आनलाइन व्यवस्था से वंचित शिक्षा का ककहरा, मेरठ में प्राइमरी स्कूलों के सवा लाख बच्चे पढ़ाई से वंचित
परिषदीय विद्यालयों के बच्चों तक नहीं पहुंची आनलाइन शिक्षा। टीवी पर प्रसारित कक्षा कितने बच्चों ने देखी इसका आंकड़ा मौजूद नहीं। बेसिक शिक्षा परिषद के प्राइमरी व उच्च प्राइमरी स्कूलों के सवा लाख बच्चे पढ़ाई से वंचित रह गए।
मेरठ, जेएनएन। लाकडाउन में स्कूलों के बंद होने के बाद आनलाइन एजुकेशन पर पूरा जोर दिया गया। लेकिन इस व्यवस्था से शिक्षा का ककहरा यानी बेसिक शिक्षा ही वंचित रह गई। बेसिक शिक्षा परिषद के प्राइमरी व उच्च प्राइमरी स्कूलों के सवा लाख बच्चे पढ़ाई से वंचित रह गए। कुछ शिक्षकों ने वाट््सएप के जरिए को कुछ अन्य बच्चों के घर तक पहुंचकर शिक्षण सामग्री मुहैया कराने की कोशिश जरूर हुई लेकिन बच्चों की पढ़ाई घर पर नहीं हो सकी। इसका एक कारण यह भी है कि परिषदीय विद्यालयों में पढऩे वाले बच्चों के अभिभावक भी बैठकर बच्चों को नहीं पढ़ा सके। शिक्षकों की ड्यूटी भी कोविड-19 सर्वे में लगाई जा रही है जिससे सभी शिक्षक बच्चों के शिक्षण से भी नहीं जुड़ पा रहे हैं।
नहीं है कोई आंकड़ा
कक्षा एक से आठवीं तक के सही मायने में कितने बच्चों तक आनलाइन शिक्षा पहुंची है इसका कोई डाटा उपलब्ध नहीं है। महज पांच फीसद बच्चे वाट््सएप ग्रुपों से जुड़ सके थे। इसके बाद घर पर पाठ्य सामग्री पहुंचाई गई, लेकिन वह भी निरंतर नहीं हो सका। टीवी पर प्रसारित कक्षा कितने बच्चों ने देखी, यह आंकड़ा भी उपलब्ध नहीं है। पिछले साल बिना परीक्षा सभी कक्षाओं के बच्चे पास कर दिए गए थे। इस साल संभवत: वैसी ही स्थिति बनने पर बिना पढ़े और परीक्षा दिए ही बच्चे एक और कक्षा आगे बढ़ जाएंगे।
अंग्रेजी मीडियम स्कूल भी रहे पीछे
शहर के गली मोहल्लों में संचालित एक हजार से अधिक छोटे-बड़े प्री-प्राइमरी व प्राइमरी स्कूलों में भी काफी कम स्कूलों ने आनलाइन क्लास चलाई। कुछ बड़े स्कूलों को छोड़ नर्सरी से कक्षा पांच यानी आठ कक्षाओं में पंजीकृत बच्चों की पढ़ाई ठीक से नहीं हो सकी। आनलाइन क्लास में भी अधिकतर स्कूलों ने प्री-प्राइमरी तक के बच्चों के लिए केवल वाट््सएप के जरिए पाठ्य सामग्री ही भेजी जिसमें पढ़ाने की जिम्मेदारी अभिभावकों पर रही। वहीं प्राइमरी कक्षाओं की आनलाइन क्लास सीबीएसई स्कूलों के अलावा कम ही स्कूलों ने चलाई।