उद्यमियों की समिति बनाकर होगा समस्या का समाधान
इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (आइआइए) भवन मोहकमपुर में सिविक और इंडस्ट्रियल इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास विषय पर गोष्ठी आयोजित की गई।
मेरठ, जेएनएन। इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (आइआइए) भवन मोहकमपुर में 'सिविक और इंडस्ट्रियल इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास' विषय पर गोष्ठी आयोजित की गई। गोष्ठी में विकास की जरूरतों व समस्याओं को देखते हुए एमडीए वीसी राजेश पांडेय ने घोषणा की कि उद्यमियों की समिति बनाई जाएगी। इस समिति के साथ एमडीए और नगर निगम के अधिकारी प्रति माह बैठक करेंगे। इसमें समस्याओं का समाधान किया जाएगा। उन्होंने बताया कि शहर में आइआइए व चैंबर ऑफ कॉमर्स समेत तीन संगठन प्रमुख रूप से हैं। प्रत्येक के दो-दो सदस्य इसमें रखे जाएं। कहा कि इस समिति के जरिए उद्योग बंधु समेत विभिन्न बैठकों में जो मुद्दे उठते हैं, उनका समाधान किया जा सकेगा।
वीसी ने उद्यमियो की ओर से रखी समस्याओं व ज्ञापन पर जवाब दिया। वहीं प्रश्नोत्तर काल में भी भाग लिया। उन्होंने बताया कि शहर के विकास के लिए विभिन्न परियोजनाएं शहर में प्रस्तावित हैं, उनमें से अधिकांश पर काम भी चल रहा है। उन्होंने उद्यमियों से शहर के विकास में सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत योगदान करने का आह्वान किया। उन्होंने औद्योगिक क्षेत्रों में कराए जा रहे कार्यो की सूची भी प्रस्तुत की।
नगर आयुक्त डा. अरविंद कुमार चौरसिया ने बताया कि दिल्ली रोड के नाले की समस्या का ठीक से समाधान करने की योजना बनाई है। हालांकि अभी रैपिड रेल की वजह से उस पर एक साल तक कार्य नहीं हो सकेगा। उन्होंने कहा कि स्मार्ट सिटी की वजह से शहर में बहुत बदलने वाला है। एक्सप्रेस-वे और रैपिड रेल बड़ा बदलाव लाएंगे। गोष्ठी की अध्यक्षता आइआइए के चेयरमैन अनुराग अग्रवाल व संचालन आइआइए सचिव अंकित सिंघल ने किया। गोष्ठी में एएन मल्होत्रा, जागेश कुमार, अश्विनी गेरा, तनुज गुप्ता, अशोक गोयल, राजीव सिंघल, रवी ऐलन, राहुल गुप्ता, मोहित जैन, राजीव अग्रवाल, मनु जैन, सुशील मित्तल, राजेंद्र सिंघल आदि मौजूद रहे।
---
ये रखीं मांगें
- इनर रिंग रोड का निर्माण कराया जाए।
- महायोजना बनाने में उद्यमियों व अन्य हित धारकों का भी परामर्श लिया जाए। उद्योग प्रतिनिधियों को नामित समिति में शामिल किया जाना चाहिए।
- उद्योगों के लिए बिल्डिंग प्लान की मंजूरी की प्रक्रिया को सरल और समयबद्ध किया जाना चाहिए। भूमि उपयोग परिवर्तन प्रक्रिया को कम किया जाना चाहिए।
- कई मामलों में बिल्डिंग प्लान की अनुमति नहीं है, क्योंकि एप्रोच रोड 12 या 18 मीटर से कम है।
- औद्योगिक भूमि के उपयोग के लिए लगभग 1200 हेक्टेयर क्षेत्र की पहचान की गई है। इसे बढ़ाने और नए औद्योगिक क्षेत्रों को विकसित करने की आवश्यकता है। क्लस्टर विकसित किए जाने चाहिए। औद्योगिक उपयोग के लिए निर्धारित क्षेत्र को 20 फीसद तक बढ़ाया जाना चाहिए।
- निजी क्षेत्र द्वारा विकसित किए गए औद्योगिक क्षेत्रों का हस्तांतरण नगर निगम को नहीं हो पा रहा है, जबकि इसकी कोशिश लंबे समय से की जा रही है।
- उद्योगों से हाउस टैक्स भी लिया जा रहा है पर मूलभूत सुविधाओं का एवं रखरखाव का पूर्ण अभाव है।