Pollution : 22 गुना जहरीला है मिलावटी तेल से निकलने वाला धुआं, जानिए किस तरह पहुंचा रहा नुकसान Meerut News

शहर में प्रदूषण के चलते हालात गंभीर है। डीजल वाहनों से निकले धुएं को वायु प्रदूषण का बड़ा कारक माना जाता है किंतु डीजल में केरोसिन मिलाने पर निकला धुआं ज्यादा खतरनाक बन जाता है।

By Prem BhattEdited By: Publish:Tue, 19 Nov 2019 10:05 AM (IST) Updated:Tue, 19 Nov 2019 10:05 AM (IST)
Pollution : 22 गुना जहरीला है मिलावटी तेल से निकलने वाला धुआं, जानिए किस तरह पहुंचा रहा नुकसान Meerut News
Pollution : 22 गुना जहरीला है मिलावटी तेल से निकलने वाला धुआं, जानिए किस तरह पहुंचा रहा नुकसान Meerut News

मेरठ, [जागरण स्‍पेशल]। डीजल वाहनों से निकले धुएं को वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा कारक माना जाता है, किंतु डीजल में केरोसिन मिलाने पर निकला धुआं कई गुना ज्यादा खतरनाक बन जाता है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में मिलावटी ईंधन को प्रदूषण का बड़ा फैक्टर बताते हुए पेट्रोल पंपों से नमूने लेने को कहा है। मिलावटी डीजल से निकलने वाली चार गुना नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड और हाइड्रोकार्बन कैंसर का कारण बन सकते हैं। डीजल की तुलना में केरोसिन का धुआं 75 प्रतिशत ज्यादा प्रदूषणकारी है।

मिलावटी ईंधन का गढ़ है मेरठ

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (इन्वायरमेंटल पोल्यूशन कंट्रोल अथॉरिटी) की तमाम हिदायतों के बावजूद एनसीआर की हवा साफ नहीं हुई। पेट्रोल पंपों से लिए गए डीजल सैंपलों की जांच में पता चला कि इसमें बड़े पैमाने पर केरोसिन मिलाया गया है। मेरठ में बड़े पैमाने पर मिलावटी तेल से हजारों वाहन खराब हो चुके हैं।

मिलावटी तेल क्यों है खतरनाक

डीजल वाहनों से हवा में सल्फर, मोनोऑक्साइड, कार्बन डाई ऑक्साइड व पार्टिकुलेटर मैटर पहुंचकर जमा हो जाते हैं।

ईंधन के रूप में केरोसिन का जल्द दहन नहीं होने से धुआं ज्यादा और एनर्जी कम निकलती है। पेट्रोल की तुलना में डीजल वाहनों से 22 गुना पार्टिकुलेट मैटर निकलता है। मोनो ऑक्साइड भी सामान्य से ज्यादा निकलता है।

केरोसिनयुक्त ईंधन से ज्यादा मात्र में कैंसरकारक हाइड्रोकार्बन निकलते हैं। ये डीएनए डिस्टर्ब करने के साथ ही बोनमेरो (अस्थि मज्जा) खराब कर खून की कमी कर देते हैं।

जेनरेटर बेहद खतरनाक पानी के जहाज से निकाले गए इंजनों को एनसीआर के कई शहरों में जेनसेट के रूप में प्रयोग किया जा रहा है। इसमें केरोसिन और फर्नेस ऑयल जला देते हैं, जिससे 67 हजार गुना सल्फर निकलता है। हालांकि इस पर प्रतिबंध है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

केरोसिन तेल डीजल की तुलना में 75 फीसद ज्यादा प्रदूषण करता है। इससे धुआं ज्यादा, जबकि एनर्जी कम बनती है। इससे निकले खतरनाक हाइड्रोकार्बन कैंसर बनाते हैं। हालांकि गत दिनों सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख दिखाया है।

- डॉ. सुरेंद्र यादव, पर्यावरण वैज्ञानिक

साफ डीजल से भी काफी मात्रा में सल्फर निकलकर सांस की नली व फेफड़ों में जमा होती है। केरोसिन मिलाने पर धुएं की मात्रा के साथ पार्टिकुलेट मैटर भी बढ़ता है, जो सांस और हार्ट के मरीजों के लिए बेहद खतरनाक है।

- डॉ. अमित अग्रवाल, चेस्ट फिजीशियन

मेरठ में बही सबसे प्रदूषित हवा

हवा की आंखमिचौनी ने पर्यावरणविदों को भी हैरत में डाल दिया है। रविवार को मेरठ में पेरिस जैसी बहने वाली हवा सोमवार को फिर विषाक्त हो गई। रात आठ बजे तक पीएम 2.5 और पीएम 10 की मात्र मानक से छह गुना तक पहुंच गई। इस दौरान मेरठ की हवा प्रदेश में सबसे खराब मिली। दिल्ली के कई क्षेत्रों में एक्यूआइ का स्तर 150 के इर्द-गिर्द रहा। विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि जनवरी तक प्रदूषण के व्यूह से मुक्ति नहीं मिलने वाली। पेश है एक रिपोर्ट..

हवा थमते ही घना हुआ प्रदूषण

मेरठ में तीन एयर क्वालिटी मॉनीटरिंग स्टेशनों में गंगानगर में रात आठ बजे एक्यूआइ का स्तर 257, जयभीमनगर का 278 और पल्लवपुरम का 285 तक पहुंच गया। इन स्टेशनों पर पीएम 2.5 की मात्र 300 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर पार कर गई। दोपहर में भी हवा की सेहत खराब थी। सिर्फ दोपहर तीन से पांच बजे के बीच सुरक्षित जोन में हवा बही। रविवार को हवा की गति 22 किमी प्रति घंटा होने से प्रदूषण उड़ गया था, लेकिन सोमवार को हवा की गति थमते ही प्रदूषण फिर घना हो गया। शाम ढलने के साथ स्मॉग बढ़ गया।

इनका कहना है

तेज हवा में प्रदूषण का स्तर कम होने का अर्थ यह नहीं है कि सब कुछ उड़ गया। प्रदूषण में उतार-चढ़ाव घातक संकेत है। मानवीय भूलों का नतीजा ये है कि भोजन के साथ हवा भी खराब हो गई। ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं, दूसरा कोई रास्ता नहीं है।

- डा. अनिल जोशी, पर्यावरणविद्

एयर क्वालिटी इंडेक्स और उसका स्वास्थ्य पर असर

एक्यूआइ         टिप्पणी           स्वास्थ्य पर असर

0-50             अच्छा बहुत          कम

51-100           संतोषजनक     संवेदनशील लोगों में सांस की दिक्कत

101-200         मध्यम           अस्थमा, फेफड़ा और हृदय रोगियों में सांस की परेशानी

201-300          खराब            लंबे समय तक खुले में रहने पर अधिकांश को सांस की दिक्कत

301-400        बहुत खराब       देर तक खुले में रहने पर सांस का रोगी बनने की आशंका

401-500        गंभीर                स्वस्थ लोगों पर भी असर। बीमारी और बढ़ने लगता है।

* एक्यूआइ के आंकड़े रात 8 बजे के हैं। 

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