Meerut Master Plan-2031: दिसंबर में लागू हो जाएगी मेरठ महायोजना-2031, जल्‍द आने वाला है ड्राफ्ट

मेरठ के लिए नई महायोजना डिजिटल है और जीआइएस पर आधारित है। वर्तमान महायोजना मैनुअल तरीके से बनाई गई है जिसको समझना आसान नहीं है। जबकि अब जो महायोजना बनाई जा रही है वह डिजिटल है। इससे वेबसाइट पर भी आसानी से देख सकेंगे।

By Prem Dutt BhattEdited By: Publish:Tue, 03 Aug 2021 06:00 AM (IST) Updated:Tue, 03 Aug 2021 08:35 AM (IST)
Meerut Master Plan-2031: दिसंबर में लागू हो जाएगी मेरठ महायोजना-2031, जल्‍द आने वाला है ड्राफ्ट
मेरठ महायोजना-2031 इसी साल दिसंबर से लागू हो जाएगी।

मेरठ, जागरण संवाददाता। Meerut Master Plan-2031 मेरठ महायोजना-2031 इसी साल दिसंबर से लागू हो जाएगी। शासन ने इसके लिए तैयारी कर ली है। इसी सप्ताह महायोजना का ड्राफ्ट आने वाला है। वर्तमान महायोजना 2021 इसी साल समाप्त हो जाएगी। ऐसे में शासन की ओर से तैयारी है कि वर्तमान महायोजना को एक्सटेंशन के देने के बजाय नई महायोजना को ही समय पर लागू कर दिया जाए।

पूरी तरह से होगी डिजिटल

नई महायोजना डिजिटल है और जीआइएस पर आधारित है। वर्तमान महायोजना मैनुअल तरीके से बनाई गई है जिसको समझना आसान नहीं है। जबकि अब जो महायोजना बनाई जा रही है वह डिजिटल है। इससे वेबसाइट पर जब इसे कोई देखने की कोशिश करेगा तो उसे बड़ी आसानी से किसी भी क्षेत्र का भू-उपयोग पता चल सकेगा। क्लिक करके निर्धारित खसरे की भी जानकारी प्राप्त कर सकेगा। ऐसे में प्लाट बेचने में भूउपयोग की गड़बड़ी नहीं हो पाएगी। कोई भी ग्राहक आसानी से प्लाट का भू-उपयोग पता कर सकेगा। एमडीए वीसी मृ²ल चौधरी ने बताया कि मेरठ महायोजना-2031 इसी साल दिसंबर मेंं लागू करने की तैयारी शासन स्तर से चल रही है। जल्द ही ड्राफ्ट आ जाएगा।

ड्राफ्ट पर होगी चर्चा, फिर शासन लागू करेगा

ड्राफ्ट पर चर्चा होगी। सरकारी विभागों, जनप्रतिनिधियों के साथ ही आम लोगों की भी आपत्तियां ली जाएंगी। इसके बाद यदि संशोधन की जरूरत पड़ी तो संशोधन करके अंतिम महायोजना तैयार हो जाएगी। फिर इसे शासन लागू करेगा। जिसके बाद एमडीए बोर्ड बैठक करके उसे अंगीकृत करेगा। उसी आधार पर एमडीए की भवन उपविधि संशोधित होगी।

मानचित्रों का सीधा मतलब महायोजना से है

जब भी कोई मानचित्र आवेदन स्वीकृति के लिए आता है तो सबसे पहले देखा जाता है उसका भूउपयोग क्या है। यानी वह भूमि शैक्षिक, आवासीय, कामर्शियल या सरकारी। महायोजना में प्रत्येक खसरे का भूउपयोग तय होता है। यानी किस भूमि का किस रूप में उपयोग किया जा सकता है यह तय किया जाता है। इसमें औद्योगिक, शैक्षिक, ट्रांसपोर्टनगर समेत विभिन्न क्षेत्र चिह्नित किए जाते हैं।

महायोजना में रहेगा रैपिड रेल स्टेशनों का क्षेत्र

रैपिड रेल के स्टेशनों का डेढ़ किमी क्षेत्र व बाकी कारिडोर के हिस्से में 500 मीटर का क्षेत्र मिश्रित भूउपयोग का होगा। इसके लिए कुछ नियम अलग होंगे। इसका प्रावधान महायोजना में शामिल होगा। साथ ही परतापुर व मोदीपुरम में विशेष क्षेत्र चिह्नित किया गया है उसे भी इसी महायोजना में शामिल किया जाएगा।

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