नाड़ी शोधन प्राणायाम हृदय, फेफड़े और मस्तिष्क रखेगा स्वस्थ
कोरोना संक्रमण के बीच जरूरी नहीं कि वह बेहद थकाने वाले या उपकरणों की सहायता से की जाने वाली कसरत ही करें। इसमें में भी खासतौर पर वह लोग जो संक्रमण से हाल ही में उबरे हैं।
मेरठ, जेएनएन। कोरोना संक्रमण के बीच जरूरी नहीं कि वह बेहद थकाने वाले या उपकरणों की सहायता से की जाने वाली कसरत ही करें। इसमें में भी खासतौर पर वह लोग जो संक्रमण से हाल ही में उबरे हैं। साधारण योगासन और प्राणायाम भी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने व श्वसन तंत्र को स्वस्थ रखने में प्रभावी है। यह कहना योग प्रशिक्षक आशीष कुमार का। उन्होंने बताया कि कोरोना काल में नाड़ी शोधन प्राणायाम बेहद सरल है। इससे न सिर्फ हमारे फेफड़े मजबूत होते हैं, बल्कि शरीर में आक्सीजन सही मात्रा में पहुंचता बल्कि हृदय, मस्तिष्क भी स्वस्थ रहता है। ऐसे करें नाड़ी शोधन प्राणायाम
-इसे करने के लिए सावधान मुद्रा में कमर व गर्दन को सीधा करके बैठ जाएं। फिर दाहिने हाथ की हथेली को मुंह के सामने लाएं। तर्जनी(अंगूठे के पास वाली उंगली) और मध्यमा को धीरे से माथे के बीच में रखें।
-अब अंगूठे से दाएं नथुने को बंद करें और बाएं से धीरे-धीरे सांस को अंदर लें। फिर बाएं नथुने को अनामिका (छोटी उंगली के पास वाली उंगली) से बंद कर लें और कुछ देर सांस को रोक लें। अब दाएं नथुने से अंगूठा हटाकर उससे धीरे-धीरे सांस निकाल दें। फिर दाएं नथुने से धीरे-धीरे सांस अंदर लें। कुछ देर सांस को भीतर रोकने के बाद बाएं नथुने से सांस बाहर निकाल दें। यह नाड़ी शोधन प्राणायाम का एक चक्र पूरा हुआ। इस चक्र को पांच से दस बार दोहराएं। नाड़ी शोधन प्राणायाम के लाभ
-इसके नियमित अभ्यास से फेफड़े के स्नायु मजबूत होते हैं। पूरे शरीर में सही मात्रा में आक्सीजन पहुंचता है।
-विषाक्त तत्व बाहर निकलते हैं और रक्त शुद्ध होता है।
-हृदय संबंधी समस्याओं में राहत मिलती है।
-मस्तिष्क के कार्य करने की क्षमता बढ़ती है और मन शांत व एकाग्र रहता है।
-शरीर में उर्जा को बढ़ाता है व तनाव, चिंता में कमी लाता है।