Pollution News: दिन में सिर्फ पांच घंटे बही साफ हवा, पढ़ें-क्यों है मेरठ में ज्यादा प्रदूषण और क्या कहते हैं डाक्टर

Pollution News बढ़ते प्रदूषण के बीच सेहत को लेकर सतर्क रहने की जरूरत है। मेरठ में क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वैज्ञानिक डा. योगेंद्र ने बताया कि पारा गिरने से हवा में तैरते प्रदूषित कण निचली परत में जमा हो जाते हैं जिससे पीएम 2.5 बढ़ जाता है।

By Prem Dutt BhattEdited By: Publish:Sun, 05 Dec 2021 09:20 AM (IST) Updated:Sun, 05 Dec 2021 09:20 AM (IST)
Pollution News: दिन में सिर्फ पांच घंटे बही साफ हवा, पढ़ें-क्यों है मेरठ में ज्यादा प्रदूषण और क्या कहते हैं डाक्टर
मेरठ में एक्यूआइ में 60 अंकों से ज्यादा सुधार दर्ज किया गया।

मेरठ, जागरण संवाददाता। Pollution News धूप क्या खिली, शनिवार को प्रदूषण का स्तर अचानक नीचे आ गया। दोपहर 12 से रात आठ बजे तक अपेक्षाकृत साफ हवा बही। हालांकि रात गहराने के साथ पीएम 2.5 एवं पीएम 10 की मात्रा बढ़ गई। बढ़ते प्रदूषण के बीच सभी को घर से मास्‍क पहनकर ही निकलना चाहिए।

औसत स्तर 300 से ज्यादा

एनसीआर में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर को छू रहा है। पिछले सप्ताह के दौरान एनसीआर के शहरों में एक्यूआइ का औसत स्तर 300 से ज्यादा था, लेकिन शनिवार को बड़ा सुधार नजर आया। मेरठ के एयर क्वालिटी मानीटङ्क्षरग स्टेशनों की रिपोर्ट बताती है कि पल्लवपुरम में 24 घंटे पहले एक्यूआइ 309 थी, वहीं शनिवार को 248 दर्ज की गई।

वैज्ञानिक ने यह बताया

इसी प्रकार, जयभीमनगर में एक्यूआइ 303 से गिरकर 242 तक रह गई। पल्लवपुरम में भी बड़ा सुधार दर्ज हुआ। एक्यूआइ की मात्रा 247 मिली। क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वैज्ञानिक डा. योगेंद्र ने बताया कि पारा गिरने से हवा में तैरते प्रदूषित कण निचली परत में जमा हो जाते हैं, जिससे पीएम 2.5 बढ़ जाता है। लेकिन धूप खिलने या हवा चलने पर वायु दाब कम होता है, और सूक्ष्म विषाक्त कण उड़कर ऊपर पहुंच जाते हैं, जिससे हवा में पार्टीकुलेट मैटर की मात्रा कम हो जाती है।

क्यों है मेरठ में ज्यादा प्रदूषण

- मेरठ में बड़े पैमाने पर सड़क एवं मेट्रो रेल निर्माण की योजना चल रही है, जिससे उड़ती धूल हवा को प्रदूषित करती है।

- पुराने डीजल वाहनों से संचालन से धुएं के साथ कार्बन डाई एवं मोनोआक्साइड की मात्रा उत्सर्जित होती है। सल्फर भी इन्हीं वजहों से बढ़ता है।

- औद्योगिक एवं कृषि गतिविधियों की वजह से नाइट्रोजन, सल्फर, ओजोन समेत कई गैसें वायुमंडल में पहुंच रही हैं।

- कचरा जलाने एवं गांवों में गन्ने से गुड़ बनाने की प्रक्रिया में प्लास्टिक एवं खतरनाक रसायन जलाए जाते हैं, जिससे खतरा बनता है।

क्या कहते हैं डाक्टर

प्रदूषित हवा फेफड़ों में पहुंचकर एलर्जी एवं सूजन बनाती है। सल्फर, ओजोन एवं मोनोआक्साइड खतरनाक गैसें हैं, जो अस्थमा, सीओपीडी, सांस का अटैक एवं हार्ट की बीमारी की वजह बनती है। सर्जिकल मास्क मास्क लगाकर निकलें।

- डा. अरविंद, प्रोफेसर, मेडिकल कालेज, मेडिसिन विभाग

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