Oxygen Crisis: हद है लापरवाही की, मेरठ में मरीजों की मौत के वक्त उपलब्ध थी आक्सीजन

हाईकोर्ट ने आक्सीजन की कमी के कारण मेरठ के अस्पतालों में मरीजों की मौत के मामलों की जांच करके 48 घंटे के भीतर डीएम से रिपोर्ट तलब की थी। जिला प्रशासन ने जांच पूरी करके मेडिकल कालेज और न्यूटीमा में हुई मौत पर अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट में जमा करादी है।

By Taruna TayalEdited By: Publish:Fri, 07 May 2021 03:51 PM (IST) Updated:Fri, 07 May 2021 03:51 PM (IST)
Oxygen Crisis: हद है लापरवाही की, मेरठ में मरीजों की मौत के वक्त उपलब्ध थी आक्सीजन
मेरठ में कोरोना संक्रमितों की मौत का मामला।

मेरठ, जेएनएन। हाईकोर्ट ने आक्सीजन की कमी के कारण मेरठ के अस्पतालों में मरीजों की मौत के मामलों की जांच करके 48 घंटे के भीतर डीएम से रिपोर्ट तलब की थी। जिला प्रशासन ने जांच पूरी करके मेडिकल कालेज और न्यूटीमा में हुई मौत पर अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट में जमा करा दी है। सूत्रों की माने तो जांच में सामने आया है कि न्यूटीमा अस्पताल में हुई मरीजों की मौत के समय अस्पताल में आक्सीजन उपलब्ध थी।

चार मई की सुनवाई में लखनऊ जिला प्रशासन द्वारा पेश किए गए वेंटीलेटर और आक्सीजन बेड के आंकड़ों की पोल कोर्ट के सामने ही खुल गई थी। नाराज कोर्ट ने मेरठ और लखनऊ में अस्पतालों में आक्सीजन की कमी से हुई मौत की वायरल खबरों का संज्ञान लेते हुए डीएम से 48 घंटे के भीतर मौत के कारणों पर जांच रिपोर्ट मांगी थी। डीएम ने मेडिकल कालेज की प्राचार्य से तथा न्यूटीमा अस्पताल की सीएमओ से जांच रिपोर्ट मांगी थी।

मुसीबत न बन जाए मौत के आंकड़ों में खेल

हाईकोर्ट के आदेश पर जिला जज ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट डीएन गोस्वामी को नोडल नामित किया है। साथ ही एक कोविड कमेटी का गठन किया है। जिसमें अपर जिला जज ज्ञानप्रकाश, सिविल जज विनय प्रकाश, सीजेएम डीएन गोस्वामी तथा केंद्रीय नाजिर राजीव कौशिक को शामिल किया है। नोडल अधिकारी ने जिले के हालात पर अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट को भेजी है। जिसमें उन्होंने मौत के आंकड़ों का विशेष रूप से जिक्र किया है। कोरोना से मरने वालों की संख्या अधिक है जबकि स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट में मौत की संख्या कम है।

इन्‍होंने बताया...

जांच में सामने आया है कि न्यूटिमा अस्पताल में कोविड मरीजों की मौत का कारण आक्सीजन की कमी नहीं था। सभी मरीजों की केस हिस्ट्री का अध्ययन किया गया। जिसमें सामने आया कि वे पहले से ही गंभीर स्थिति में थे। आक्सीजन की उपलब्धता के संबंध में सभी अस्पतालों को स्पष्ट निर्देश हैं कि वे अपना एक निश्चित अवधि का बैकअप रखते हुए आक्सीजन की मांग जिला प्रशासन को भेज दें। जांच रिपोर्ट हाईकोर्ट में प्राप्त करा दी गई है।

- के बालाजी, जिलाधिकारी 

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