योगेश वर्मा के खिलाफ कोई ठोस सुबूत पेश नहीं कर सकी पुलिस, रासुका हटी
दो अप्रैल की हिंसा में बसपा नेता योगेश वर्मा पर लगी रासुका को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। पुलिस उनके खिलाफ कोई ठोस सुबूत पेश नहीं कर सकी।
मेरठ (जेएनएन)। एससी-एसटी एक्ट में हुए संशोधन को लेकर दो अप्रैल को मेरठ में हुई हिंसा प्रकरण के घेरे में आए बसपा के पूर्व विधायक योगेश वर्मा अदालत में नहीं घिर पाए। पुलिस अफसर योगेश के खिलाफ कोई ठोस सुबूत नहीं दे सके। निचली अदालत में सभी 13 मुकदमों में पूर्व विधायक को जमानत मिल चुकी है। बुधवार को हाई कोर्ट ने रासुका भी हटा ली।
दो अप्रैल को किया था गिरफ्तार
दो अप्रैल को ही योगेश वर्मा को कंकरखेड़ा थाने में गिरफ्तार कर लिया गया था। जेल भेजने के बाद दो अप्रैल से लेकर 15 अप्रैल तक उन पर लगातार मुकदमे दर्ज किए गए। जिले के आठ थानों में 13 मुकदमे दर्ज किए गए। सभी मुकदमों में बलवा, लूट, आगजनी, तोड़फोड़ आदि संगीन धारा लगाई गई। इसके बाद योगेश वर्मा को सभी मुकदमों में जमानत मिलती गई और रासुका भी हट गई। पुलिस ने उनके खिलाफ ठोस सबूत का दावा किया था, लेकिन हुआ इसके उलट। पुलिस उनकी जमानत का विरोध नहीं कर पाई। किया भी तो सुबूतों को लेकर धराशायी हो गई। हाई कोर्ट में भी पुलिस की किरकिरी हुई।
समर्थकों में खुशी की लहर
पूर्व विधायक से रासुका हटने की सूचना पर उनके समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई। हालांकि कुछ समर्थक उनके बीमार होने के कारण अधिक खुशी जाहिर नहीं कर सके। उनका कहना है कि पुलिस ने साजिश के तहत उन्हें फंसाया था।
रिहाई का यह रहेगा नियम
योगेश वर्मा के अधिवक्ता संजीव गुर्जर ने बताया कि वर्तमान में योगेश वर्मा एम्स में भर्ती हैं। वह पथरी का उपचार करा रहे हैं। चार से पांच दिन और भर्ती रहेंगे। उधर, उनका शुक्रवार की शाम तक रिहाई परवाना जेल में पहुंच जाएगा। अधिवक्ता का कहना है कि जेल से एक लेटर बनकर अस्पताल में चला जाएगा। इसके बाद उनकी रिहाई मानी जाएगी। जेल अधीक्षक बीडी पांडेय का कहना है कि अस्पताल से उन्हें जेल में आकर हस्ताक्षर करने होंगे। इसके बाद रिहाई होगी। हालांकि जेल अधीक्षक का यह भी कहना है कि डीएम के आदेश पर पत्र भी बनाया जा सकता है। जेल आने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
योगेश पर रासुका हटाने की खुशी में बांटी मिठाई
पूर्व विधायक योगेश वर्मा पर से रासुका हटाए जाने की खुशी में बसपा कार्यकर्ताओं ने मिठाई बांटी। भगवतपुरा स्थित रविदास मंदिर पर ढोल नगाड़ों के साथ कार्यकर्ताओं ने जश्न मनाया। बसपा के पूर्व शहर विधानसभा क्षेत्र अध्यक्ष चतर सिंह, मंजीत सिंह, सुनील, विनोद, अनिल, गोलू, गजेंद्र उपस्थित थे।
राजनीतिक षड्यंत्र था : अधिवक्ता
अधिवक्ता संजीव गुर्जर ने कहा कि पुलिस किसी भी कोर्ट में ठोस सुबूत पेश नहीं कर पाई है। योगेश वर्मा को राजनीतिक षड्यंत्र के तहत फंसाया गया था। वह बेकसूर हैं।
भाजपा को सबक सिखाएगी जनता : सुनीता वर्मा
भाजपा के इशारे पर अफसरों ने मनमानी करके जबरन फंसाया था। मेरे पति को अफसरों ने खराब माहौल को शांत करने के लिए बहाने से घर से बुलाया था। वहां उनके साथ मारपीट की और गिरफ्तार कर लिया। इस पूरे घटनाक्रम की कॉल डिटेल हमारे पास थी। बेकसूर होने के बावजूद साढ़े पांच महीने से ज्यादा जेल में रखा गया। जेल के अंदर भी अच्छा व्यवहार नहीं किया गया। अब हाईकोर्ट ने हमारी फरियाद सुनी और इंसाफ दिया। भाजपा के इस उत्पीड़न का बदला जनता चुनाव में लेगी।
अफसरों के नंबर की सीडीआर ने धुलवाया रासुका का दाग
दो अप्रैल की हिंसा के मुख्य आरोपित बनाए गए योगेश वर्मा से रासुका का दाग हटाने में मेरठ के दो अधिकारियों के मोबाइल नंबर की सीडीआर अहम रही है। योगेश वर्मा को इन अधिकारियों ने फोन करके घर से बुलाया। इसके बाद गिरफ्तार कर लिया। लिखापढ़ी में उनकी गिरफ्तारी हिंसात्मक घटनास्थल से दिखाई गई थी।
सीओ ने फोन कर बुलाया
बसपा के पूर्व विधायक योगेश वर्मा सभी मुकदमों में जमानत कराने वाले मेरठ के अधिवक्ता संजीव गुर्जर और प्रवीण कुमार ने बताया कि दो अप्रैल को जिस समय हिंसा हो गई तो सीओ एलआइयू और एक अधिकारी ने फोन करके योगेश वर्मा को बुलाया था। कहा गया था कि हिंसा को वही शांत कर सकते हैं। इसके बाद वह अपने घर से निकले थे। वह कंकरखेड़ा थाने पर उग्र भीड़ को शांत करने के लिए पहुंचे तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। उन पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने हिंसा करने वालों को भड़काया है।
सीडीआर पेश की
अधिवक्ता संजीव गुर्जर ने बताया कि हाईकोर्ट में अधिवक्ता दयाशंकर मिश्र ने सीओ एलआइयू और एक अधिकारी के मोबाइल नंबर की सीडीआर पेश की। दो अप्रैल के दिन दोनों अधिकारियों ने योगेश वर्मा को हिंसा को शांत करने के लिए बुलाया था। इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
यह थी दो अप्रैल की हिंसा
एससी-एसटी एक्ट में हुए संशोधन को लेकर अनुसूचित जाति के कुछ संगठनों ने भारत बंद की कॉल की थी। साथ ही संगठनों ने कहा था कि वह आंबेडकर चौराहे पर कुछ देर धरना देंगे और फिर ज्ञापन देकर चले जाएंगे, लेकिन अचानक कुछ शरारती तत्वों ने आगजनी, तोड़फोड़, लूटपाट शुरू कर दी। एक युवक की जान चली गई थी और करोड़ों रुपये की क्षति हुई थी।
दो अप्रैल को किया था गिरफ्तार
दो अप्रैल को ही योगेश वर्मा को कंकरखेड़ा थाने में गिरफ्तार कर लिया गया था। जेल भेजने के बाद दो अप्रैल से लेकर 15 अप्रैल तक उन पर लगातार मुकदमे दर्ज किए गए। जिले के आठ थानों में 13 मुकदमे दर्ज किए गए। सभी मुकदमों में बलवा, लूट, आगजनी, तोड़फोड़ आदि संगीन धारा लगाई गई। इसके बाद योगेश वर्मा को सभी मुकदमों में जमानत मिलती गई और रासुका भी हट गई। पुलिस ने उनके खिलाफ ठोस सबूत का दावा किया था, लेकिन हुआ इसके उलट। पुलिस उनकी जमानत का विरोध नहीं कर पाई। किया भी तो सुबूतों को लेकर धराशायी हो गई। हाई कोर्ट में भी पुलिस की किरकिरी हुई।
समर्थकों में खुशी की लहर
पूर्व विधायक से रासुका हटने की सूचना पर उनके समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई। हालांकि कुछ समर्थक उनके बीमार होने के कारण अधिक खुशी जाहिर नहीं कर सके। उनका कहना है कि पुलिस ने साजिश के तहत उन्हें फंसाया था।
रिहाई का यह रहेगा नियम
योगेश वर्मा के अधिवक्ता संजीव गुर्जर ने बताया कि वर्तमान में योगेश वर्मा एम्स में भर्ती हैं। वह पथरी का उपचार करा रहे हैं। चार से पांच दिन और भर्ती रहेंगे। उधर, उनका शुक्रवार की शाम तक रिहाई परवाना जेल में पहुंच जाएगा। अधिवक्ता का कहना है कि जेल से एक लेटर बनकर अस्पताल में चला जाएगा। इसके बाद उनकी रिहाई मानी जाएगी। जेल अधीक्षक बीडी पांडेय का कहना है कि अस्पताल से उन्हें जेल में आकर हस्ताक्षर करने होंगे। इसके बाद रिहाई होगी। हालांकि जेल अधीक्षक का यह भी कहना है कि डीएम के आदेश पर पत्र भी बनाया जा सकता है। जेल आने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
योगेश पर रासुका हटाने की खुशी में बांटी मिठाई
पूर्व विधायक योगेश वर्मा पर से रासुका हटाए जाने की खुशी में बसपा कार्यकर्ताओं ने मिठाई बांटी। भगवतपुरा स्थित रविदास मंदिर पर ढोल नगाड़ों के साथ कार्यकर्ताओं ने जश्न मनाया। बसपा के पूर्व शहर विधानसभा क्षेत्र अध्यक्ष चतर सिंह, मंजीत सिंह, सुनील, विनोद, अनिल, गोलू, गजेंद्र उपस्थित थे।
राजनीतिक षड्यंत्र था : अधिवक्ता
अधिवक्ता संजीव गुर्जर ने कहा कि पुलिस किसी भी कोर्ट में ठोस सुबूत पेश नहीं कर पाई है। योगेश वर्मा को राजनीतिक षड्यंत्र के तहत फंसाया गया था। वह बेकसूर हैं।
भाजपा को सबक सिखाएगी जनता : सुनीता वर्मा
भाजपा के इशारे पर अफसरों ने मनमानी करके जबरन फंसाया था। मेरे पति को अफसरों ने खराब माहौल को शांत करने के लिए बहाने से घर से बुलाया था। वहां उनके साथ मारपीट की और गिरफ्तार कर लिया। इस पूरे घटनाक्रम की कॉल डिटेल हमारे पास थी। बेकसूर होने के बावजूद साढ़े पांच महीने से ज्यादा जेल में रखा गया। जेल के अंदर भी अच्छा व्यवहार नहीं किया गया। अब हाईकोर्ट ने हमारी फरियाद सुनी और इंसाफ दिया। भाजपा के इस उत्पीड़न का बदला जनता चुनाव में लेगी।
अफसरों के नंबर की सीडीआर ने धुलवाया रासुका का दाग
दो अप्रैल की हिंसा के मुख्य आरोपित बनाए गए योगेश वर्मा से रासुका का दाग हटाने में मेरठ के दो अधिकारियों के मोबाइल नंबर की सीडीआर अहम रही है। योगेश वर्मा को इन अधिकारियों ने फोन करके घर से बुलाया। इसके बाद गिरफ्तार कर लिया। लिखापढ़ी में उनकी गिरफ्तारी हिंसात्मक घटनास्थल से दिखाई गई थी।
सीओ ने फोन कर बुलाया
बसपा के पूर्व विधायक योगेश वर्मा सभी मुकदमों में जमानत कराने वाले मेरठ के अधिवक्ता संजीव गुर्जर और प्रवीण कुमार ने बताया कि दो अप्रैल को जिस समय हिंसा हो गई तो सीओ एलआइयू और एक अधिकारी ने फोन करके योगेश वर्मा को बुलाया था। कहा गया था कि हिंसा को वही शांत कर सकते हैं। इसके बाद वह अपने घर से निकले थे। वह कंकरखेड़ा थाने पर उग्र भीड़ को शांत करने के लिए पहुंचे तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। उन पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने हिंसा करने वालों को भड़काया है।
सीडीआर पेश की
अधिवक्ता संजीव गुर्जर ने बताया कि हाईकोर्ट में अधिवक्ता दयाशंकर मिश्र ने सीओ एलआइयू और एक अधिकारी के मोबाइल नंबर की सीडीआर पेश की। दो अप्रैल के दिन दोनों अधिकारियों ने योगेश वर्मा को हिंसा को शांत करने के लिए बुलाया था। इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
यह थी दो अप्रैल की हिंसा
एससी-एसटी एक्ट में हुए संशोधन को लेकर अनुसूचित जाति के कुछ संगठनों ने भारत बंद की कॉल की थी। साथ ही संगठनों ने कहा था कि वह आंबेडकर चौराहे पर कुछ देर धरना देंगे और फिर ज्ञापन देकर चले जाएंगे, लेकिन अचानक कुछ शरारती तत्वों ने आगजनी, तोड़फोड़, लूटपाट शुरू कर दी। एक युवक की जान चली गई थी और करोड़ों रुपये की क्षति हुई थी।