Pitru Paksha 2021: पितृपक्ष में एकादशी व्रत करने से प्रसन्न होते हैं पितर, जानिए इसके महत्‍व को

Pitru Paksha 2021 पितृपक्ष को लेकर कुछ महत्‍वपूर्ण तत्‍थ भी हैं। धार्मिक दृष्टि से इंदिरा एकादशी का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा उपासना और व्रत करने से दुख दर्द दूर होते हैं और घर में सुख शांति बनी रहती है।

By Prem Dutt BhattEdited By: Publish:Sun, 26 Sep 2021 01:00 PM (IST) Updated:Sun, 26 Sep 2021 01:45 PM (IST)
Pitru Paksha 2021: पितृपक्ष में एकादशी व्रत करने से प्रसन्न होते हैं पितर, जानिए इसके महत्‍व को
मेरठ में महामंडलेश्वर नीलिमानंद महाराज बता रहीं हैं एकादशी व्रत का महत्‍व।

मेरठ, जागरण संवाददाता। पितृपक्ष के दौरान आने वाली एकादशी का विशेष महत्व है। माना जाता है कि पितृदोष से पीडि़त लोगों को इंदिरा एकादशी का व्रत जरूर करना चाहिए। अश्विनी मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को इंदिरा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। पितृ पक्ष में आने के कारण इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।

दुख दर्द हो जाते हैं दूर

सूरजकुंड स्थित बाबा मनोहरनाथ मंदिर की महामंडलेश्वर नीलिमानंद महाराज का कहना है कि धार्मिक दृष्टि से इंदिरा एकादशी का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा उपासना और व्रत करने से दुख दर्द दूर होते हैं, और घर में सुख शांति बनी रहती है। इस आर एकादशी व्रत 2 अक्टूबर को मनाया जाएगा। एकादशी का व्रत एक दिन पहले सूर्यास्त के बाद शुरू होकर एकादशी के अगले दिन सूर्योदय के बाद खोला जाता है। इसे कठिन व्रत माना जाता है। श्राद्धपक्ष में इस व्रत को करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

व्रत का महत्व

ज्योतिषाचार्य विभोर इंदुसूत का कहना है कि श्राद्धपक्ष का समापन 6 अक्टूबर को हो रहा है, और 2 अक्टूबर को इंदिरा एकादशी व्रत रखा जाएगा। इसलिए इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। पितृ प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं, और एकादशी व्रत करने से सभी पाप भी नष्ट हो जाते हैं। एकादशी तिथि एक अक्टूबर को रात 11.03 बजे से आरंभ होकर 2 अक्टूबर को रात 11.10 बजे समाप्त होगी।

अशुभ समय कैसे

दूसरी ओर यह भी जानिए कि हर बार श्राद्ध पक्ष की शुरुआत गणेश उत्सव से होती है और बाद में नवरात्र आते हैं, ऐसे में श्राद्ध पक्ष अशुभ कैसे हो सकते हैं। इसको लेकर भ्रम की स्‍थिति बनी रहती है। पितृपक्ष में खरीदारी को लेकर लोगों की मानसिकता बदल रही है। श्राद्ध के दौरान बाजारों में खरीदारी भी रही है और लोग अपने अपने वाहनों की बुकिंग भी करा रहे हैं। धीरे-धीरे लोगों की मानसिकता बदल रही है।

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