इस्लाम-इसाईयत वाले पूछते हैं जाति, इसीलिए नाम रखा जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी, बोले- महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरि

महामंडलेश्वर नरसिंहानंद गिरि ने बताया कि भविष्य की सभी शंकाओं के समूल नाश के लिए ही वसीम रिजवी का नाम जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी रखा गया है। दूसरी ओर मेरे पिता की इच्छा थी कि वसीम से जितेंद्र बने पूर्व चेयरमैन को उनके तीसरे पुत्र की पहचान और अधिकार मिलें।

By Parveen VashishtaEdited By: Publish:Tue, 07 Dec 2021 12:29 AM (IST) Updated:Tue, 07 Dec 2021 07:29 AM (IST)
इस्लाम-इसाईयत वाले पूछते हैं जाति, इसीलिए नाम रखा जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी, बोले- महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरि
जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरि

मुजफ्फरनगर, जागरण संवाददाता। शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी अब जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी बनने के साथ ही जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर और डासना में शिव-शक्ति धाम के महंत यति नरसिंहानंद गिरि के भाई भी बन चुके हैं।

इन कारणों से रखा जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी नाम

आखिर त्यागी क्यों, महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी दैनिक जागरण से फोन पर बातचीत में इस सवाल का बड़ी स्पष्टता से जवाब देते हैं। वो बताते हैं कि दरअसल जब भी कोई सनातन धर्म अपनाना चाहता है अथवा घर वापसी करना चाहता है तो दूसरे धर्म के लोग उसे खूब बरगलाते हैं। उस व्यक्ति को डराया जाता है कि हिंदू धर्म तो विभिन्न जातियों में विभक्त है, आखिर तुम्हारी जाति क्या होगी। घर और समाज वाले तुम्हें नहीं अपनाएंगे। उन लोगों द्वारा भविष्य में रिश्ते-नातों को लेकर भी कई सवाल खड़े किए जाते हैं।

यह भी बताया  

महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरि ने बताया कि ऐसे में एक परिवार-एक पहचान जरूरी है, अत: भविष्य की सभी शंकाओं के समूल नाश के लिए ही वसीम रिजवी का नाम जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी रखा गया है। दूसरी ओर मेरे पिता राजेश्वर दयाल त्यागी की इच्छा थी कि वसीम से जितेंद्र बने पूर्व चेयरमैन को उनके तीसरे पुत्र की पहचान और अधिकार मिले, इसलिए भी ऐसा हुआ। हालांकि व्यक्तिगत रूप से मैं स्वयं जाति प्रथा को कुप्रथा मानता हूं और इसका विरोध करता रहा हूं, लेकिन यह प्रैक्टिकल समस्या है।

नाम के साथ नारायण

जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरि बुलंदशहर अंतर्गत हरनौट के मूल निवासी हैं। उनकी 12वीं तक की शिक्षा-दीक्षा भारत में हुई, इसके आगे की पढ़ाई मास्को में। मास्को से ही उन्होंने एमटेक किया। वर्ष 2000 में उन्होंने संन्यास ग्रहण कर लिया। उसके बाद ही उनका नाम दीपेंद्र नारायण त्यागी से यति नरसिंहानंद सरस्वती हो गया। आमतौर पर इनके परिवार में नाम के साथ नारायण लगाने की परंपरा है। दो भाइयो में बड़े यति नरसिंहानंद के पिता का नाम राजेश्वर दयाल त्यागी है। बाबा का नाम हर नारायण सिंह त्यागी और उनके पिता का नाम हरवीर नारायण सिंह त्यागी था। इसी क्रम में अब वसीम रिजवी का नाम जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी रखा गया है।

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