क्या आपने कभी खाया है करौंदा, नहीं ना... इसके फायदे जानकर आप ही कहेंगे 'अब तो खाना ही पड़ेगा'
करौंदा को किसी भी फसल के चारों तरफ लगाया जा सकता है। इससे जंगलों और खेत खलियानों के आसपास कटीली झाड़ियों के रूप में प्रचुरता से उगता हुआ देखा जा सकता है। यह इतना लाभकारी है कि आपको कई रोगों से बचाता है जानिए विस्तार से...
मेरठ, जेएनएन। करौंदा का वृक्ष सदाबहार झाड़ी नुमा और कांटेदार होता है। यह झाड़ी नुमा कांटेदार वृक्ष होने की वजह से मुनाफा देने के साथ-साथ जंगली पशुओं से फसल की सुरक्षा भी प्रदान करता है। करौंदा को किसी भी फसल के चारों तरफ जीवित वार्ड के रूप में लगाया जा सकता है। इससे जंगलों और खेत खलियानों के आसपास कटीली झाड़ियों के रूप में प्रचुरता से उगता हुआ देखा जा सकता है।
सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर आरएस सेंगर ने बताया कि करौंदे के वृक्ष पहाड़ी क्षेत्रों में ज्यादा होते हैं यह भारत में राजस्थान गुजरात उत्तर प्रदेश और हिमालय के क्षेत्रों तथा नेपाल व पुराने स्थान में भी पाया जाता है पश्चिम उत्तर प्रदेश में भी किसान अपने खेतों को चारों और बाढ़ के रूप में इसको लगाने लगे हैं।
करौंदा पोषक तत्वों से भरपूर होता है इसमें प्रोटीन 1.1 से 2.2, विटामिन सी 1. 6 से 17 .9 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम और खनिज विशेष रूप से लोहा तत्व 39.1 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम कैल्शियम 21 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम फास्फोरस 38 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम पाया जाता है। परिपक्व फलों में पैकिंग की उच्च मात्रा होती है इसका उपयोग जेली जैन स्क्वैश 100 सिरप जैसे विभिन्न उत्पाद बनाने में किया जाता है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी खूब मांग बढ़ रही है। इसके अलावा चार और चक्की में भी इसका इस्तेमाल काफी मात्रा में किया जाता है। इसके फलों से कैंडी भी बनाई जाती है जो स्वाद में बहुत अच्छी होने के साथ पोषक तत्वों से भरपूर होती है।विभिन्न प्रकार की औषधियों में भी प्रयोग किया जाता है।