पदक पर नजर और मन में धैर्य रखना ही संकल्प
टोक्यो ओलंपिक इस बार के ओलंपिक दिवस को खास बनाता है।
मेरठ,जेएनएन। टोक्यो ओलंपिक इस बार के ओलंपिक दिवस को खास बनाता है। इस ओलंपिक के लिए कोटा हासिल कर चुके खिलाड़ियों का इंतजार और तैयारी दोनों ही लंबी रही है। इस ओलंपिक में मेरठ की दावेदारी भी काफी मजबूत है। अब तक एथलेटिक्स के 20 किमी पैदल चाल में प्रियंका गोस्वामी, शूटिंग के 10 मीटर एयर पिस्टल में सौरभ चौधरी और हाकी में भारतीय महिला हाकी टीम में वंदना कटारिया ने फारवर्ड खिलाड़ी के तौर पर ओलंपिक कोटा हासिल किया है। वहीं पैरालंपिक में तीरंदाजी में मेरठ के विवेक चिकारा कोटा हासिल कर चुके हैं। इनके अलावा 25 जून से पटियाला में शुरू हो रहे ओलंपिक क्वालीफाइंग चैंपियनशिप में सीमा अंतिल, अन्नू रानी और पारुल चौधरी ओलंपिक कोटा हासिल करने की प्रबल दावेदार हैं।
आंकड़ों में मजबूत है मेरठ की दावेदारी
ओलंपिक कोटा हासिल करने वाले मेरठ के खिलाड़ियों का प्रदर्शन उनकी मजबूत दावेदारी को दर्शाता है। सौरभ चौधरी पिछले दो साल में अधिकतर अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में स्वर्ण पदक विजेता रहे हैं। प्रियंका गोस्वामी ने नए राष्ट्रीय रिकार्ड के साथ ओलंपिक कोटा हासिल किया है। वंदना कटारिया का भारतीय महिला हाकी टीम में सदाबहार प्रदर्शन रहा है। वहीं विवेक चिकारा ने एशियन पैरा तीरंदाजी चैंपियनशिप में एशियन रिकार्ड के साथ पैरा ओलंपिक कोटा हासिल करने के साथ ही नंबर एक रैंकिंग भी हासिल की है।
खिलाड़ी हर कदम पर लेता है नया संकल्प: विवेक
खिलाड़ी के लिए सबसे पहला संकल्प खेल में बने रहना होता है। इसमें स्वयं को फिट रखना और तन-मन को स्वस्थ रखना है। दूसरा संकल्प स्वयं को हर दिन बेहतर बनाने का है। इसमें हमारे खेल की तकनीकी, कौशल, क्षमता, दबाव में खेलने की क्षमता होती है। तीसरा और महत्वपूर्ण संकल्प है खेल भावना। खेलते हुए हमें किसी प्रतिद्वंद्वी को नीचा नहीं दिखाना चाहिए। हम वहां अपने प्रशिक्षण के आधार पर अपनी उत्तमता सिद्ध करने के लिए होते हैं न की सर्वश्रेष्ठ बनने के लिए। मुझे अपने धैर्य को और बढ़ाना है। खिलाड़ी के जीवन में उतार-चढ़ाव ज्यादा होते हैं, वहां धैर्य ही काम आता है।
देश को पदक और पिता को नौकरी वापस दिलाना ही संकल्प: प्रियंका
मेरे लिए यह ओलंपिक दिवस टोक्यो ओलंपिक के कारण विशेष महत्व रखता है। इस बार मेरा पूरा ध्यान ओलंपिक पदक पर है, जिससे मैं अपने देश, प्रदेश, शहर और परिवार का नाम रोशन कर सकूं। इसी लक्ष्य को सामने रखकर हर दिन प्रशिक्षण कर रही हूं। यह लक्ष्य पूरा हुआ तो मैं अपने दूसरे लक्ष्य को पाने की कोशिश करूंगी। वह लक्ष्य है परिवहन विभाग में पिता की खोई नौकरी को वापस दिलाना। यह दोनों संकल्प पूरे कर सकी तो स्वयं को सफलता के पहले पायदान पर खड़ा मानूंगी।