Passing Out Parade: पिता थे हवलदार, बेटे सनवर ने लेफ्टिनेंट बनकर बढ़ाई परिवार की शान Meerut News
सनवर के पिता इरशाद अहमद सेना से 1998 में हवलदार पद से रिटायर हुए थे। पिता की प्रेरणा से ही सनवर ने सेना के जरिए देशसेवा का संकल्प लिया। शनिवार को लेफ्टिनेंट बनते ही सनवर का यह संकल्प पूरा हो गया। सनवर अच्छे खिलाड़ी भी रहे हैं।
मेरठ, जेएनएन। सपने अगर सच करने का जज्बा है तो मुश्किल राह भी आसान हो जाती है। जीवन भर हवलदार रहे पिता ने अपने बेटे के शरीर पर भी वर्दी होने का सपना देखा। बेटे ने भी पिता के सपने को अपना सपना बनाया। फिर क्या सेना में लेफ्टिनेंट बन कर पिता के साथ अपने पूरे परिवार को गर्व से भर दिया। बात हो रही है मेरठ के सैनिक बिहार फाजलपुर निवासी सनवर अहमद की। जो सेना में पीओपी में लेफ्टिनेंट बने हैं। सनवर दीवान पब्लिक स्कूल से 2016 में पासआउट हैं।
देशसेवा का लिया संकल्प
सनवर के पिता इरशाद अहमद सेना से 1998 में हवलदार पद से रिटायर हुए थे। पिता की प्रेरणा से ही सनवर ने सेना के जरिए देशसेवा का संकल्प लिया। शनिवार को लेफ्टिनेंट बनते ही सनवर का यह संकल्प पूरा हो गया। सनवर अच्छे खिलाड़ी भी रहे हैं। वे राज्यस्तरीय क्रिकेट खेल चुके हैं। फुटबाल में कमांड लेवल तक पहुंचे हैं। सनवर खो-खो और बास्केटबाल के भी अच्छे खिलाड़ी हैं।
सिपाही से लेफ्टिनेंट बने अनुराग राठौर
कंकरखेड़ा स्थित तुलसी कालोनी में रहने वाले अनुराग राठौर ने सेना के सिपाही से लेफ्टिनेंट बनकर मिसाल कायम की है। अनुराग के पिता नायक राजेंद्र पाल सिंह पूर्व सैनिक हैं। उन्हीं के मार्गदर्शन से अनुराग ने यह मुकाम हासिल किया। अनुराग के अनुसार उन्होंने आर्मी पब्लिक स्कूल से 12वीं करने के बाद पढ़ाई छोड़कर नौकरी शुरू कर दी थी। हालांकि जल्द ही उनका काल सेंटरों की नौकरी से मोह भंग हो गया। पिता के सुझाव पर सेना भर्ती रैली में शामिल हुए और वर्ष 2013 में सिपाही के तौर पर भर्ती हुए। लेकिन अनुराग की आंखों में बड़ा सपना पल रहा था।
ऐसे की तैयारी
चार साल तक सेना में सिपाही के तौर पर कार्य करने के दौरान अनुराग ने रोइंग स्पोट््र्स खेलना शुरू किया। इसके अंतर्गत उन्हें आर्मी रोइंग नोड पुणे में प्रशिक्षण मिला और वहीं उन्होंने आइएमए के अंतर्गत संचालित आर्मी कैडेट कालेज के लिए तैयारी की। पहले ही प्रयास में सफल होने के बाद कैडेट कालेज में तीन साल प्रशिक्षण और जवाहरलाल नेहरू विवि से बीएससी की पढ़ाई भी होती रही। इसके बाद आइएमए पहुंचे और एक साल का प्रशिक्षण पूरा कर अफसर बन गए। ले. अनुराग को गढ़वाल रेजिमेंट में तैनाती मिली है। अनुराग के छोटे भाई मानस राठौर भी 2016 में सेना में जीडी सोल्जर के तौर पर भर्ती हुए और वह भी अफसर बनने की तैयारी कर रहे हैं। बड़ी बहन शिखा आर्या दिल्ली में रहती हैं। मां प्रतिभा ठाकुर गृहणी हैं।