मुजफ्फरनगर : विशेषज्ञों ने काली नदी के काम को सहारा, और बेहतर करने की दी सलाह

जैव विविधता विशेषज्ञ हरचरण सिंह ने कहा कि मिट्टी को समतल करने के अलावा सील्ट बाहर निकाली गई है। जिससे नदी में स्वच्छ जल की मात्रा बढ़ी है यह अत्यधिक लाभदायक है। निरीक्षण में विशेषज्ञों ने कहा कि नदी के किनारों पर पेड़-पौधों की संख्या बढ़ाई जाए।

By Prem Dutt BhattEdited By: Publish:Tue, 03 Aug 2021 08:00 PM (IST) Updated:Tue, 03 Aug 2021 08:00 PM (IST)
मुजफ्फरनगर : विशेषज्ञों ने काली नदी के काम को सहारा, और बेहतर करने की दी सलाह
काली नदी के उद्घाम स्थल के साथ विकास का निरीक्षण करने पहुंचे विशेषज्ञ।

मुजफ्फरनगर, जागरण संवाददाता। मुजफ्फरनगर के खतौली में नमामि गंगे अभियान के विशेषज्ञों ने अंतवाड़ा गांव में काली नदी (नागिन नदी) का निरीक्षण किया। नदी के पुर्नजीवन के लिए किए जा रहे प्रयासों की सहाराना की और बेहतर करने के सुझाव दिए हैं। पानी का फ्लो बढ़ाने के लिए द्वारनुमा चेक डैम बनाने की योजना पर काम किया जाएगा। इससे नदी में पानी कम नहीं होगा, बल्कि बरसात में तेज बहाव के साथ दूषित तत्व भी कम हो जाएंगे।

ये रहे शामिल

गांव अंतवाड़ा में काली नदी उद्घाम स्थल का नमामि गंगे से जुड़े छोटी नदियों के विशेषज्ञ महावर सिंह, जैव विविधता विशेषज्ञ हरचरण सिंह और भूजल विशेषज्ञ आलोक कुमार ने नीर फाउंडेशन के अध्यक्ष एवं नदी पुत्र रमनकांत त्यागी के साथ दौरा किया। यहां पहुंचे अधिकारियों ने नदी के पुर्नजीवन को हुए कार्यों को परखा है। एडीओ योगेश्वर दत्त त्यागी, वीडीओ विजय शेखर ने नदी पर अब तक प्रशासनिक स्तर से हुए कार्यों की जानकारी दी। एक-एक कार्य को फोटो फाइल के माध्यम से देखा गया।

विशेषज्ञों ने दी राय

जैव विविधता विशेषज्ञ हरचरण सिंह ने कहा कि मिट्टी को समतल करने के अलावा सील्ट बाहर निकाली गई है। जिससे नदी में स्वच्छ जल की मात्रा बढ़ी है, यह अत्यधिक लाभदायक है। निरीक्षण में विशेषज्ञों ने कहा कि नदी के किनारों पर पेड़-पौधों की संख्या बढ़ाई जाए। इससे नमी बनेगी और जल से दूषित तत्वों को सौंखने में सहायता मिल सकेगी। भूजल विशेषज्ञ आलोक कुमार ने सुझाव दिया कि उद्घाम स्थल से कुछ दूरी पर चेक डैम बनाया जाए। जिसमें द्वारा लगाए जाएं, ताकि नदी में पानी का बहाव तेज हो सके। इसके बाद तीनों विशेषज्ञों ने नदी के पुल पर पहुंचकर दोनों ओर पटरयिां देखी है। जिन्हें लेकर नीर फाउंडेशन के अध्यक्ष और ब्लाक अधिकारियों को इनके चौड़ीकरण का सुझाव दिया। नदियों में नालों का पानी सयंत्र होने के बाद छोड़ा जाए। इसके लिए प्राकृतिक रूप से पानी को शुद्ध करने की विधि समझाई। नदी के किनारों को पूर्ण रूप से अतिक्रमण मुक्त बनाने की सलाह दी। इसके बाद टीम यहां से अपनी रिपोर्ट बनाकर मेरठ के लिए रवाना हो गई।

फिल्टर गड्ढों से मिलेगी मदद

नमामि गंगे से जुड़े विशेषज्ञों ने कहा कि नदी को पुर्नजीवन के लिए सामूहिक प्रयास करने होंगे। इसके साथ क्षेत्र के करीब 16 गांवों से गुजर रही नदी में शुद्ध पानी पहुंचाने के लिए जगह-जगह गड्ढे बनाए गए है। जिनकी मदद से बरसात और छोटे नालों का पानी साफ होने के बाद नदी तक पहुंचाया जा रहा है। इस प्रयास को विशेषज्ञों ने बेहतर बताया है।

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