राकेश टिकैत ने कहा, कृषि कानून के विरोध में आंदोलन जारी रहेगा, फटे टेंट बदले जाएंगे

कंकरखेड़ा के जंगेठी गांव में पीड़ित स्वजन और नर्सिंग होम में भर्ती घायलों को देखने आए थे राकेश टिकैत। गढ़मुक्तेश्वर से गंगास्नान कर टेंपो से वापस जंगेठी आ रहे एक ही परिवार के दस व्यक्ति सड़क हादसे का शिकार हो गए थे।

By Taruna TayalEdited By: Publish:Sat, 06 Nov 2021 07:00 AM (IST) Updated:Sat, 06 Nov 2021 07:00 AM (IST)
राकेश टिकैत ने कहा, कृषि कानून के विरोध में आंदोलन जारी रहेगा, फटे टेंट बदले जाएंगे
राकेश टिकैत ने कहा, कृषि कानून के विरोध में आंदोलन जारी रहेगा।

मेरठ, जेएनएन। कंकरखेड़ा के जंगेठी गांव में शुक्रवार को पहुंचे भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत ने मीडिया से बातचीत में कहा कि कृषि कानून खत्म होने तक आंदोलन जारी रहेगा। पांच साल तक सरकार समय होता है, उसी तरह पांच सालों तक आंदोलन भी रहेगा।

गढ़मुक्तेश्वर से गंगास्नान कर टेंपो से वापस जंगेठी आ रहे एक ही परिवार के दस व्यक्ति सड़क हादसे का शिकार हो गए थे, जिनमें से दो व्यक्तियों की मौत हो गई थी, जबकि बाकी घायल हुए थे। गांव में पीड़ित स्वजनों को सांत्वना देने और नर्सिंग होम में भर्ती घायलों को देखने राकेश टिकैत पहुंचे थे। जंगेठी गांव निवासी मुकेश पुत्र नेपाल, मुकेश पुत्र रामपाल संजय, विनोद, अंकित, कल्लू, मनीष, रविंद्र, श्रीपाल और राजू समेत एक अन्य व्यक्ति बुधवार देर रात टेंपो में सवार होकर गंढ़ गंगास्नान को गए थे। यह सभी एक ही परिवार के सदस्य हैं।

गुरुवार तड़के करीब तीन बजे सभी व्यक्ति गढ़गंगा से वापस अपने गांव आने को रवाना हुए। रास्ते में तेज रफ्तार में जा रहे ट्रक की टेंपो से टक्कर हो गई। टेंपो पलट गया। हादसे में दोनों मुकेश की मौत हो गई, दोनों ही बचपन के दोस्त थे। जबकि अन्य सभी घायल हैं। सूचना पर परिवार में कोहराम मच गया। स्वजन मौके पर पहुंचे और जानकारी की। घायलों को कंकरखेड़ा के अस्पताल में लाकर भर्ती कराया।

किसानों की मौत की सूचना पर शुक्रवार को भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत पहले जंगेठी गांव पहुंचे और पीड़ित स्वजनों को सांत्वना दी। उसके बाद वह कंकरखेड़ा के नर्सिंग होम में घायलों को देखने पहुंचे। इस दौरान मीडिया से बातचीत में टिकैत ने कहा कि विधानसभा चुनाव में वह किसी राजनीतिक मंच पर नहीं दिखेंगे। किसान खुद अपनी रैली करेंगे। आंदोलन जारी रहेगा।

26 नवंबर से बार्डर पर लगे जो टेंट फट गए हैं, उनको बदलने का काम शुरू होगा। किसान ट्रेक्टरों से बार्डर पर पहुंचकर आंदोलन में लगातार शामिल हो रहे हैं। सरकार अपना तानाशाही रवैया खत्म करे, तो बात बन सकती है। बबलू जिटौली, हर्ष चहल, अनुराग चौधरी, आकाश सिरोही, नरेश, इंद्रपाल और सतवीर जंगेठी आदि मौजूद थे।

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