मेरठ में Oxygen का संकट गहराया, कई प्लांटों में इस वजह से उत्पादन हुआ बंद

कोरोना संक्रमण से कराहते मेरठ में आक्सीजन संकट खड़ा हो गया है। कोविड अस्पतालों में सिलेंडर खत्म हो रहे हैं। जिले में स्थित सात में पांच स्टोरेज प्लांटों को तरल आक्सीजन यानी कच्चा माल न मिलने की वजह से बंद करना पड़ा है।

By Himanshu DwivediEdited By: Publish:Tue, 20 Apr 2021 12:02 PM (IST) Updated:Tue, 20 Apr 2021 12:02 PM (IST)
मेरठ में Oxygen का संकट गहराया, कई प्लांटों में इस वजह से उत्पादन हुआ बंद
मेरठ में ऑक्‍सीजन का संकट गहरा गया है।

मेरठ, जेएनएन। कोरोना संक्रमण से कराहते मेरठ में आक्सीजन संकट खड़ा हो गया है। कोविड अस्पतालों में सिलेंडर खत्म हो रहे हैं। जिले में स्थित सात में पांच स्टोरेज प्लांटों को तरल आक्सीजन यानी कच्चा माल न मिलने की वजह से बंद करना पड़ा है। जिला प्रशासन ने गैस कंपनियों को निर्बाध आक्सीजन आपूर्ति करने के लिए कहा है। औद्योगिक आक्सीजन को रोक दिया गया है। सिर्फ अस्पतालों में आक्सीजन की आपूर्ति की जा रही है। जिले के अस्पतालों में रोजाना चार हजार सिलेंडरों की खपत है। सौ से ज्यादा लोग घरों में आक्सीजन सिलेंडर लेकर इलाज कर रहे हैं।

इंडस्ट्री की आपूर्ति माहभर के लिए रोकी

परतापुर में उद्योगपुरम में स्थित आक्सीजन स्टोरेज प्लांट में बड़ी संख्या में सिलेंडर रखे हुए हैं। उद्योग से जुड़े लोगों ने बताया कि तरल आक्सीजन को कच्चे माल के रूप में मंगवाकर विशेष प्रोसेस से मेडिकल आक्सीजन बनाई जाती है, जो 95 फीसद तक शुद्ध होती है। तरल आक्सीजन गाजियाबाद, मोदीनगर, नोएडा, रुड़की, काशीपुर, और पानीपत से मंगाई जाती है, जिसे गैस में बदल लिया जाता है लेकिन इसकी उपलब्धता घटने से पांच स्टोरेज प्लांटों को बंद करना पड़ गया है। एक स्टोरेज प्लांट से रोजाना करीब 1500 सिलेंडर भरे जाते हैं। अग्रवाल गैस मेसर्स के विशाल अग्रवाल बताते हैं कि पहले माहभर में उद्योग और मेडिकल मिलाकर करीब 40 हजार सिलेंडरों की मांग थी, जो अब चार गुना है। इंडस्ट्री की आपूर्ति माहभर के लिए रोकी गई है। इधर, जिले में कोविड अस्पतालों की संख्या लगातार बढ़ाई जा रही है। कई अस्पतालों में आक्सीजन गैस पाइपलाइन बिछाई जाएगी।

ऐसे होते हैं इलाज में प्रयोग होने वाले सिलेंडर

आमतौर पर मरीजों को दो से दस लीटर प्रति मिनट की गति से आक्सीजन दी जाती है, जिसमें यह सिलेंडर करीब पांच घंटे तक चल पाता है।

छोटा सिलेंडर: 1200 लीटर आक्सीजन

बड़ा सिलेंडर : 4000 लीटर

यह करीब 17 घंटे तक चल जाता है।

वेंटीलेटर- एक दिन में चार-पांच सिलेंडर गैस की खपत

इंडस्ट्री में आक्सीजन का प्रयोग- लोहा काटने में

अस्पतालों में आक्सीजन की आपूर्ति

1278 बेडों पर आक्सीजन सिलेंडर

1027 बेडों पर आक्सीजन पाइपलाइन कनेक्ट

178 वेंटीलेटर हैं, इनमें औसतन 10 वेंटीलेटर पर मरीज भर्ती

411 आइसीयू बेड

मेडिकल में तीन बार भरा जा रहा टैंक

एलएलआरएम मेडिकल कालेज में पांच टन के प्लांट को भरने के लिए गाजियाबाद से रोजाना तीन बार वाहन पहुंच रहा है। यहां मरीजों की संख्या दो सौ पार कर चुकी है। नया प्लांट 27 अप्रैल तक बनाने का दबाव है, जबकि एनसीआर मेडिकल कालेज एवं सुभारती मेडिकल कालेज में आटोमेटिक आक्सीजन जनरेशन प्लांट लगाए गए हैं।

सीएमओ डा. अखिलेश मोहन ने कहा- जिले में आक्सीजन की आपूर्ति को लेकर प्रशासन हाई अलर्ट है। कच्चा माल न मिलने से कई स्टोरेज प्लांट आक्सीजन गैस नहीं बना पा रहे हैं। इधर गंभीर मरीजों की संख्या बढ़ने से आक्सीजन आपूर्ति का संकट खड़ा हो सकता है। ऐसे में मेडिकल कालेज में इसी माह छह टन की क्षमता का दूसरा स्टोरेज प्लांट शुरू करने का प्रयास है। मरीजों को दिक्कत नहीं होने पाएगी।  

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