Farmers Protest: सूबे की सियासत को नए सिरे से तय करेगा मेरठ, कृषि कानून पर यह रहेगी भाजपा की रणनीति
Farmers Protest केंद्र सरकार के कृषि कानून का विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है। किसान आंदोलन के बाद ऐसी ही तस्वीर उभरती नजर आ रही है। भाजपा ने वेस्ट यूपी को राजनीतिक राजधानी बना लिया है। ऐसे में मेरठ की भूमिका अहम रहेगी।
मेरठ, जेएनएन। Farmers Protest कृषि कानून को लेकर प्रदेश की राजनीति में वेस्ट यूपी की भूमिका निर्णायक होने जा रही है। किसान आंदोलन के बाद ऐसी ही तस्वीर उभरती नजर आ रही है। भाजपा ने वेस्ट यूपी को राजनीतिक राजधानी बना लिया है। ऐसे में मेरठ की भूमिका अहम रहेगी।
कृषि कानून पर भी पारा हाई
को लेकर करीब दो माह से राजनीतिक पारा चढ़ा हुआ है। हरियाणा, पंजाब के अलावा वेस्ट यूपी में भी हलचल है। भले ही इस क्षेत्र से ज्यादा किसान दिल्ली नहीं गए हैं, लेकिन गन्ना किसानों की मांग लगातार प्रदेश सरकार की धड़कन बढ़ाती रहती है। 2022 विस् चुनावों में इसका भरपूर असर नजर आएगा, जिससे निपटने के लिए सत्ताधारी भाजपा कई तरफ से घेराबंदी कर रही है।
मेरठ में भाजपा का डेरा
पार्टी ने वेस्ट यूपी की ध्रुवीकरण की तासीर को भांपते हुए न सिर्फ मेरठ में राजनीतिक डेरा डाल दिया है, बल्कि राम मंदिर के लिए धन जुटाने को लेकर भी इस शहर के भूमिका खास होगी। उधर, मेरठ में ही क्षेत्रीय भाजपा मुख्यालय, संघ मुख्यालय, दो राज्यसभा सदस्य, दो एमएलसी हैं, साथ ही पांच सांसदों की सीमा भी इस जिले के अंदर पहुंचती है। इन्हीं बातों को ध्यान रखते हुए मुख्यमंत्री योगी ने गत चार साल में वेस्ट यूपी का कई बार दौरा किया है। भाजपा ने सूबे में दो प्रदेश सह संगठन मंत्री बनाया है, जिसमें एक को मेरठ में बैठेना होगा।
अब भाजपा बचाएगी किला
2014 लोकसभा चुनावों के बाद वेस्ट यूपी की सियासी हैसियत अचानक बढ़ गयी है। 2007 और 2012 क विधानसभा चुनावों में जहां बसपा और सपा का दबदबा था, वहीं 2014 और2017 के चुनावों में भाजपा ने पासा पलट दिया।