कोरोना काल में माता-पिता ने बदली बच्चों की आदत, मोबाइल से सीखा रहे हैं रचनात्‍मक गुण

कोरोना बच्चों से बड़ों तक सभी की जीवन शैली बदल दी है। कोरोना काल में सभी की मोबाइल से दोस्ती हो गई है। कोरोना से पहले मोबाइल का अधिकतम उपयोग मनोरंजन और बातचीत के लिए किया जाता था।

By Prem BhattEdited By: Publish:Fri, 25 Sep 2020 11:02 PM (IST) Updated:Fri, 25 Sep 2020 11:02 PM (IST)
कोरोना काल में माता-पिता ने बदली बच्चों की आदत, मोबाइल से सीखा रहे हैं रचनात्‍मक गुण
अपने बच्‍चों को मोबाइल का सही प्रयोग सीखाते पैरेंट्स

मेरठ, जेएनएन। कोरोना बच्चों से बड़ों तक सभी की जीवन शैली बदल दी है। कोरोना काल में सभी की मोबाइल से दोस्ती हो गई है। कोरोना से पहले मोबाइल का अधिकतम उपयोग मनोरंजन और बातचीत के लिए किया जाता था, लेकिन अब महिलाएं और पुरुष मोबाइल से बिजनेस बढ़ा रहे हैं तो बच्चे मोबाइल का प्रयोग अपनी रचनात्मक क्षमता बढ़ाने में कर रहे हैं। मोबाइल फोन से बच्चे पेंटिंग, क्ले आर्ट, क्राफ्ट और अन्य गतिविधियां सीख रहे हैं। इसमें माता-पिता भी बच्चों का पूरा सहयोग कर रहे हैं।

बच्चों को सिखाने का आसान तरीका

सदर निवासी रिया गर्ग बताती हैं कि मोबाइल से बच्चों को खास लगाव होता है। इसलिए उन्हें मोबाइल से काफी कुछ आसानी से सिखाया जा सकता है। यू-टयूब पर बच्चों को सिखाने के लिए बहुत कुछ है। रोचक ढंग से विभिन्न गतिविधियां करवाने का यह सबसे सरल तरीका है। रिया अपनी चार साल की बेटी को मोबाइल से चित्रकला और क्ले आर्ट जैसी कई चीजें सिखा रही हैं।

मोबाइल से नहीं होते बच्चे बोर

भैंसाली ग्राउंड निवासी पूजा अग्रवाल अपने पांच साल के बेटे वेदांत को यू-टयूब से कई गतिविधियों में व्यस्त रखती हैं। पूजा का कहना है कि बच्चों को मोबाइल के साथ समय बिताना अच्छा लगता है। माता-पिता बच्चों की इस आदत से परेशान हो जाते हैं। बच्चों की इस आदत को यदि सकारात्मक दिशा में अग्रसर कर दिया जाए तो बच्चों को काफी कुछ सिखाया जा सकता है।

बच्चों को क्राफ्ट सिखाना हुआ आसान

स्वराज पथ निवासी रीना सिंघल बेटी ओस के साथ मिलकर इन दिनों आकर्षक सजावटी समान बना रही हैं। रीना का कहना है कि स्कूल बंद होने से बेटी के पास काफी खाली समय होता है। इसमें हम दोनों घर में बेकार पड़ी वस्तुओं से सजावटी सामान बनाते हैं। कागजों से लैंप और बेकार पड़ी कोल्डड्रिंक की बोतलों से गमले तैयार किए हैं।  

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