मिलिए इनसे ये हैं आधुनिक दधीचि, इनकी वसियत पढ़ कर आप रह जाएंगे हैरान Meerut News

देहदान की वसीयत लिख रहे हैं आधुनिक दधीचि। एडवोकेट तारा सिंह ने शुरू किया था ये वसीयत लिखने का सिलसिला अब और लोग भी प्रेरित होकर जुड़ रहे हैं।

By Taruna TayalEdited By: Publish:Mon, 14 Oct 2019 12:09 PM (IST) Updated:Mon, 14 Oct 2019 12:09 PM (IST)
मिलिए इनसे ये हैं आधुनिक दधीचि, इनकी वसियत पढ़ कर आप रह जाएंगे हैरान Meerut News
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मेरठ, [जागरण स्‍पेशल]। एक साल पहले देहदान के लिए मेरठ शहर में वसीयत लिखने का सिलसिला अधिवक्ता तारा सिंह ने शुरू किया था। उनकी मुहिम में अब तक सात और लोग जुड़े चुके हैं। सभी ने मृत्युपरांत लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज को देहदान करने का संकल्प पत्र तो भरा ही है, देहदान का वसीयतनामा भी जमा किया है।

इनसे हुई शुरूआत

अधिवक्ता तारा सिंह ने 30 नवंबर 2018 को अपनी देहदान की वसीयत लिखी थी। इसके बाद उन्होंने देहदान के प्रति जनजागरण और लोगों को इसके लिए तैयार करने की मुहिम शुरू की। उनके प्रयास से 20 से अधिक लोगों ने देहदान व नेत्रदान का संकल्प लिया, जबकि हरीनगर निवासी राकेश त्यागी, स्वामीपाड़ा के जितेंद्र अग्रवाल, कमलेश भोला, प्रेमचंद्र बंसल समेत कुल सात लोग देहदान की वसीयत लिख चुके हैं। ये सभी मृत्युपरांत देहदान करेंगे। इसमें सभी के परिजनों की सहमति भी है। अधिवक्ता तारा सिंह ने बताया कि यह मुहिम लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डा. आरसी गुप्ता एवं एनाटॉमी विभाग की विभागाध्यक्ष डा. अंतिमा गुप्ता के सहयोग से चलाई जा रही है। उन्होंने बताया कि वसीयतनामे में लिखा जाता है कि ‘ वेदों में ईश्वर, प्रकृति तथा आत्मा को अनादि व शरीर को नश्वर माना गया है। आत्मा कर्म का कर्ता और उसके फल का भोक्ता है। वही जन्म व मृत्यु के रूप में शरीर धारण एवं उसको छोड़ता है। जीवन का अटल सत्य मृत्यु है। इसके साथ लोग संकल्प पत्र भर रहे हैं।

देहदान बढ़ेगा तो बनेंगे अच्छे डॉक्टर

लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज में देहदान बहुत कम होते हैं। इससे मेडिकल छात्रों को मानव संरचना के गूढ़ रहस्यों को जानने-समझने और पढ़ने के लिए देह नहीं मिल पा रही है। सालभर में चार से पांच देहदान होते हैं, जबकि जरूरत कम से कम आठ देहदान की है। इसके चलते मेडिकल छात्र प्रोजेक्टर पर मानव शरीर रचना पढ़ने को मजबूर हैं। 

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