साहब! मैं जिंदा हूं, भूखी तो मत मारो, सहारनपुर में खुद को जिंदा साबित करने के लिए वृद्धा काट रही चक्कर
सहारनपुर के गांव नारायणपुर के ग्राम विकास अधिकारी ने तीन माह पहले गांव निवासी लगभग 70 वर्षीय बुजुर्ग महिला सोमी को मृत दर्शा कर उसका राशन कार्ड निरस्त करने की संस्तुति एडीओ पंचायत को कर दी। फिर क्या था एडीओ पंचायत ने भी संस्तुति लगाकर एसडीएम कार्यालय को भेज दिया।
सहारनपुर, जागरण संवाददाता। केंद्र व प्रदेश सरकार इस मुहिम में जुटी है कि कोई भूखा न रहने पाए, लेकिन हमारा सरकारी महकमा इस मुहिम को पलीता लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा। लापरवाही का आलम यह है कि वह कागजों में बि मुर्दा को जिंदा दर्शा ने और कब जिंदा को मुर्दा बता दे कह पाना कठिन है। कुछ ऐसा ही मामला नकुड़ क्षेत्र में सामने आया है। यहां एक ग्राम विकास अधिकारी की लापरवाही के कारण वृद्ध महिला को मृत दर्शाते हुए उसका राशन कार्ड निरस्त कर दिया गया। अब वृद्धा अफसरों के सामने यह साबित करने में एड़ी चोटी का जोर लगा रही है कि वह अभी जिंदा है। उसका राशन कार्ड बहाल कर दिया जाए ताकि वह जिंदा होते हुए कम से कम भूख से तो न मरे।
यह है मामला
ब्लाक नकुड़ के गांव नारायणपुर के ग्राम विकास अधिकारी ने तीन माह पहले गांव निवासी लगभग 70 वर्षीय बुजुर्ग महिला सोमी पत्नी समेरचंद को मृत दर्शा कर उसका राशन कार्ड निरस्त करने की संस्तुति एडीओ पंचायत को कर दी। फिर क्या था एडीओ पंचायत ने भी संस्तुति लगाकर एसडीएम कार्यालय को भेज दिया। परिणामस्वरूप सोमी को मृत मानकर उसका राशन कार्ड निरस्त कर दिया गया और जिंदा वृद्धा को भनक तक नहीं लगी कि कागजों में उसे मार दिया गया है। तीन माह पूर्व जब वह सरकारी दुकान पर राशन लेने पहुंची तो डीलर ने उसे बताया कि उसका राशन कार्ड निरस्त कर दिया गया है। तहसील स्थित पूर्ति कार्यालय से जानकारी करने पर उसे पता चला कि उसकी मृत्यु होने के कारण कार्ड निरस्त कर दिया गया है। यह सुनकर उसके पैरों तले की जमीन खिसक गई कि वह तो जिंदा है। तभी से वृद्धा खुद के जीवित होने के सुबूत लेकर अधिकारियों के चक्कर काट रही है।
आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिल रहा
गुरुवार को वृद्धा सोमी ने एसडीएम के समक्ष पेश होकर खुद के जीवित होने की बात कहते हुए राशन कार्ड जारी करने की गुहार लगाई। एसडीएम देवेंद्र कुमार पांडेय ने जांच कराकर कार्यवाही का आश्वासन दिया। अब यहां सवाल यह उठता है कि आखिर जिंदा सोमी को मुर्दा कैसे दर्शा दिया गया। क्या अधिकारी उनके खिलाफ भी कोई कार्रवाई करेंगे जिनकी लापरवाही के कारण आज वृद्धा को खुद को जीवित साबित करने के लिए इस बुढ़ापे में अधिकारियों की देहरी पर माथा रगडऩा पड़ रहा है और आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिल रहा। क्या यह सच सामने आने के बाद किसी अधिकारी ने उसके घर झांकने का प्रयास किया कि सरकारी राशन पर गुजारा करने वाली वृद्धा दो जून की रोटी का इंतजाम कैसे कर रही है।