दीपदान से पितृ होते हैं प्रसन्न..देते हैं समृद्धि का आशीर्वाद

देव दीपावली यानि काíतक पूíणमा की पूर्व संध्या पर दीपदान करने का बड़ा महत्व है। मान्यताओं के अनुसार देव दीपावली के दिन सभी देवता गंगा नदी के घाट पर आकर अपनी प्रसन्नता को दर्शाते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 19 Nov 2021 02:59 AM (IST) Updated:Fri, 19 Nov 2021 02:59 AM (IST)
दीपदान से पितृ होते हैं प्रसन्न..देते हैं समृद्धि का आशीर्वाद
दीपदान से पितृ होते हैं प्रसन्न..देते हैं समृद्धि का आशीर्वाद

मेरठ, जेएनएन। देव दीपावली यानि काíतक पूíणमा की पूर्व संध्या पर दीपदान करने का बड़ा महत्व है। मान्यताओं के अनुसार देव दीपावली के दिन सभी देवता गंगा नदी के घाट पर आकर अपनी प्रसन्नता को दर्शाते हैं। काíतक माह में भगवान विष्णु या उनके अवतारों के समक्ष दीपदान से समस्त यज्ञ, तीर्थों का फल प्राप्त होता है।

चौदस की रात्रि को दीपदान किया जाता है। पं. गोवर्धन शर्मा ने बताया कि महाभारत युद्ध में मारे गए असंख्य योद्धाओं की आत्म शांति के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों की मौजूदगी में सर्वप्रथम दीपदान किया था। तभी से हिदू धर्म में दीपदान की परंपरा शुरू हुई।

मिलता है आरोग्य और ऐश्वर्य

पं. गोवर्धन शर्मा का कहना है कि तुला राशि के सूर्य में काíतक का प्रभाव आता है। काíतक तक पितृ पृथ्वी पर रहकर यह देखते हैं कि उनके वंशज जलदान, पिडदान कर रहे हैं या नहीं। यदि उनके वंशज जलदान, पिडदान नहीं करते हैं तो पितृ नाराज हो जाते हैं। इसलिए शाम को दीपदान करने से पितरों की कृपा मिलती है, आयु, आरोग्य और ऐश्वर्य मिलता है।

दान करने से होती है मां लक्ष्मी की कृपा

काíतक पूíणमा के दिन अन्न, दूध, फल, चावल, तिल और आंवले का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। लक्ष्मी जी की कृपा पाने के लिए मीठा दूध मिलाकर जल अवश्य चढ़ाएं।

काíतक पूíणमा पर क्या न करें

काíतक पूíणमा के दिन तामसिक भोजन जैसे मांस, मदिरा, अंडा, प्याज, लहसुन का प्रयोग न करें। चंद्रदेव की कृपा पाने के लिए इस दिन ब्रह्माचर्य का पालन करें। हो सके तो भूमि पर शयन करें। किसी से कटु वचन न बोलें।

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