गांवड़ी में पुराने कूड़े का पहाड़ खत्म करके बंद हुआ प्लांट

2009 में काली नदी के किनारे गांवड़ी गांव के पास नगर निगम की जमीन पर जब कूड़ा डाला जाने लगा था तब किसी ने सोचा नहीं था कि यहां कूड़े का पहाड़ खड़ा हो जाएगा। स्थानीय लोगों ने आंदोलन करके जब वहां कूड़ा डालने से रोक दिया तब भी लोगों ने यह शायद नहीं सोचा था कि किसी दिन वह पहाड़ खत्म होकर मैदान बन जाएगा।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 22 Nov 2021 10:32 AM (IST) Updated:Mon, 22 Nov 2021 10:32 AM (IST)
गांवड़ी में पुराने कूड़े का पहाड़ खत्म करके बंद हुआ प्लांट
गांवड़ी में पुराने कूड़े का पहाड़ खत्म करके बंद हुआ प्लांट

मेरठ, जेएनएन। 2009 में काली नदी के किनारे गांवड़ी गांव के पास नगर निगम की जमीन पर जब कूड़ा डाला जाने लगा था तब किसी ने सोचा नहीं था कि यहां कूड़े का पहाड़ खड़ा हो जाएगा। स्थानीय लोगों ने आंदोलन करके जब वहां कूड़ा डालने से रोक दिया तब भी लोगों ने यह शायद नहीं सोचा था कि किसी दिन वह पहाड़ खत्म होकर मैदान बन जाएगा। क्योंकि कई बार योजनाएं बनीं और कुछ समय बाद बंद होती गईं। लेकिन 2019 में एक छोटी शुरुआत ने ही बड़े पहाड़ को डेढ़ साल में तोड़कर मैदान कर दिया। दिसंबर 2019 में यहां पर 150 टन प्रतिदिन निस्तारण की क्षमता वाला प्लांट लगा था। जरूरत के हिसाब से प्लांट छोटा था लेकिन प्रयास सही था। लगातार प्लांट चला और अब वहां कूड़ा खत्म हो गया है। पुराना कूड़ा पूरी तरह से खत्म हो जाने से प्लांट को बंद कर दिया गया है। डेढ़ साल में इस प्लांट से करीब आठ लाख टन कूड़े का निस्तारण हुआ। इससे दोगुनी क्षमता का प्लांट लोहियानगर डंप यार्ड में भी लगा हुआ है।

इस तरह से कार्य करता है यह प्लांट

इस प्लांट में बैलेस्टिक सेपरेटर, थ्रेडर, कंपोस्टिग समेत अन्य मशीनें शामिल हैं। यह मशीनें कचरे को तीन भागों में बांटती हैं। डबल डेक बैलेस्टिक सेपरेटर मशीन में तीन प्रकार की कंवेयर बेल्ट लगी होती हैं। कचरा 25 मीटर ऊंचाई से फीडर बेल्ट के जरिए मशीन तक पहुंचता है। मशीन कचरे को तीन अलग-अलग भागों में बांट देती है। ठोस अपशिष्ट जैसे ईंट, पत्थर व गिट्टी अलग निकालती है। गीला कचरा व मिट्टी और प्लास्टिक, पालीथिन, कपड़े व चमड़ा आदि अलग-अलग निकालती है। गीला कचरा, मिट्टी व गोबर के मिश्रण से कंपोस्ट बनाई जाती। ईंट, पत्थर व गिट्टी का उपयोग गड्ढे भरने में कर लिया जाता है। प्लास्टिक कचरे को बिजली संयंत्र भेजा जाता है। वर्तमान में यह प्लांट सिर्फ पुराने कूड़े यानी लीगेसी के लिए ही बना है। जब इसका उपयोग फ्रेश यानी रोजाना निकल रहे कूड़े के निस्तारण के लिए किया जाएगा तब इसमें थोड़ा बदलाव करना होगा। शहर में प्रतिदिन 900 टन कूड़ा निकलता है।

गांवड़ी में कूड़ा पूरी तरह से खत्म हो गया है। प्लांट बंद कर दिया गया है। अब उसे फ्रेश कूड़े के निस्तारण के उपयोग में लाने पर विचार चल रहा है। या फिर मंगतपुरम या अन्य स्थान पर जो पुराना कूड़ा पड़ा है उसके निस्तारण में उपयोग किया जाएगा।

- बृजपाल सिंह, सहायक नगर आयुक्त।

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