीटर

-एक कोच में एक ओर तीन शौचालय होंगे।

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