गेंदबाजों और बल्लेबाजों को समान मौका देगी मेरठ की पिच

मेरठ में छह साल बाद एक बार फिर सोमवार सुबह से रणजी मैच शुरू होगा। क्रिकेट में टीमों की रणनीति के साथ ही पिच की भी अपनी रणनीति होती है। अलग-अलग तरह की पिच होती हैं जो कभी गेंदबाजों को तो कभी बल्लेबाजों को अधिक अवसर प्रदान करती हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 09 Dec 2019 04:00 AM (IST) Updated:Mon, 09 Dec 2019 06:07 AM (IST)
गेंदबाजों और बल्लेबाजों को समान मौका देगी मेरठ की पिच
गेंदबाजों और बल्लेबाजों को समान मौका देगी मेरठ की पिच

अमित तिवारी, जेएनएन। मेरठ में छह साल बाद एक बार फिर सोमवार सुबह से रणजी मैच शुरू होगा। क्रिकेट में टीमों की रणनीति के साथ ही पिच की भी अपनी रणनीति होती है। अलग-अलग तरह की पिच होती हैं, जो कभी गेंदबाजों को तो कभी बल्लेबाजों को अधिक अवसर प्रदान करती हैं। दुनिया भर में बेहतरीन पिच वही मानी जाती है जो गेंदबाजों और बल्लेबाजों को समान रूप से मौका दे।

इकाना जैसी है मेरठ की पिच

भामाशाह पार्क में बने पिच की भी यही विशेषता है। प्रदेश में लखनऊ के इकाना स्टेडियम और भामाशाह पार्क की पिच को ही बेहतरीन पिचों में शामिल किया गया है। मेरठ की पिच गेंदबाजों और बल्लेबाजों को समान मौका देती है। घास की एक परत से ढकी स्पीच में अच्छा बाउंस मिलेगा। पिच विशेषज्ञों की मानें तो पहले दिन के पहले सत्र में तेज गेंदबाजों को मदद मिलेगी। मैच के पहले दो दिन तेज गेंदबाजों और बल्लेबाजों में कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा। तेज गेंदबाजी में अच्छा बाउंस होने पर बल्लेबाजों को भी अच्छी ड्राइव मिलती है। वहीं तीसरे दिन के दूसरे सत्र से यानि अंतिम डेढ़ दिन स्पिनर्स का जलवा होगा। सोमवार को शुरू हो रहे इस मैच में जो भी टीम टॉस जीतेगी, अपनी रणनीति के अनुरूप ही बल्लेबाजी या फील्डिंग का निर्णय करेगी।

16 इंच होती है पिच की परत

बदलती तकनीक और वैज्ञानिक पद्धति का इस्तेमाल करते हुए अब दुनियाभर में 16 इंच की प्रोफाइल वाली पिच तैयार की जाती है। पिच बनाने में तीन लेयर का इस्तेमाल होता है। इसमें चार इंच की कोर सैंड यानि खुरदरी रेत की परत होती है। इसके बाद चार इंच की परत फाइन सैंड यानि महीन रेत की होती है। इसके बाद दो-दो इंच की काली मिट्टी की परतें बड़े साइज से छोटे साइज की ओर बनाई जाती है। यह आठ इंच तक होती हैं। पिच बनाने के लिए 13 इंच खोदाई होती है और तीन इंच जमीन के ऊपर तक रखा जाता है। पिच की जगह से बाउंड्री लाइन की ओर एक गुणा 100 (100 फुट पर एक फुट नीचे हो जाना) का स्लोप दिया जाता है, जिससे गेंद बाउंड्री की ओर तेजी से जाए। साथ ही पानी भी बाहर की ओर आसानी से निकल जाए।

बदल गई पुरानी पद्धति

क्रिकेट की पिच तैयार करने के लिए पुराने जमाने में दो-दो फीट गढ्डे किए जाते थे। उसमें ईट, रोड़ा, पत्थर आदि डालकर बेस मजबूत बनाया जाता था। बदलते समय के साथ वैज्ञानिक तकनीकी को पिच बनाने में इस्तेमाल किया जाने लगा। पिच की नमी वाष्पीकरण से कम की जाती है। इंग्लैंड की क्रेनफील्ड यूनिवर्सिटी ने क्रिकेट पिच तैयार करने में अलग-अलग साइज व वजन के रोलर से फायदे व गुणों को बताया है, जिसका इस्तेमाल आधुनिक क्रिकेट पिचों को बनाने में किया जा रहा है।

पिच बनाने में बीसीसीआइ अपनाती है आधुनिक तकनीक

बीसीसीआइ से मान्यता प्राप्त क्यूरेटर रविंद्र चौहान के अनुसार देशभर में बन रहे क्रिकेट स्टेडियमों में पिच तैयार करने के लिए बीसीसीआइ आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करती है। साथ ही पिच तैयार करने और उससे संबंधित कोर्स भी क्यूरेटर्स को कराए जा रहे हैं। इससे भारतीय क्रिकेट को बहुत लाभ मिला है। पिच के साथ ही अब पूरे ग्राउंड को भी सैंड बेस्ड और नीचे पाइपों का जाल बिछाकर बनाया जा रहा है। इससे पिच के साथ ही क्रिकेट ग्राउंड पर भी पानी टिक नहीं पाता है। स्लोप अच्छे बनाए जाते हैं, जिससे मैच के दौरान बारिश होने पर अधिक समय तक मैच को रोकना नहीं पड़े। बारिश खत्म होने के कुछ समय बाद मैच को फिर शुरू किया जा सके।

मेरठ ग्राउंड पर बने हैं पाच पिच

भामाशाह पार्क के क्त्रिकेट ग्राउंड पर पाच पिच बने हैं। पाचो पिच एक समान एक ही क्वालिटी के हैं। इस ग्राउंड पर 80 गज की बाउंड्री आसानी से बन जाती है। भविष्य में ग्राउंड पर दो और पिच बनाने की योजना है। इस रणजी मैच में आई दोनों टीमों ने इन्हीं पाच पिचों में से दो पिच पर तीन दिनों अभ्यास किया, जिसका लाभ खिलाड़ियों को मैच के दौरान मिलेगा।

राहुल द्रविड़ भी कर चुके हैं पिच की तारीफ

क्रिकेट सत्र 2009-10 में भामाशाह पार्क में उत्तर प्रदेश और कर्नाटक टीम के बीच रणजी मैच हुआ था। इस मैच में राहुल द्रविड़ कर्नाटक टीम के साथ थे और कनार्टक टीम 185 रनों से मैच जीती थी। राहुल द्रविड़ ने स्वयं पहली पाली में 97 व दूसरी पारी में 51 रन बनाए थे। मेरठ में मैच खेलने के बाद राहुल द्रविड़ का मैच दिल्ली में था। वहा पत्रकारों से बातचीत के दौरान उनसे पूछा गया कि क्या रणजी मैच को चार की बजाय पाच दिन किया जाना चाहिए। आज के 10 साल पहले ही राहुल द्रविड़ ने मेरठ के पिच की तारीफ करते हुए कहा था कि अगर मेरठ जैसी पिच मिले तो रणजी मैच के लिए चार दिन ही काफी हैं।

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