नरेंद्र कोहली ने सनातन भारतीय चित्त और चेतना को पुनर्जीवित किया
आधुनिक युग के तुलसीदास के रूप में प्रतिष्ठित नरेंद्र कोहली के निधन से साहित्य जगत में शोक की लहर है।
मेरठ,जेएनएन। आधुनिक युग के तुलसीदास के रूप में प्रतिष्ठित नरेंद्र कोहली के निधन से साहित्य जगत में शोक की लहर है। बुलंदशहर के मूल निवासी और जाने-माने रचनाधर्मी कमल किशोर गोयनका से नरेंद्र कोहली का चार दशक पुराना साथ रहा। उन्होंने दो बातों पर जोर देते हुए कहा कि राम कथा को लेकर तुलसीदास के बाद अगर इस धारा में किसी को लोकप्रियता मिली तो वह नरेंद्र कोहली थे। दूसरा, हिदी साहित्य में प्रेमचंद के बाद नरेंद्र कोहली ही हैं जिनका पाठक वर्ग संख्या की दृष्टि से बड़ा रहा है।
केंद्रीय हिदी संस्थान के वाइस चेयरमैन रहे कमल किशोर ने बताया कि उन्हें इस बात का गर्व है कि पद पर रहते हुए उन्हें नरेंद्र कोहली को सम्मानित करने का मौका मिला। अपनी रचनाओं के माध्यम से उन्होंने सनातन भारतीय मानस, चित्त और चेतना को समाज में फिर से पुनर्जीवित किया। हिदी साहित्य में वह हमेशा याद किए जाएंगे। उन्होंने राम कथा को वैज्ञानिकता और तर्क के माध्यम से आधुनिक पाठक के अनुकूल बनाया। यही कारण है कि युवा वर्ग में उनकी रचनाएं खासी लोकप्रिय हैं। रचनाधर्मिता को लेकर उनका सबसे अनोखा पहलू यह है कि उन्होंने अनेक विधाओं में किताबें लिखीं। इतनी विधाओं में लेखन करने वाले कम ही साहित्यकार हैं।
दृढ़ व्यक्तित्व और व्यंग्य का पुट
कमल किशोर ने बताया कि तीन साल पहले वह बीमार थे तो नरेंद्र कोहली कुशलक्षेम लेने उनके घर आए थे। उनकी तबीयत बिगड़ने की जानकारी मिलने पर उन्होंने फोन पर उनकी पत्नी मधुरिमा से फोन पर बात की थी। उन्होंने बताया था कि चिकित्सक कोई ठोस आश्वासन नहीं दे रहे हैं। बताया कि उनके स्वभाव में दृढ़ता थी और बातचीत में व्यंग्य का पुट रहता था। उनके जो मित्र थे वह उनके व्यक्तित्व के इस पहलू को समझते थे व उसका आनंद लेते थे। मित्रों के प्रति वह बड़े स्नेही थे। गोयनका ने बताया कि उन्हें इस बात का मलाल भी है कि वामपंथी आलोचकों ने उन्हें उचित सम्मान नहीं दिया।