मेरठ : तालों में कैद हुई खुले में शौच मुक्ति की सोच, सामुदायिक शौचालय निर्माण पर 14.37 करोड़ खर्च, लेकिन नतीजा...

मेरठ में हर ग्राम पंचायत में एक सामुदायिक शौचालय के निर्माण की पहल की गई और प्रत्येक पर तीन लाख खर्च कर जनपद की हर ग्राम पंचायत में सामुदायिक शौचालयों का निर्माण किया गया। अब शौचायलों को बने हुए एक वर्ष से अधिक समय बीत चुका है।

By Prem Dutt BhattEdited By: Publish:Tue, 22 Jun 2021 09:20 AM (IST) Updated:Tue, 22 Jun 2021 09:20 AM (IST)
मेरठ : तालों में कैद हुई खुले में शौच मुक्ति की सोच, सामुदायिक शौचालय निर्माण पर 14.37 करोड़ खर्च, लेकिन नतीजा...
मेरठ में निर्माण होने के बाद से नहीं खुला ताला, अधिकांश सामान भी गायब।

मेरठ, जेएनएन। खुले में शौच मुक्ति के लिए पिछले सात साल से बड़े स्तर पर अभियान चलाया जा रहा है। हर घर शौचालय का निर्माण कराने के साथ हर गांव में सामुदायिक शौचालयों का निर्माण भी कराया गया। लेकिन सैंकड़ों करोड़ रुपये का बजट खर्च करने के बाद भी खुले में शौच मुक्ति की सोच तालों की कैद से बाहर नहीं निकल सकी है। जनपद में ही 14.37 करोड़ रुपये के बजट से बनाए गए शौचालयों पर ताला लटका हुआ है। जबकि कई शौचालयों से सामान भी गायब हो चुका है।

एक लाख से ज्‍यादा का निर्माण

केंद्र और प्रदेश सरकार ने खुले में शौच मुक्ति के लिए अभियान शुरू किया और हर घर शौचालय का निर्माण कराया गया। जनपद में ही एक लाख से अधिक शौचालयों का निर्माण किया गया। इसके बाद हर ग्राम पंचायत में एक सामुदायिक शौचालय के निर्माण की पहल की गई और प्रत्येक पर तीन लाख खर्च कर जनपद की हर ग्राम पंचायत में सामुदायिक शौचालयों का निर्माण किया गया। अब शौचायलों को बने हुए एक वर्ष से अधिक समय बीत चुका है। लेकिन इन पूरी तरह से तैयार सामुदायिक शौचालयों का ताला नहीं खुल सका है। ऐसा तब है जब कई बार अधिकारियों से इस संबंध में शिकायत भी की जा चुकी है। लेकिन सामुदायिक शौचालय कैद से मुक्त नहीं हो सके हैं।

धरी रह गई महिला सशक्तिकरण की सोच

योजना के अनुसार गांव-गांव में बनाए गए सामुदायिक शौचालयों की देखरेख की जिम्मेदारी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं को दी जानी थी। महिलाओं का चयन भी किया गया और उन्हें पांच हजार रुपये प्रति माह मानदेय की तय किया गया, लेकिन शौचालयों पर लगे ताले ने महिला सशक्तिकरण की राह को बंधक बना लिया।

तानाशाह बने रहे प्रधान

जानकार बताते हैं कि सामुदायिक शौचालय के निर्माण में बड़ा खेल हुआ। बाहर से शौचालयों को बेहतर रंग रोगन कर चमकदार बनाया गया। लेकिन अंदर घटिया सामग्री का प्रयोग किया गया। पोल खुलने के डर से अधिकांश शौचालयों पर ताला लगा दिया गया और ताले की चाबी प्रधानों के कब्जे में रही। अब नवनिर्वाचित प्रधान इन बनाए गए शौचालयों को शुरू करने के लिए चाबी तलाश रहे हैं।

जनपद में शौचालय

1.15 लाख - शौचालयों का निर्माण घर-घर हुआ

12 हजार - प्रत्येक शौचालय के निर्माण पर खर्च

479 - सामुदायिक शौचालय का निर्माण गांव-गांव में हुआ

03 लाख - बजट प्रत्येक सामुदायिक शौचालय का है

14.37 करोड़ - बजट सामुदायिक शौचालय पर हुआ खर्च

इनका कहना है

कोरोना के कारण क़ुछ दिक्कतें थी, अब सभी सामुदायिक शौचालयों का सत्यपान कराया जाएगा और जहां गड़बड़ी होगी वहां कार्रवाई भी की जाएगी। अगले दो सप्ताह में सभी शौचालयों को शुरू कराया जाएगा।

- शशांक चौधरी, सीडीओ

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