विज्ञान प्रगति पत्रिका ने दिखाई प्रगति विज्ञान संस्था की राह, इस तरह दिखा रहे अंधविश्वास के पीछे छिपा विज्ञान

देश भर में विज्ञान का आलेख जगाने वाली प्रगति विज्ञान संस्था ने पंजीकरण के 22 वर्ष पूरे किए। विज्ञान शिक्षक दीपक शर्मा के तीन दशक से अधिक विज्ञान गतिविधियों के अनुभव से जुड़ चुके हैं

By Taruna TayalEdited By: Publish:Fri, 05 Jun 2020 06:46 PM (IST) Updated:Fri, 05 Jun 2020 06:46 PM (IST)
विज्ञान प्रगति पत्रिका ने दिखाई प्रगति विज्ञान संस्था की राह, इस तरह दिखा रहे अंधविश्वास के पीछे छिपा विज्ञान
विज्ञान प्रगति पत्रिका ने दिखाई प्रगति विज्ञान संस्था की राह, इस तरह दिखा रहे अंधविश्वास के पीछे छिपा विज्ञान

मेरठ, जेएनएन। बड़े-बड़े मिशाल कायम करने के लिए एक छोटी से प्रेरणा ही काफी होती है। करीब 36 साल पहले स्कूल में पढ़ाई के दौरान कुछ ऐसा ही हुआ विज्ञान शिक्षक दीपक शर्मा के साथ भी। विज्ञान से जुड़े, पढ़े, विज्ञान शिक्षक बने और अब देश-दुनिया की पुरानी पीढ़ी को अंधविश्वास के पीछे छिपे विज्ञान का आईना दिखा रहे हैं तो नई पीढ़ी में वैज्ञानिक समझ विकसित कर देश के विकाश में बराबर का भागीदार बनने को प्रेरित कर रहे हैं। इसी उद्देश्य के लिए गठित प्रगति विज्ञान संस्था के ऑनलाइन व ऑफलाइन गतिविधियों अब तक लाखों बच्चे जुड़ चुके हैं। आधिकारिक रूप से संस्था के गठन को शुक्रवार पांच जून को 11 वर्ष पूरे होने पर संस्था से जुड़े बाल वैज्ञानिक अपने विज्ञान अनुभवों को याद कर रहे हैं।

विज्ञान पत्रिका ने बदला जीवन

संस्था के सचिव व जनक दीपक शर्मा बताते हैं कि वर्ष 1984 में एक बस में सफ़र के दौरान बस गुलावठी बस स्टैंड पर रुकी। वहां एक किताब की दुकान पर एक पत्रिका दिखी, जिसके मुख्य पृष्ठ पर विज्ञान प्रगति लिखा हुआ था। उसे देख कर मन में एक तरंग सी उठी की बस की धीमी गति से ही बस से कूद गए और वह किताब ख़रीद ली। उस किताब को पढ़ने के बाद मन मे विज्ञान के प्रति जिज्ञासा और बढ़ गयी। विज्ञान में पहले से ही प्रयोगों में रुचि थी। रोज कुछ न कुछ नए प्रयोग किया करते थे। एक दिन दोस्तों के साथ विज्ञान का क्लब बनाने का विचार आया। जिसमें अन्य छात्रों को भी विज्ञान के प्रयोग करा सकते हैं। तब विज्ञान प्रगति पुस्तक से प्रेरणा लेकर 1984 में एसएसडी ब्वायज इंटर कॉलेज लालकुर्ती के कक्षा 11 के छात्र दीपक शर्मा के नेतृत्व में अरविंद वशिष्ठ, अजय वत्स, शकील अहमद, अनुज कौशिक, नरेन्द्र दीक्षित ने प्रगति विज्ञान क्लब बनाया और अध्यक्ष दीपक शर्मा बने।

...बढ़ता गया विज्ञान का पहिया

पहले प्रगति विज्ञान क्लब और अब प्रगति विज्ञान संस्था के साथ आगे बढ़ते हुए दीपक शर्मा ने निरंतर विज्ञान के साथ कदम बढ़ाया है। 2010 में उन्हें यूरोपियन साइंस मीट के लिए आमंत्रित किया गया और 10 दिन तक उसमे शामिल रहे। उन्होंने विश्व का पहला विज्ञान रियलिटी लाइव शो विज्ञान घर 2015 में बनाया, दूसरा 2018 में बनाया। 24 घंटे प्रसारण वाला चैनल 'विज्ञान आओ करके सीखें' बनाया जिस पर विज्ञान से जुड़ी गतिविधियों का प्रसारण होता रहता है। साथ ही साथ ही विज्ञान आओ करके सीखे, पत्रिका का भी संचालन किया जा रहा है। अब तक 200 से अधिक रिसोर्स पर्सन बना चुके हैं। देश भर में अलेनेमना घड़ी बनाये हैं और अब तक 25 लाख बच्चों से जुड़ चुके हैं।

नई पीढ़ी को इन विज्ञान गतिविधियों से जोड़ा

- संस्था ने 2004 में प्रोफेसर एसपी खरे व दीपक शर्मा के नेतृत्व में शुक्र पारगमन के अवसर पर दुनिया में पहली बार पृथ्वी से सूरज की दूरी मापी।

-2004 में ही संस्था मेरठ में पहली बार टेलीस्कोप लेकर आयी।

- 2005 में देश भर में लोकप्रिय बनाया, आओ पृथ्वी की परिधि मापे, के लाइव प्रयोग को।

- संस्था ने 2008 में गणित और विज्ञान के सूत्रों को संगीत बद्व कराया।

- अन्धविश्वास पर चोट करता धरारवाहिक- बच के रहना रे बाबा, का प्रसारण प्रज्ञा टीवी के साथ मिलकर 74 एपिसोड तैयार किये।

- 2009 में संस्था को तत्कालिन जिलाधिकरी कामनी रतन चैहान और मुख्य विकास अधिकारी एनएस राजू के दिशा निर्देशन में पंजीकृत किया गया।

- 2012 में दो से छह जून तक हांगकांग में हांगकांग विश्वविघालय के साथ शुक्र पारगमन पर प्रयोग किया।

- 2015 में दुनिया का पहला विज्ञान आधारित रियलिटी शो -विज्ञान घर बनाया।

- 2015 से ही विज्ञान पत्रिका - विज्ञान आओ करके सींखे, का प्रकाशन शुरू किया।

- विज्ञान चैनल की नींव 2011 में पड़ी।

- करोना काल यानी एक मार्च से 31 मई तक पत्रिका और चैनल को 90,000 लोगो ने देख और पढ़ा।

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