मेरठ: लैब रिपोर्ट में खुलासा- काली नदी में मिले 32 गुना सीसा व दर्जनों कैंसरकारक तत्‍व

काली नदी के किनारे बसे गांवों में कैंसर क्यों फैला इसका जवाब प्रयोगशाला रिपोर्ट में मिल गया। गावड़ी गांव के पास नदी से लिए गए सैंपल में सीसा समेत दर्जनों कैंसरकारक तत्व मिले। नदी का पानी किसी कसौटी पर खरा नहीं मिला।

By Himanshu DwivediEdited By: Publish:Wed, 28 Jul 2021 11:09 AM (IST) Updated:Wed, 28 Jul 2021 11:09 AM (IST)
मेरठ: लैब रिपोर्ट में खुलासा- काली नदी में मिले 32 गुना सीसा व दर्जनों कैंसरकारक तत्‍व
लैब रिपोर्ट में खुलासा- काली नदी में मिले 32 गुना सीसा।

जागरण संवाददाता, मेरठ। काली नदी के किनारे बसे गांवों में कैंसर क्यों फैला, इसका जवाब प्रयोगशाला रिपोर्ट में मिल गया। गावड़ी गांव के पास नदी से लिए गए सैंपल में सीसा समेत दर्जनों कैंसरकारक तत्व मिले। नदी का पानी किसी कसौटी पर खरा नहीं मिला। पानी में आक्सीजन खत्म है, जबकि चिकनाई ज्यादा। नीर फाउंडेशन ने रिपोर्ट डीएम और कमिश्नर को सौंपी है। काली नदी को देश की सबसे प्रदूषित नदियों में शुमार किया जाता है। दो दशक से नदी में औद्योगिक कचरा डाला जा रहा है। इसका प्राकृतिक जलस्रोत खत्म कर दिया गया। नीर फाउंडेशन के रमन त्यागी ने नदी के प्रदूषण की कई बार जांच कराई। केंद्र एवं राज्य सरकारों के समक्ष प्रजेंटेशन दिया। आखिरकार नदी सफाई की मुहिम को सरकार ने गोद ले लिया, लेकिन अभी नदी में पानी नहीं पहुंचा है। लैब जांच कराई तो पता चला कि रक्त, बोन और आंतों का कैंसर करने वाले और डीएनए डिस्टर्ब करने वाले रसायन पाए गए।

ये रही जहरीली रिपोर्ट

नदी में लेड 0.1 से 32 गुना यानी 3.2 मिलीग्राम, आर्सेनिक 0.2 से अधिक 1.2 मिलीग्राम और आयरन की मात्र 3.0 से अधिक 4.5 मिलीग्राम प्रति लीटर पाई गई है। आयरन से पथरी, आर्सेनिक से चर्म रोग व कैंसर का खतरा होता है। नदी जल में घुलनशील पदार्थो की मात्र 100 से 455 मिलीग्राम प्रतिलीटर मिला है। केमिकल आक्सीजन डिमांड सीमित मात्र 250 मिलीग्राम से अधिक 1592 मिलीग्राम प्रतिलीटर पाई गई है।

दस साल में कैंसर मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। प्रति एक लाख आबादी में करीब 135 में बीमारी मिल रही, बड़ी वजह खानपान में सीसा समेत भारी तत्वों का पहुंचना है। नदी के किनारे बसे गांवों में कैंसर के दर्जनों मरीज मिले हैं।

डा. अमित जैन, कैंसर रोग विशेषज्ञ

क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का दावा है कि कोई औद्योगिक कचरा नदी में नहीं पहुंच रहा है। पानी में ग्रीस, लेड व आर्सेनिक कहां से मिला। नदी किनारे दर्जनों गांवों में कैंसर के मरीज बढ़ रहे हैं। प्रशासन को रिपोर्ट सौंपी है। रमन त्यागी, निदेशक, नीर फाउंडेशन

जिलाधिकारी के बालाजी ने कहा: नदी की लैब जांच रिपोर्ट क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भेजा जाएगा। बोर्ड के वैज्ञानिक विश्लेषण कर बताएंगे, उसके बाद प्रशासन आवश्यक कदम उठाएगा। 

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