मेरठ : पराली जलाने के नुकसान और फायदों को गिनाएंगे, 45 गांवों में बीडीओ बैठक में देंगे जानकारी

stubble burning पराली को लेकर जल्‍द ग्राम प्रधानों को जागरूक किया जाएगा। असर में डीएम के निर्देश पर एसडीएम सरधना ने कई ब्लाक के डीएम और अन्य विभागों के अधिकारियों संग बैठक कर पराली को लेकर सख्ती से ठोस कदम उठाने के निर्देश दिए थे।

By Prem Dutt BhattEdited By: Publish:Sun, 24 Oct 2021 02:30 PM (IST) Updated:Sun, 24 Oct 2021 02:30 PM (IST)
मेरठ : पराली जलाने के नुकसान और फायदों को गिनाएंगे, 45 गांवों में बीडीओ बैठक में देंगे जानकारी
पराली से जैविक खाद और पशुओं के लिए चारा भी हो सकता है तैयार।

मेरठ,जागरण संवाददाता। stubble burning मेरठ में विकास खण्ड दौराला ब्लाक के कार्य क्षेत्र में आने वाले 45 ग्राम पंचायतों के प्रधानों संग प्रत्येक गांव में बीडीओ बैठकों का आयोजन दो से तीन दिन में शुरू करेंगे। बैठक में किसानों को पराली न जलाने की अपील करेंगे। पराली जलाने पर होने वाले नुकसान की भी जानकारी दी जाएगी।

ठोस कदम के निर्देश

दरअसल, डीएम के निर्देश पर एसडीएम सरधना ने कई ब्लाक के डीएम और अन्य विभागों के अधिकारियों संग बैठक कर पराली को लेकर सख्ती से ठोस कदम उठाने के निर्देश दिए थे। जिसके बाद विकास खण्ड दौराला के बीडीओ डा. साजिद अहमद ने बताया कि वह दो से तीन दिन में अधिकारियों की टीमें बनाकर क्षेत्र के 45 गांवों में प्रधान और किसानों संग बैठक करेंगे।

ये करेंगे जागरूक करने के लिए

बैठक में किसानों को बताया जाएगा कि वह पराली को जलाने की बजाएं उसे कामयाब बना सकते हैं। किसानों पराली न जलाने को लेकर जागरुक करने के लिए पंपलेट भी सौंपे जाएंगे। पराली जलती है तो दूर तक प्रदूषण तो फैलेगा, साथ ही संबंधित गांव और उसके आसपास के गांव में भी धुंआ और हवा में उड़ने वाले काले कणों से ग्रामीणों का रहना दूभर हो जाएगा।

पराली से बना सकते हैं जैविक खाद

बीडीओ ने बताया कि पराली जलाने की बजाए उससे जैविक खाद बहुत बेहतर तरीके से बना सकते हैं, जो प्रत्येक फसल के लिए कारगर साबित होगी। पराली को मशीन से काटकर उसमें गोबर मिला दिया जाए। उसके बाद गोबर मिक्स पराली को एक गड्ढे में दबा दी जाए। करीब एक सप्ताह तक दो से तीन बार मिक्स पराली को उलट-पलट करना चाहिए। उसके बाद जैविक खाद तैयार हो जाएगी और आसानी से अपने खेतों में फैला सकते हैं।

पराली से पशुओं को भी होगा चारा तैयार

पराली को मशीनों से छोटा काटकर उसमें खल, चूरी और का खोल मिलाकर पशुओं को खिलाना चाहिए। इससे पराली बेकार नहीं जाएगी, साथ ही दुधारू पशुओं के लिए यह बेहतर सामग्री तैयार हो जाएगी। इस चारे से दुधारू पशुओं के दूध की मात्रा बढ़ने के साथ उन्हें स्वाद भी बेहत लगेगा।

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