Passing Out Parade: कड़ी मेहनत और लगन से सच किए सपने, मेरठ के युवा बने सेना में लेफ्टिनेंट

मेरठ के कंकरखेड़ा स्थित तुलसी कालोनी में रहने वाले अनुराग राठौर ने सेना के सिपाही से लेफ्टिनेंट बनकर मिसाल कायम की है। अनुराग के पिता नायक राजेंद्र पाल सिंह पूर्व सैनिक हैं। उन्हीं के मार्गदर्शन से अनुराग ने यह मुकाम हासिल किया। मेरठ के अन्‍य युवा भी अफसर बने हैं।

By Prem Dutt BhattEdited By: Publish:Sun, 13 Jun 2021 01:30 PM (IST) Updated:Sun, 13 Jun 2021 01:49 PM (IST)
Passing Out Parade: कड़ी मेहनत और लगन से सच किए सपने, मेरठ के युवा बने सेना में लेफ्टिनेंट
शनिवार को हुई पासिंग आउट परेड में मेरठ के कई युवा बने लेफ्टिनेंट।

मेरठ, जेएनएन। इंडियन मिलिट्री एकेडमी देहरादून और आफिसर ट्रेनिंग एकेडमी गया में शनिवार को पासिंग आउट परेड और पिपिंग सेरेमनी के बाद देश को कई नए अफसर मिले। मेरठ के भी कई युवाओं ने सफलता हासिल की। इस साल अभिभावकों को आइएमए परिसर तक जाने की अनुमति दी गई थी।

सिपाही से लेफ्टिनेंट बने अनुराग राठौर

कंकरखेड़ा स्थित तुलसी कालोनी में रहने वाले अनुराग राठौर ने सेना के सिपाही से लेफ्टिनेंट बनकर मिसाल कायम की है। अनुराग के पिता नायक राजेंद्र पाल सिंह पूर्व सैनिक हैं। उन्हीं के मार्गदर्शन से अनुराग ने यह मुकाम हासिल किया। अनुराग के अनुसार उन्होंने आर्मी पब्लिक स्कूल से 12वीं करने के बाद पढ़ाई छोड़कर नौकरी शुरू कर दी थी। हालांकि जल्द ही उनका काल सेंटरों की नौकरी से मोह भंग हो गया। पिता के सुझाव पर सेना भर्ती रैली में शामिल हुए और वर्ष 2013 में सिपाही के तौर पर भर्ती हुए। लेकिन अनुराग की आंखों में बड़ा सपना पल रहा था। चार साल तक सेना में सिपाही के तौर पर कार्य करने के दौरान अनुराग ने रोइंग स्पोट््र्स खेलना शुरू किया। इसके अंतर्गत उन्हें आर्मी रोइंग नोड पुणे में प्रशिक्षण मिला और वहीं उन्होंने आइएमए के अंतर्गत संचालित आर्मी कैडेट कालेज के लिए तैयारी की। पहले ही प्रयास में सफल होने के बाद कैडेट कालेज में तीन साल प्रशिक्षण और जवाहरलाल नेहरू विवि से बीएससी की पढ़ाई भी होती रही। इसके बाद आइएमए पहुंचे और एक साल का प्रशिक्षण पूरा कर अफसर बन गए। ले. अनुराग को गढ़वाल रेजिमेंट में तैनाती मिली है। अनुराग के छोटे भाई मानस राठौर भी 2016 में सेना में जीडी सोल्जर के तौर पर भर्ती हुए और वह भी अफसर बनने की तैयारी कर रहे हैं। बड़ी बहन शिखा आर्या दिल्ली में रहती हैं। मां प्रतिभा ठाकुर गृहणी हैं।

संगम त्यागी ने पूरा किया दिवंगत दादा का सपना

संगम त्यागी पुत्र डा. बीपी त्यागी ने सेना में अफसर बनकर दिवंगत दादा त्रिलोकचंद त्यागी का सपना पूरा कर दिखाया। मूल रूप से बागपत जिले के जहानगढ़ दोझा के रहने वाले संगम को देश सेवा की प्रेरणा दादा से ही मिली थी। उनके दादा त्रिलोकचंद त्यागी किसान थे और कहा करते थे कि देश से बढ़कर कुछ नहीं होता। संगम के मुताबिक उनके दादा उन्हें सेना की वर्दी पहने देखना चाहते थे, लेकिन नवंबर 2019 में उनका देहांत हो गया। वह मेरठ में रोहटा रोड स्थित तेज विहार कालोनी में रहते हैं। पिता डा. बीपी त्यागी का रोहटा रोड पर क्लीनिक है। मां पवन त्यागी मेडिकल स्टोर चलाती हैं और बड़ी बहन वचना त्यागी एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही हैं। संगम की सफलता पर पूरा परिवार प्रफुल्लित है। संगम कक्षा पांच तक रोहटा रोड स्थित गाडविन पब्लिक स्कूल से पढ़े। इसके बाद उन्होंने 12वीं तक की शिक्षा सैनिक स्कूल, घोड़ाखाल (नैनीताल) से की। पढ़ाई और खेलकूद में अव्वल रहे संगम त्यागी को 26 मई 2017 को उत्तराखंड सरकार की ओर से बेस्ट कैडेट के तौर पर गवर्नर ट्राफी से भी नवाजा गया था। एनडीए के लिए संगम त्यागी का चयन साल 2017 में हुआ था। प्रवेश परीक्षा में उन्होंने देशभर में 24वां स्थान प्राप्त किया था।

पिता की राह पर आगे बढ़े आशीष शर्मा

रोहटा रोड पर शालीमार गार्डन के रहने वाले आशीष शर्मा शनिवार को लेफ्टिनेंट बनकर भारतीय सेना का हिस्सा बन गए। वह आफिसर ट्रेङ्क्षनग एकेडमी गया में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे थे। ले. आशीष के पिता भी सेना में सिग्नल कोर से सेवानिवृत्त हैं और माता गृहणी हैं। पिता की तरह आशीष भी शुरू से ही सेना में भर्ती होने की तैयारी में जुटे रहे। मूल रूप से बागपत जिले के फजलपुर सुंदरनगर के रहने वाले आशीष शर्मा ने 12वीं की पढ़ाई आर्मी पब्लिक स्कूल मेरठ कैंट से ही। 12वीं के बाद टेक्निकल एंट्री स्कीम के अंतर्गत वर्ष 2016 में ओटीए गया में चुने गए। यहां बेसिक ट्रेङ्क्षनग के बाद कैडेट ट्रेङ्क्षनग ङ्क्षवग एमसीईएमई सिकंदराबाद में टेक्निकल एंट्री स्कीम के 37वें बैच में ट्रेङ्क्षनग करते हुए शनिवार को सेना की ईएमई कोर में शामिल हुए।

सेना के करीब पहुंचे तो सिद्धार्थ को दिखी मंजिल

आइआइटी की तैयारी के दौरान एनडीए की परीक्षा और इंटरव्यू देने के दौरान सिद्धार्थ त्यागी को लगा कि उन्हें सेना में अफसर ही बनना है। सोमदत्त सिटी निवासी सिद्धार्थ त्यागी ने वर्ष 2017 में दीवान पब्लिक स्कूल इंटरनेशनल से 12वीं उत्तीर्ण की थी। उसके बाद वह आइआइटी की तैयारी करने लगे। एनडीए का फार्म अपनी तैयारियों को आजमाने के लिए भरा था लेेकिन रुचि बढ़ी तो एनडीए चले गए। सिद्धार्थ के पिता राजीव कुमार त्यागी केन्या में एक कंपनी में मैनेजर हैं। मां कविता त्यागी गृहणी हैं। छोटे भाई रिषभ त्यागी ने इसी साल इंजीनियङ्क्षरग की पढ़ाई पूरी की और अब एक कंपनी में कार्यरत हैं। सिद्धार्थ सेना में जाने वाले परिवार के पहले सदस्य हैं। मूल रूप से बुलंदशहर में गढ़ के निकट माकड़ी गांव के रहने वाले सिद्धार्थ अपने सपनों को साकार कर उत्साहित हैं। सिद्धार्थ को खेलकूद में वालीबाल और फुटबाल बेहद पसंद है। सिद्धार्थ को सेना की मेकनाइज्ड इंफैंट्री में तैनाती मिली है।

अथक प्रयास से शुभम को मिली मंजिल

कंकरखेड़ा में सैनिक विहार कालोनी के रहने वाले शुभम सक्सेना को उनके अथक प्रयास से आखिरकार मंजिल मिल ही गई। अब वह भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बन गए हैं। शुभम के दादा किशन कुमार सक्सेना सेना में जेसीओ थे। पिता दिलीप कुमार सक्सेना के वर्ष 2013 में गुजर जाने के बाद परिवार पर आर्थिक संकट आया जिसका सभी ने डटकर मुकाबला किया। शुभम ने कोङ्क्षचग दी। उनकी मां रिचा सक्सेना ने नौकरी की और छोटे भाई विशाल भी पढ़ाई के साथ कोङ्क्षचग देने लगे। शुभम ने अशोका एकेडमी से साल 2015 में 12वीं उत्तीर्ण करने के बाद सेना भर्ती की कोशिश की। सबसे पहले उनका चयन नौसेना के लिए हुआ लेकिन एक साल बाद ही मेडिकल कारणों से उन्हें ट्रेङ्क्षनग छोडऩी पड़ी। घर लौटकर स्नातक में प्रवेश लिया और पढ़ाई के साथ एनडीए व टेक्निकल एंट्री स्कीम की तैयारी भी करने लगे। इस दौरान शुभम को द ट््यूटर्स एकेडमी के मयंक पराशर की मदद व मार्गदर्शन मिला। शुभम एनडीए और ओटीए दोनों के लिए चयनित हुए और अंत में उन्होंने वर्ष 2017 में ओटीए गया में प्रशिक्षण शुरू किया। ट्रेङ्क्षनग के दौरान शुभम को बास्केटबाल में स्वर्ण और हाकी में रजत पदक मिले थे। छोटे भाई विशाल भी बीएससी पूरी कर अब एसएसबी की तैयारी कर रहे हैं।

chat bot
आपका साथी