रजवाहा समाएगा और लबालब हो जाएगी काली

काली बरसाती नदी है। लिहाजा बारह माह इसमें पानी तब तक नहीं बह सकत

By JagranEdited By: Publish:Thu, 24 Jun 2021 09:15 AM (IST) Updated:Thu, 24 Jun 2021 09:15 AM (IST)
रजवाहा समाएगा और लबालब हो जाएगी काली
रजवाहा समाएगा और लबालब हो जाएगी काली

रवि प्रकाश तिवारी, मेरठ: काली बरसाती नदी है। लिहाजा बारह माह इसमें पानी तब तक नहीं बह सकता है, जब तक की बड़ी संख्या में नदी किनारे जल स्रोत तैयार न हो जाए। लेकिन इस बीच एक पुराने प्रोजेक्ट को फिर से जिंदा कर काली को नवजीवन देने की कोशिश की जा रही है। काली नदी में जल्द ही 110 क्यूसेक पानी छोड़ा जाएगा। खतौली रजवाहा से सिचाई के बाद बचने वाले पानी को छोड़ने से काली नदी का सफर आसान हो जाएगा। बता दें कि काली में बहाव को लेकर मेरठ, हापुड़ और बुलंदशहर तक ज्यादा समस्या है। इन जिलों में काली पर गंदगी का भारी बोझ है। अलीगढ़ के बाद इसमें फिर नहर का पानी गिरता है और काली बहने लगती है। एक मुकम्मल रजवाहा बहेगा

110 क्यूसेक का मतलब हुआ 110 क्यूबिक फीट प्रति सेकेंड यानी एक सेकेंड में 255 लीटर से अधिक पानी रजवाहे से काली नदी में डाला जाएगा। फिलहाल जो योजना है उसके मुताबिक छह-सात किमी का नाला बनाकर पानी अंतवाड़ा गांव से निकलने वाली काली में डाला जाएगा। बता दें कि खतौली रजवाहा से सिचाई के लिए पानी दिया जाता है, लेकिन बरसात के तीन महीने, नवंबर-दिसंबर में पानी की जरूरत किसानों को कम पड़ती है। ऐसे में वही पानी काली नदी के हवाले कर दिया जाएगा। सिचाई विभाग के अधिकारियों के मुताबिक पानी छोड़ने के बाद नदी में एक रजवाहे के बराबर पानी बहेगा और काली लबालब हो जाएगी। प्रस्ताव 2018 में हो चुका है पास

खतौली रजवाहा से काली नदी में 110 क्यूसेक पानी छोड़ने का प्रस्ताव 2018 में ही बना लिया गया था। इसे शासन ने मंजूर भी कर लिया है। खतौली से अंतवाड़ा माइनर और फिर माइनर से काली नदी में पानी लाने पर खर्च 11.2 करोड़ आंका गया है। इसमें मुजफ्फरनगर प्रशासन का सहयोग काफी जरूरी होगा।

इनका कहना है

हमारा प्रोजेक्ट तैयार है। वरीय अधिकारियों से स्वीकृति के बाद खतौली रजवाहा से मुजफ्फरनगर में पानी डाल देंगे तो इसमें बहाव शुरू हो जाएगा। पानी तब छोड़ा जाएगा, जब किसानों को जरूरत नहीं होती है। वर्षभर में लगभग पांच माह इसमें पानी दिया जा सकता है।

-आशुतोष सारस्वत, एक्सईएन, मेरठ डिविजन, गंगा नहर नदी बचाना हम सभी की जिम्मेदारी है। जिले या मंडल की सीमाएं आड़े नहीं आएंगी। डीएम आपस में बात कर काली की राह में आने वाली दिक्कत को दूर करेंगे। सिचाई विभाग के अधिकारी भी सकारात्मक भाव से काम में जुटे हुए हैं। हम अपने लक्ष्य को हासिल कर लेंगे।

-सुरेन्द्र सिंह, आयुक्त, मेरठ मंडल

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