Rain Effect: अक्‍टूबर की बारिश का इन फसलों पर पड़ेगा असर,गुणवत्ता घटेगी,जानें-मेरठ के विशेषज्ञों की राय

Rain Effect अक्‍टूबर महीने में हो रही बारिश मुसीबतें लेकर आई है। बारिश में धान गिरने के कारण गुणवत्ता में आएगी कमी वहीं दूसरी आलू की फसल को भी नुकसान पहुंचेगा। वहीं मेरठ में विशेषज्ञों के अनुसार सरसों की बुवाई में भी बारिश नुकसानदेय साबित होगी।

By Prem Dutt BhattEdited By: Publish:Mon, 25 Oct 2021 11:50 AM (IST) Updated:Mon, 25 Oct 2021 11:50 AM (IST)
Rain Effect: अक्‍टूबर की बारिश का इन फसलों पर पड़ेगा असर,गुणवत्ता घटेगी,जानें-मेरठ के विशेषज्ञों की राय
आलू बुवाई कर चुके किसानों के लिए भी फसल पर संकट।

मेरठ,जागरण संवाददाता। Rain Effect मेरठ और आसपास के जिलों में अक्टूबर में बारिश एक बार फिर गन्ने की फसल को छोड़ अन्य फसलों के लिए मुसीबत बनकर आई है। रविवार शाम हुई बारिश ने आलू धान से लेकर सब्जी किसानों के माथे पर चिंता की लकीर खड़ी कर दीं। जो किसान आलू व सरसों बुवाई की तैयारी कर रहे थे, अचानक बारिश होने से अब खेत तैयार करने में काफी समय लगेगा। जिन आलू उत्पादक किसानों ने कोल्ड स्टोरेज से आलू का बीज निकालकर घर में रखा हुआ था। उसमें अंकुरण फूटने से आलू के जमाव में काफी परेशानी पैदा होगी।

विशेषज्ञों ने यह कहा

विशेषज्ञों के अनुसार, सरसों की बुवाई में भी बारिश नुकसानदेय साबित होगी। आलू की बुवाई नवंबर के प्रथम सप्ताह तक होनी है। लेकिन अब समय से बुवाई करने वाले किसानों के लिए काफी मुश्किलें खड़ी हो गई हैं। जिन किसानों ने आलू बो दिया था। उनके खेत में बारिश का पानी भरने से आलू मेड से बाहर निकल आएगा। जो नुकसान साबित होगा।

सभी सब्जियों को नुकसान

जिन किसानों के धान की ऊंचाई अच्छी थी, वह बारिश के बाद गिरने की आशंका है। धान की फसल का काफी नुकसान होगा। धान में 30 से 40 प्रतिशत फसल खेत में होगी। धान गिरने के कारण उसकी गुणवत्ता में काफी कमी आएगी। बारिश के कारण टमाटर, तुरई, लौकी, टिंडा, बैंगन, भिंडी, पत्ता गोभी, फूल गोभी, मटर व धनिया आदि की फसल पर भी बुरा प्रभाव पडेगा।

इनका कहना है

धान की गुणवत्ता में काफी कमी आएगी। आलू किसानों के लिए बारिश नुकसान करेगी। सब्जियों पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ेगा। कई सालों के बाद अक्टूबर माह में इतनी बारिश हो रही है। पर्यावरण संतुलन बिगडऩे के कारण मौसम में अत्यधिक परिवर्तन देखने को मिल रहा है। यह किसी भी फसल के लिए ठीक नहीं है।

- प्रो. आरएस सेंगर, कृषि बायोटेक विभाग, कृषि विवि

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