Pollution In Meerut: पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दूसरा सबसे प्रदूषित शहर रहा मेरठ, चिकित्‍सकों ने किया आगाह

Pollution In Meerut मेरठ और आसपास प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट बताती है कि एक्यूआइ 100 के सापेक्ष एनसीआर के तकरीबन सभी जिलों में सूचकांक 300-400 तक पहुंच गया है। कई स्टेशनों पर हवा की गुणवत्ता खराब मिली।

By Prem Dutt BhattEdited By: Publish:Sun, 28 Nov 2021 11:20 AM (IST) Updated:Sun, 28 Nov 2021 12:58 PM (IST)
Pollution In Meerut: पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दूसरा सबसे प्रदूषित शहर रहा मेरठ, चिकित्‍सकों ने किया आगाह
लोनी में एक्यूआइ 446 व गंगानगर में दर्ज किया गया 392।

मेरठ, जागरण संवाददाता। नई दिल्ली ही नहीं, पूरा एनसीआर गैस चेंबर बनता जा रहा है। मानक से कई गुना प्रदूषित हवा में सांस लेने की वजह से अस्थमा, सीओपीडी एवं हार्ट अटैक के मरीज बढ़ रहे हैं। पर्यावरण विशेषज्ञों का दावा है कि हवा में नाइट्रोजन एवं सल्फर के आक्साइड बढ़ रहे हैं। चिकित्सकों ने आगाह किया है कि आने वाले दिनों में हालात और बिगड़ेंगे।

हवा की गुणवत्ता बेहद खराब

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट बताती है कि एक्यूआइ 100 के सापेक्ष एनसीआर के तकरीबन सभी जिलों में सूचकांक 300-400 तक पहुंच गया है। कई स्टेशनों पर हवा की गुणवत्ता बेहद खराब मिली है। मेरठ के गंगानगर में एक्यृआइ का स्तर 392 तक पहुंच गया, जो गाजियाबाद के लोनी के बाद सर्वाधिक है। हवा में पीएम2.5, पीएम10 के अलावा सल्फर, नाइट्रोजन, मोनोआक्साइड एवं ओजोन की मात्रा भी गड़बड़ाने लगी है। हवा में धूलकणों के साथ निकिल, पारा, क्रोमियम एवं मालिब्डेनम जैसी भारी धातुएं भी तैर रही हैं, जिससे हार्ट अटैक से लेकर कैंसर तक का खतरा है। विशेषज्ञों का कहना है कि तीन माह तक फेफड़ों को प्रदूषित हवा में घुटना होगा, जो बेहद खतरनाक है। कई मरीजों में पल्मोनरी फाइब्रोसिस तक मिल रहा है।

इनका कहना है

वायु प्रदूषण में कई प्रकार के विषाक्त कण होते हैं, जिससे दिल की नसों को नुकसान पहुंचता है। सर्दियों में रक्त गाढ़ा होने एवं वायु प्रदूषण से हार्ट अटैक भी ज्यादा होता है। फेफड़ों के मरीजों के दिल पर लोड पड़ता है। धुंधभरी हवा में एक्सरसाइज न करें।

- डा. विनीत बंसल, हृदय रोग विशेषज्ञ

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