जिले में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ेगी, सपा में खेमेबंदी

बसपा के पूर्व विधायक योगेश वर्मा व महापौर सुनीता वर्मा के समाजवादी पार्टी में शामिल होने से अब जिले की राजनीति में सरगर्मी बढ़ना तय है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 17 Jan 2021 11:55 AM (IST) Updated:Sun, 17 Jan 2021 11:55 AM (IST)
जिले में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ेगी, सपा में खेमेबंदी
जिले में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ेगी, सपा में खेमेबंदी

मेरठ, जेएनएन। बसपा के पूर्व विधायक योगेश वर्मा व महापौर सुनीता वर्मा के समाजवादी पार्टी में शामिल होने से अब जिले की राजनीति में सरगर्मी बढ़ना तय है। वहीं, सपा में खेमेबंदी अब नया आकार लेगी। इसमें प्रमुख कारण बनेंगे हस्तिनापुर सीट, जिला पंचायत चुनाव, महानगर संगठन व नगर निगम। योगेश वर्मा बसपा के अनुसूचित जाति के प्रमुख चेहरों में शामिल में थे। पश्चिम उत्तर प्रदेश में उनकी अच्छी पहचान है पर दो अप्रैल की हिसा व बुलंदशहर के लोकसभा चुनाव के परिणाम ने बहुत कुछ बदल कर रख दिया। चुनाव के बाद ही योगेश के भाजपा या सपा में चले जाने की सुगबुगाहट शुरू हुई तो कोíडनेटरों की रिपोर्ट पर राष्ट्रीय अध्यक्ष ने दोनों को निष्कासित कर दिया। चूंकि सपा में लंबे समय से किसी दूसरी पार्टी का कोई ऐसा नेता नहीं शामिल हुआ, जिसका खुद का भी जनाधार हो। ऐसे में योगेश के आने से नए समीकरण बनने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता।

हस्तिनापुर का अंदरूनी रण अभी से शुरू होगा

योगेश वर्मा हस्तिनापुर से विधायक रहे हैं और वहीं से कई बार मैदान में उतरे। उनकी प्राथमिकता यही रहेगी कि सपा उन्हें वहीं से टिकट दे। योगेश के सपा में आने से पहले ही अनुसूचित जाति के कई नेता वहां से टिकट की चाह में जनसंपर्क बढ़ाए हुए थे। जिन्हें अब तक टिकट मिलता रहा था या फिर जिन्हें पूरी उम्मीद थी, उनके बीच अब स्पष्ट रूप से न सही पर मानसिक रण शुरू होगा। यह अंदरूनी रण फायदा पहुंचाएगा या नुकसान यह तो समय बताएगा पर अब हस्तिनापुर का ख्वाब देखने वाले सपा के नेता या तो रास्ता बदलेंगे या फिर सामंजस्य बैठाएंगे या फिर लामबंदी करेंगे।

महानगर संगठन में भी बढ़ेगा दखल

योगेश के सपा में आने से सपा के महानगर संगठन में भी बहुत कुछ समीकरण बदल सकते हैं। दो साल का वक्त बीत गया है, लेकिन सपा महानगर अध्यक्ष समेत कार्यकारिणी गठित नहीं कर पाई है। ऐसे में अब यदि महानगर संगठन का गठन होगा तो उसमें योगेश का दखल बढ़ेगा, क्योंकि उनकी पत्नी महापौर हैं। ऐसे में नगर निगम की राजनीति भी गर्मा जाएगी।

अतुल समेत पूरी पार्टी पहले जिपं में उनका उपयोग करेगी

अतुल प्रधान की पत्नी सीमा प्रधान जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी हैं। अतुल प्रधान इस बार पंचायत चुनाव में फिर दबदबा चाहेंगे। ऐसे में अब योगेश का साथ मिलने से उन्हें अनुसूचित जाति का फायदा मिलता हुआ दिखाई दे रहा है। ऐसे में अतुल से लेकर पार्टी संगठन तक योगेश की जान-पहचान का पूरा फायदा उठाने की कोशिश करेगी। वहीं, योगेश भी खुलकर इसमें ताकत लगाएंगे। ताकि उनका सपा में राजनीतिक वर्चस्व बढ़े।

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