हमारी सोच है दुनिया का सबसे ताकतवार हथियार
ोरोना संक्रमण ने इस बार लोगों के मनोबल पर भारी असर डाला है।
मेरठ,जेएनएन। कोरोना संक्रमण ने इस बार लोगों के मनोबल पर भारी असर डाला है। इससे लोगों में नकारात्मक भावना आ रही है, जो उन्हें भीतर से कमजोर करने लगी है। जबकि कोरोना से लड़ाई के लिए दवाई से अधिक आपके अंदर सकारात्मक सोच की जरूरत है। हमारी सोच दुनिया का ताकतवर हथियार है, जिससे हम हर लड़ाई को जीत सकते हैं। मंगलवार को दैनिक जागरण की ओर से आयोजित वेबिनार में मनोचिकित्सक डा. सम्यक जैन ने बताया कि हम किस तरह से अपनी सोच को सकारात्मक रखें। साथ ही मानसिक स्थिति को मजबूत करने का तरीका भी बताया। वेबिनार में शिक्षक, प्रधानाचार्य, छात्र समेत समाज के अलग- अलग क्षेत्र से जुड़े लोगों की प्रतिभागिता रही। जिनके सवालों के जवाब भी दिए गए।
कोरोना से बदल रहा व्यवहार
कोरोना महामारी के चलते तीन से चार गुना तनाव बढ़ा है। कोविड संक्रमित से लेकर उनके तीमारदार, रिश्तेदार हर कोई तनाव में है। जिन्हें कोविड नहीं है, वह इस डर में जी रहे हैं कि कहीं उन्हें कोविड न हो जाए। इस वजह से लोगों के व्यवहार पर भी असर पड़ा है। स्वस्थ लोगों में भी चिढ़चिढ़ापन, घबराहट जैसी स्थिति है। जबकि कोविड ऐसी बीमारी है, जिसके विरुद्ध 90 फीसद लड़ाई मजबूत सोच के साथ लड़ी जाती है। इसलिए सोच को कमजोर न होने दें। अगर कोविड से संक्रमित हो गए तो भी एक मिनट भी यह न सोचें कि आप ठीक नहीं होंगे।
ऐसे करें मन को मजबूत
- घर पर आधे घंटे तक व्यायाम करें। घर की लाबी, छत पर तेज गति से टहल सकते हैं। वाक ऐसी हो, जिससे शरीर से पसीना निकल जाए। इससे मस्तिष्क से कई तरह के हार्मोंस निकलते हैं। शरीर में सकारात्मक सोच बनती है।
- मजबूत इच्छाशक्ति के लिए 20 मिनट तक योग, प्राणायाम करना चाहिए। 10 मिनट तक गहरी सांस लेने और छोड़ने का भी अभ्यास कर सकते हैं।
- निगेटिव सूचनाओं को छोड़कर पाजिटिव सूचनाओं पर फोकस करें। जो लोग बीमारी से ठीक हो रहे हैं, उनकी कहानी पढ़ें। कामेडी, लाइफ स्टाइल से संबंधित वीडियो भी देख सकते हैं।
- परिवार के संग अच्छा समय बिताएं। अच्छी किताबें पढ़ सकते हैं। बार-बार घबराहट हो तो डाक्टर से मिलें
डा. सम्यक जैन ने बताया कि इस समय बहुत से लोगों में अपने जीवन के प्रति नकारात्मक भाव भी आने लगा है। कभी- कभी उदासी हो सकती है, लेकिन अगर यह उदासी लंबे समय तक है। घबराहट हो रही है। मन को ठीक करने के सारे उपाय करने के बाद भी मन ठीक नहीं लगता तो एक बार अपने चिकित्सक से जरूर मिलना चाहिए। दवाइयों से इसे ठीक किया जा सकता है। ऐसे दौर में लोगों को अच्छी नींद लेनी चाहिए। बच्चों के दोस्त बनें अभिभावक
बच्चों पर इस समय एकेडमिक स्ट्रेस बहुत अधिक है। आनलाइन पढ़ाई चल रही है, फिर भी भ्रम की स्थिति है। ऐसे परिवेश में अभिभावक और शिक्षक दोनों की भूमिका बहुत अधिक बढ़ गई है। छोटे बच्चे मानसिक रूप से परिपक्व नहीं होते। अभिभावक उन्हें समय दें, बात करें, जो भी समस्या है, अपने स्तर पर दूर करने का प्रयास करें। बच्चों के साथ वह मित्रवत व्यवहार रखें। दूसरी ओर स्कूल और शिक्षकों को प्रोएक्टिव होना पड़ेगा। आनलाइन पढ़ाते समय तनावग्रस्त बच्चों पर नजर रखने की जरूरत है। उनकी एकेडमिक जो भी परेशानी है। उसे दूर करने के लिए अतिरिक्त समय आनलाइन भी दे सकते हैं। पूछे गए कुछ सवालों के जवाब
सवाल- छोटी सी परेशानी होने पर यूथ दवा लेता है, इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। क्या दवाई पर इतनी निर्भरता ठीक है। - शिवानी तोमर
जवाब - अगर बीमारी अपने आप ठीक नहीं हो रही है तो दवा लेनी चाहिए। हर बीमारी में दवाई ठीक नहीं है। प्राणायाम, योग का अभ्यास हर कोई कर सकता है। सवाल - क्या इंडोर प्लांट लगाने से भी सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। नकारात्मक चीजें इससे दूर होती हैं।
- डा. सिमोना जैन
जवाब - इंडोर प्लांट्स भी सकारात्मक उर्जा का संचार करते हैं। इससे आक्सीजन का स्तर भी बढ़ता है। घर में पौधे लगाना ठीक है। सवाल- मन को मजबूत करने के लिए आहार कैसा हो।
- अमित कुमार
जवाब- जैसा खाएं अन्न, वैसा हो मन कहा भी गया है। इस समय में जो भोजन आसानी से पच जाए, उसे खाना चाहिए। घर का हल्का खाना, फल, सलाद, दाल-रोटी सही है। चिकनाई, गरिष्ठ व मांसाहारी भोजन करने से बचना चाहिए। सवाल- कोविड से पहले हम कैसे जानें की रोग प्रतिरोधक क्षमता ठीक है।
- असीम दुबे
जवाब- कोविड से रिकवर होने या वैक्सीन लगवाने के बाद तो देखा जा सकता है कि शरीर में कितनी एंटीबाडीज बनी है। कोविड से पहले फल, विटामिन सी, पानी, जिक आदि के अलावा आयुष मंत्रालय के बताए सुझाव के अनुसार खानपान रखने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाई जा सकती है। सवाल- स्कूल, कालेज सब बंद हैं, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले तनाव में हैं। क्या करें।
- अभिषेक
जवाब- आपदा भी अवसर देती है। जब सब कुछ बंद है उसमें हमें अपने आपको बेहतर बनाने का प्रयास करना चाहिए। भाषा, संवाद आदि जहां हमें कमी महसूस हो, उस पर ध्यान रखने की जरूरत है। इस समय अगर हमने अपने आपको व्यक्तित्व निखारने में लगा दिया तो आगे की प्रतियोगिताओं में इसका पूरा फायदा मिलेगा।