सहेज लो हर बूंद, वरना बागपत होगा वेस्ट यूपी का रेगिस्तान, पांच वर्ष में गिरा तीन मीटर से ज्यादा भूजल स्तर
भूगर्भ जल विभाग की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2015 में बागपत के छह ब्लाक में भूजल स्तर 14 से 19.25 मीटर था लेकिन मार्च 2020 में 14.93 से 22.64 मीटर गहराई में पहुंच गया यानि पांच साल में 93 सेमी से लेकर 3.39 मीटर भूजल स्तर में गिरावट आई है।
बागपत, जेएनएन। वर्षा जल नहीं सहेजने पर आने वाली पीढ़ी माफ नहीं करेगी, क्योंकि पांच साल में बागपत में भूजल स्तर में तीन मीटर से ज्यादा गिरावट दर्ज की गई है। भूजल स्तर में गिरावट की यही रफ्तार रही तो बागपत वेस्ट यूपी का रेगिस्तान होगा।
भूगर्भ जल विभाग की ताजा रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2015 में बागपत के छह ब्लाक में भूजल स्तर 14 से 19.25 मीटर था, लेकिन मार्च 2020 में 14.93 से 22.64 मीटर गहराई में पहुंच गया, यानि पांच साल में 93 सेमी से लेकर 3.39 मीटर भूजल स्तर में गिरावट आई है। जिले का कोई भी ब्लाक ऐसा नहीं है, जहां भूजल स्तर न गिरा हो। धरती की कोख में सालाना 49348 हेक्टेयर मीटर पानी उपलब्ध है, जिसमें 49 हजार हेक्टेयर मीटर निकासी होती है। यानि भविष्य की खातिर 348 हेक्टेयर मीटर पानी छोड़ रहे हैं। साफ है कि भूजल भंडार खाली होने से बागपत में हालात विस्फोटक हो चले हैं, इसलिए अबकी बार होने वाली बारिश की एक-एक बूंद सहेज कर जमींदोज कर बागपत के माथे से डार्क जोन के कलंक को धो डालिए।
पांच साल का भूजल स्तर ब्योरा
ब्लाक वर्ष 2015 वर्ष 2020
खेकड़ा 19.25, 22.64
पिलाना 14.87, 16.80
बागपत 16.96, 19.36
बिनौली 14.00, 14.93
छपरौली 15.16, 16.36
(उक्त भूजल स्तर मीटर में हैं।)
ऐसे सहेजे बूंदें
लघु सिंचाई विभाग के अवर अभियंता विपिन त्यागी का कहना है कि रेन वाटर हार्वेस्टिंग, शाकपिट, तालाबों और जंगल में कंटूर बांध बनाकर वर्षा जल सहेज सकते हैं।