मेरठ-पौड़ी हाईवे-119 पर जल्द फर्राटा भरेंगे वाहन

मेरठ-पौड़ी हाईवे-119 पर मवाना स्थित अनूपशहर खंड मध्य गंगनहर पर अंग्रेजी शासन काल के संकरे व कमजोर पुल से अब निजात मिलने वाली है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 24 Nov 2020 08:30 PM (IST) Updated:Tue, 24 Nov 2020 08:30 PM (IST)
मेरठ-पौड़ी हाईवे-119 पर जल्द फर्राटा भरेंगे वाहन
मेरठ-पौड़ी हाईवे-119 पर जल्द फर्राटा भरेंगे वाहन

मेरठ, जेएनएन। मेरठ-पौड़ी हाईवे-119 पर मवाना स्थित अनूपशहर खंड मध्य गंगनहर पर अंग्रेजी शासन काल के संकरे व कमजोर पुल से अब निजात मिलने वाली है। करीब साढ़े चार करोड़ के बजट से फोरलाइन पुल व एप्रोच रोड का निर्माण कार्य किया जा रहा है। कार्य लगभग पूरा हो चुका है। सिर्फ फिनिशिग होना बाकी है। पीडब्ल्यूडी द्वारा पेड़ कटान के लिए वन विभाग मेरठ को लेटर भेज अनुमति मांगी है।

मवाना में मध्य गंगनहर पर अंग्रेजी शासन का पुल बना है। छोटे वाहन दोनों तरफ पास हो जाते है, लेकिन बड़े वाहनों के लिए यह वन-वे हो जाता है। दूसरी साइड में वाहनों को पुल पार करने के लिए इंतजार करना पड़ता है। जैसे ही मेरठ-पौड़ी हाईवे पर वाहनों की संख्या बढ़ी तो वह जवाब देने लगा। करीब छह वर्ष पूर्व उक्त पुल की मरम्मत भी कराई गई, लेकिन फिर भी भारी वाहनों से खतरा बना हुआ था। आखिर सिचाई विभाग और पीडब्लूडी विभाग द्वारा फोरलेन पुल व एप्रोच रोड बनाने के लिए लगभग साढ़े चार करोड़ रुपये से बरेली की एएम बिल्डर्स का ठेका छूटा। करीब एक साल से उक्त पुल का निर्माण हो रहा है। 90 प्रतिशत काम अब तक हो चुका है और दस प्रतिशत पुल कार्य के साथ एप्रोच पुल का निर्माण होना बाकी है। उम्मीद है कि नई साल में वाहन फर्राटा भरना शुरू कर देंगे।

मेरठ से उत्तराखंड को जोड़ती है एनएच-119

एनएच-119 मेरठ को कई जिलों व उत्तराखंड राज्य से जोड़ती है। मुजफ्फरनगर, बिजनौर, चांदपुर, धामपुर, नजीबाबाद, कोटद्वार और उत्तराखंड को जोड़ती है। कांवड़ यात्रा के दौरान एक पखवाड़ा उक्त रोड से हरिद्वार, ऋषिकेश आदि स्थानों को वाहन मवाना से होकर गुजरते हैं। प्रतिदिन एक लाख से अधिक वाहन यहां से गुजरते हैं।

एप्रोच रोड निर्माण में आड़े आ रहे पेड़

पुल निर्माण की जिम्मेदारी संभाल रहे पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर मोहसिन ने बताया कि पुल लगभग पूरा हो चुका है। कुछ कार्य चल रहा है, वह भी करीब दस दिन में पूरा हो जाएगा। पुल की लंबाई 12 मीटर व चौड़ाई 9 मीटर है। पेड़ कटान के लिए वन विभाग से अनुमति मांगी है।

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