अब चिमनी में वाटर कवर लगाए बिना नहीं चल सकेंगे कोल्हू

बढ़ते प्रदूषण की रोकथाम के लिए इस बार गन्ना कोल्हू चिमनी पर वाटर कवर लगाए बिना नहीं चल सकेंगे। वाटर कवर लगने के बाद चिमनी से निकलने वाले काले धुएं और ईंधन के जले कण हवा में नहीं उड़ सकेंगे। वाटर कवर लगने के बाद सफेद धुंआ चिमनी से निकलेगा।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 25 Sep 2021 09:27 AM (IST) Updated:Sat, 25 Sep 2021 09:27 AM (IST)
अब चिमनी में वाटर कवर लगाए बिना नहीं चल सकेंगे कोल्हू
अब चिमनी में वाटर कवर लगाए बिना नहीं चल सकेंगे कोल्हू

मेरठ, जेएनएन। बढ़ते प्रदूषण की रोकथाम के लिए इस बार गन्ना कोल्हू चिमनी पर वाटर कवर लगाए बिना नहीं चल सकेंगे। वाटर कवर लगने के बाद चिमनी से निकलने वाले काले धुएं और ईंधन के जले कण हवा में नहीं उड़ सकेंगे। वाटर कवर लगने के बाद सफेद धुंआ चिमनी से निकलेगा। क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम ने सर्वे शुरू कर दिया है।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निर्देश के मुताबिक कोल्हू संचालकों को वाटर कवर की चिमनी लगाने के साथ ही आबादी से पांच सौ मीटर दूर कोल्हू को लगाना होगा। कोल्हू में प्रतिबंधित ईंधन नहीं जलाया जाएगा। गन्ना पेराई सत्र शुरू होने से पहले कोल्हू और क्रशर चलाने की तैयारी संचालकों ने शुरू कर दी है। ज्यादातर कोल्हू पर ईंधन के रूप में प्लास्टिक और रबड़ का प्रयोग किया जाता है। इससे बढ़ रहे प्रदूषण को रोकने के लिए पूर्व में भी सीपीसीबी ने नई गाइडलाइन जारी की थी। मगर, उस पर ज्यादा अमल नहीं किया गया था। इन्होंने कहा

मेरठ में करीब 227 कोल्हू हैं। इनमें से सबसे अधिक खरदौनी और इंचौली क्षेत्र में करीब 80 कोल्हू हैं। वाटर कवन की कीमत कोल्हू संचालक की पकड़ में है। वाटर कवन का जल्द ही डैमो भी दिखाया जाएगा।

डा. योगेंद्र कुमार, क्षेत्रीय अधिकारी-प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड। पालिथीन से सर्वाधिक प्रदूषण

कोल्हू संचालन के दौरान सबसे ज्यादा प्रदूषण पालिथीन जलाने से होता है। यह आसानी से और कम कीमत में मिल जाती है। इसके अलावा प्लास्टिक और रबड़ जलाना भी बड़ा कारण है। इस साल मेरठ और बागपत में सभी कोल्हू की सूची तैयार की जा रही है। -यह है गाइडलाइन

-दस मीटर ऊंची लगानी होगी चिमनी।

-आबादी से कम से कम 500 मीटर की दूरी होनी चाहिए।

-भट्ठियों से प्रदूषण की रोकथाम के लिए समुचित व्यवस्था करनी होगी।

-प्रतिबंधित ईधन का प्रयोग नहीं होगा।

-पालिथीन जलाने वालों पर सख्त कार्रवाई होगी।

-मानकों के उल्लंघन पर बंदी और पर्यावरण क्षतिपूर्ति की कार्रवाई की जाएगी।

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