मेरठ छावनी के अफसरों ने बिपिन रावत को कराया था कमांड कोर्स
सैन्य प्रशिक्षणों के दौरान तीन कोर्स में सीडीएस जनरल बिपिन रावत के इंस्ट्रक्टर रहे मेरठ के कर्नल नरेंद्र सिंह सीडीएस रावत के निधन को अपनी व्यक्तिगत क्षति मानते हैं।
अमित तिवारी, मेरठ : सैन्य प्रशिक्षणों के दौरान तीन कोर्स में सीडीएस जनरल बिपिन रावत के इंस्ट्रक्टर रहे मेरठ के कर्नल नरेंद्र सिंह सीडीएस रावत के निधन को अपनी व्यक्तिगत क्षति मानते हैं। वह वर्ष 1996 में सीनियर कमांड कोर्स के दौरान जनरल रावत (उस समय रावत मेजर थे) के इंस्ट्रक्टर रहे थे। उस कोर्स के बाद ही जनरल रावत ने अमेरिका में जनरल स्टाफ कोर्स पूरा किया था। रि. कर्नल नरेंद्र सिंह ने बताया कि वह बेहतरीन प्रशिक्षु और क्लास में हमेशा सतर्क रहने वाले थे। नवाचारों को प्राथमिकता देते थे। उस कोर्स के बाद अपने बैच में जनरल रावत को 'स्वार्ड आफ आनर' मिला था। उनकी काबिलियत के कारण ही कश्मीर घाटी में उथल-पुथल के दौरान 15 कोर कमांडर बनने पर जनरल सैयद अता हसनैन जनरल बिपिन रावत को 19 इंफैंट्री डिवीजन को कमान करने के लिए साथ ले गए थे।
तीन जुलाई 2019 को किया था किताब का विमोचन
सेना प्रमुख बनने के बाद जनरल रावत मई 2019 में मेरठ छावनी स्थित पाइन डिवीजन में आए थे। कर्नल सिंह के अनुसार इसी कार्यक्रम में उनसे मेरठ में मुलाकात हुई थी। उस दौरान कर्नल नरेंद्र सिंह तृतीय राजपुताना रायफल्स के इतिहास पर किताब लिख रहे थे। उनकी किताब का विमोचन जनरल रावत ने दिल्ली में तीन जुलाई को किया था। 'थर्ड बटालियन द राजपूताना रायफल्स-वफादार पल्टन' किताब में कर्नल सिंह ने बटालियन के 200 वर्ष का इतिहास संजोया है। जनरल रावत ने सेना के अनुभवी लोगों द्वारा भारतीय सेना का गौरवपूर्ण इतिहास कलमबद्ध करने की तारीफ भी की थी। ..जब रावत बोले, बेसिक तो आप लोगों से ही सीखा है
भारतीय सेना में अर्से तक सेवा देने वाले मेजर जनरल जेआर भट्टी ने 1986 में जनरल रावत (उस समय बिपिन रावत कैप्टन थे) को जूनियर कमांड कोर्स कराया था। मेजर जनरल भट्टी बताते हैं कि उन्होंने जनरल रावत के पिता ले. जनरल बीएस रावत की कमांड में ड्यूटी की है। 1965 के युद्ध में साथ भी रहे थे। पिता के डलहौजी में कमांडर रहने के दौरान जनरल बिपिन रावत स्कूल में पढ़ते थे, तभी से जनरल भट्टी का उनसे परिचय रहा है। 2019 में मेरठ छावनी आने पर उन्होंने देखते ही पहचान लिया और सभी के सामने बोल पड़े कि-बेसिक तो आप लोगों से ही सीखा है। पहले सीडीएस के तौर पर उन्होंने अच्छी नींव रखी है, जिसका अनुसरण उनके बाद पदभार ग्रहण करने वाले आसानी से कर सकेंगे।