जेसोर दिवस पर ताजा हुई स्वर्णिम विजय की यादें

भारत-पाकिस्तान के बीच वर्ष 1971 में हुए युद्ध में मिली विजय को देशभर में स्वर्णिम विजय दिवस के तौर पर मनाया जा रहा है। मेरठ छावनी स्थित पानी डिवीजन ने उस युद्ध में बेहद अहम भूमिका निभाते हुए पूर्वी पाकिस्तान की सबसे महत्वपूर्ण छावनी जेसोर पर सबसे पहले कब्जा किया था।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 08 Dec 2021 09:21 AM (IST) Updated:Wed, 08 Dec 2021 09:21 AM (IST)
जेसोर दिवस पर ताजा हुई स्वर्णिम विजय की यादें
जेसोर दिवस पर ताजा हुई स्वर्णिम विजय की यादें

मेरठ, जेएनएन। भारत-पाकिस्तान के बीच वर्ष 1971 में हुए युद्ध में मिली विजय को देशभर में स्वर्णिम विजय दिवस के तौर पर मनाया जा रहा है। मेरठ छावनी स्थित पानी डिवीजन ने उस युद्ध में बेहद अहम भूमिका निभाते हुए पूर्वी पाकिस्तान की सबसे महत्वपूर्ण छावनी जेसोर पर सबसे पहले कब्जा किया था। यह कब्जा छह दिसंबर की रात को हुआ था और सात को खुलना पर भी कब्जा कर दुश्मन को खदेड़ दिया था। उस दिन को पाइन डिव की ओर से जेसोर दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इस स्वर्णिम अवसर पर पाइन डिव की ओर से 50वें जेसोर दिवस पर आयोजित समारोह में युद्ध में शहीद हुए वीरों को सलामी दी गई। इस मौके पर डिव के वर्तमान जनरल आफिसर कमाडिंग मेजर जनरल संजय हुड्डा के साथ डिव के पूर्व जीओसी रहे सात अन्य अधिकारियों ने भी शहीदों को सलामी दी और उनकी कुर्बानियों को याद किया।

सैन्य धरोहर का किया भ्रमण

जेसोर दिवस के मौके पर मेरठ पहुंचे सभी अफसरों ने सपरिवार पाइन डिव की ओर से छावनी में बनाए गए धरोहर का भी भ्रमण किया। यहा विभिन्न युद्ध से जुड़ी तस्वीरों को देख सभी ने अपनी यादों को एक दूसरे से साझा किया। युद्ध के दौरान की तस्वीरें में निहित कहानियों को भी एक दूसरे को बताया और सुना भी। इसके साथ ही युद्ध में लड़ाई के दौरान की स्थितियों पर भी चर्चा की।

खूब लड़ी थी पाइन डिव

भारतीय सेना की पाइन डिव का सबसे पहला गठन 15 सितंबर 1940 में क्वेटा में माउंटेन डिवीजन के तौर पर हुआ था। इसके साथ 15, 20 और 21 इन्फैंट्री ब्रिगेड थी। द्वितीय विश्व युद्ध में मलाया में युद्ध लड़ा। इसे दोबारा एक अगस्त 1964 में खड़ा किया गया और 1970 में माउंटेन डिवीजन से इन्फैंट्री डिवीजन का दर्जा मिला। उसके बाद 1971 के युद्ध में तत्कालीन जीओसी मेजर जनरल दलबीर सिंह की अगुवाई में 32, 40 और 350 इन्फैंट्री ब्रिगेड के साथ लड़ाई लड़ी। 32 ब्रिगेड अभी पाइन डिव का हिस्सा है और उनकी जीत में अहम भूमिका निभाया थी। पाइन डिव के इन जीओसी ने दी श्रद्धांजलि

मेजर जनरल अरुण कुमार सप्रा : दिसंबर 2014 से दिसंबर 2016 तक

मेजर जनरल हरदेव सिंह : जुलाई 2006 से फरवरी 2008 तक

मेजर जनरल गुरदर्शन सिंह ग्रेवाल : मार्च 2005 से जून 2006 तक

लेफ्टिनेंट जनरल अरुण कुमार चोपड़ा : नवंबर 2000 से अप्रैल 2002 तक

मेजर जनरल आदित्य जंग बहादुर जैनी : अप्रैल 1998 से नवंबर 2000 तक

जनरल जोगेंद्र जसवंत सिंह : जुलाई 1996 से मार्च 1998 तक

लेफ्टिनेंट जनरल योगेंद्र कुमार वडेरा : दिसंबर 1987 से मार्च 1990 तक

मेजर जनरल संजय हुड्डा : मार्च 2021 से वर्तमान तक

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