123 घंटे की पैदल यात्रा कर दिल्ली पहुंचे सहारनपुर के प्रवीण, छह अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में देंगे याचिका
सहारनपुर के प्रवीण कुमार ने 27 जुलाई को दोपहर 12 बजकर 30 मिनट पर सहारनपुर के डीएम आफिस से पैदल यात्रा शुरू की थी। एक अगस्त रविवार को वे दिल्ली पहुंच गए। सोमवार को अपने अधिवक्ता से मुलाकात करेंगे। छह अगस्त को याचिका दाखिल करेंगे।
सहारनपुर, जागरण संवाददाता। सहारनपुर के शीतलाखेड़ी गांव के प्रवीण की साढ़े पांच दिन में सामाजिक न्याय यात्रा पूरी हो गई। रविवार शाम चार बजे वह दिल्ली पहुंच गए। वह रोजाना 30 से 35 किलोमीटर पैदल चले। छह अगस्त को प्रवीण सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाएंगे।
डीएम दफ्तर से शुरू की थी यात्रा
प्रवीण कुमार ने 27 जुलाई को दोपहर 12 बजकर 30 मिनट पर सहारनपुर के डीएम आफिस से पैदल यात्रा शुरू की थी। प्रवीण सोमवार को अपने अधिवक्ता से मुलाकात करेंगे। याचिका में मुख्य मांग रहेगी कि किसी भी जांच एजेंसी और पुलिस की पूछताछ में कोई भी व्यक्ति बेकसूर निकलता है तो उसी जांच एजेंसी और पुलिस की जिम्मेदारी तय की जाए कि वह समाज और देशवासियों को बताए कि युवक उनकी जांच में बेकसूर निकला है।
जरूरत पड़ी तो राष्ट्रपति तक जाऊंगा
प्रवीण उर्फ पर्व का कहना है कि उसके पिता गांव के पूर्व प्रधान है। उनके परिवार की गांव में इज्जत है। ऐसे परिवार के युवक को आतंकवादी कहा जाए तो माता-पिता का जीना मुश्किल हो जाता है। प्रवीण का कहना है कि उसे विश्वास है कि देश की सबसे बड़ी अदालत में उसकी बात को सुना जाएगा। जरूरत पड़ी तो राष्ट्रपति से भी वह मांग करेगा।
अब लड़ाई अकेले की नहीं
इसके पूर्व प्रवीण ने कहा था कि यह लड़ाई उनकी अकेले की नहीं, बल्कि पूरे देश के उन लोगों की है, जिन्हें पुलिस या जांच एजेंसी क्लीन चिट देती हैं। फिर भी उन्हें उत्पीडऩ का शिकार होना पड़ता है। कई बार पुलिस और सरकारी एजेंसी दोषी पाती हैं तो बढ़ा-चढ़ाकर प्रचारित बताती हैं। सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध करूंगा कि किसी बेकसूर के साथ ऐसा नहीं होना चाहिए। जांच एजेंसी और पुलिस की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। मानसिक उत्पीडऩ करने वालों पर कार्रवाई के लिए ही यह यात्रा शुरू की है।
ये है पूरा मामला
कुछ दिन पहले लखनऊ में पकड़े गए मतांतरण कराने वालों की सूची में सहारनपुर के शीतलाखेड़ी गांव निवासी प्रवीण कुमार का भी नाम था। एटीएस ने लखनऊ में पूछताछ के बाद उन्हें जांच में बेकसूर पाया था। जब वह घर पहुंचे तो कुछ लोगों ने उन्हें आतंकी कहा। उनके मकान पर आतंकवादी का घर लिख दिया गया। एक पर्चा फेंका, जिसमें लिखा था कि वह पाकिस्तान चला जाए।